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80+ वक़्त शायरी, Waqt Shayari

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    जो वक्त के साथ नहीं बदलता
    वक्त उसे बदल देता है

    वक्त ने थोड़ा सा साथ नहीं दिया तो लोगो ने,
    काबिलियत पर शक करना शुरू कर दिया।

    वक़्त बदलने से उतनी तकलीफ नहीं होती,
    जितनी किसी अपने के बदल जाने से होती है

    वक़्त से लड़कर जो अपना नसीब बदल दे
    इंसान वही है जो अपनी किस्मत को बदल देता है

    “गीता” में लिखा है निराश मत होना,
    कमजोर तेरा वक्त है तू नहीं।

    ऐ बुरे वक्त, जरा अदब से पेश आ,
    वक्त नही लगता वक्त बदलने में।

    वक्त वो आईना है जो सच को सच और
    झूठ को झूठ दिखाता है

    वो वक्त सी थी जो गुजर गई,
    और मैं यादों सा था जो ठहर गया !

    लोग बहुत अच्छे होते हैं,
    अगर हमारा वक्त अच्छा हो तो…!

    वक्त हर जख्म भर देता है

    वक्त वो है, अगर आप उसके साथ हो
    तो वो आपके साथ है।

    वक्त को अपना बनाने में,
    वक्त लगता है।

    धीरे-धीरे सब कुछ संवर जाता है,
    वक़्त कितना भी मुश्किल हो गुज़र जाता है।

    हिंदी 2 लाइन में वक्त शायरी
    वक्त शायरी हिंदी में 2 लाइन

    कितना भी पकड़ो फिसलता जरूर है,
    यह वक्त है साहब बदलता जरूर है।

    वक्त और इंसान,
    कब बदल जाए पता ही नहीं चलता !

    वक्त की यारी तो हर कोई कर लेता है,
    मजा तो तब है जब,
    वक्त बदले और यार न बदले !

    आदमी के शब्द नहीं,
    वक्त बोलता है।

    बदल जाते हैं वो लोग भी वक्त की तरह,
    जिन्हें हम हद से ज्यादा वक़्त देते हैं…!

    बुरा वक्त तो सबका आता हैं,
    कोई बिखर जाता हैं कोई निखर जाता हैं…

    वक्त रहते अगर बात हो जाती है,
    तो बात ज्यादा नहीं बिगड़ती !
    वक्त की कैद में ज़िन्दगी है मगर,
    चंद घड़ियां वहीं है जो आज़ाद है।

    किसी के बुरे वक्त पर हंसने की गलती मत करना,
    ये वक्त है जनाब चेहरे याद रखता है।

    ये वक्त गुजरता रहता है,
    इंसान भी बदलता रहता है,
    संभाल लो खुद को तुम जनाब,
    वक्त खुद चीख कर कहता है !

    इंसान और वक़्त दोनों एक सामान है,
    बदलना भी ज़रूरी है और चलना भी !!

    वक़्त बदलने से उतनी तकलीफ नहीं होती,
    जितनी किसी अपने के बदल जाने से होती है
    जब दिल पे छा रही हों घटाएँ मलाल की,
    उस वक़्त अपने दिल की तरफ़ मुस्कुरा के देख…!

    तुम्हारा किया तुम्हे ही बतलाता है,
    समय आइना जरूर दिखलाता है !
    अगर रोई हैं आखे समय के साथ
    तो मौका मिलगा इसे मुस्कुराने का भी
    ये वक़्त हैं बदलता हैं
    पर वक़्त लेकर बदलता हैं

    वक़्त रहता नही कहीं टिककर
    इसकी आदत भी आदमी सी है

    किताबें तो यूं ही बदनाम है,
    वक्त ओर लोग ही बहुत कुछ सीखते है ज़िन्दगी में।

    गुज़र जाते है…खूबसूरत लम्हे
    यूँ ही मुसाफिरों की तरह
    यादें वही खड़ी रह जाती है,
    रुके रास्तो की तरह

    वो वक़्त भी बहुत खास होता है,
    जब सर पर माता पिता का हाथ होता है।

    इश्क़ का लम्हा महज़ एक वक़्त का फ़साना है,
    और वक़्त की तो फ़ितरत ही बदल जाना है।

    जनाब सब कुछ तो था उनके पास,
    काश कुछ वक्त भी होता हमारे लिये उनके पास।

    कैसे कहूँ कि इस दिल के लिए कितने खास हो तुम,
    फासले तो कदमों के हैं पर,
    हर वक्त दिल के पास हो तुम।

    मै बातो में वक्त जाया नहीं करता,
    खामोशी मेरी सब बयां कर देती है।

    अगर किसी को कुछ देना है तो
    उसे अच्छा वक्त दो, क्योंकि
    आप हर चीज़ वापिस ले सकते हो,
    मगर किसी को दिया हुआ अच्छा वक्त
    वापिस नही ले सकते ।

    यूँ तो पल भर में सुलझ जाती है उलझी ज़ुल्फ़ें,
    उम्र कट जाती है पर वक़्त के सुलझाने में…!

    वक़्त से पहले हादसों से लड़ा हूँ
    मैं अपनी उम्र से कई साल बड़ा हूँ

    हर वक़्त दिल को जो सताए ऐसी कमी है तू,
    मैं भी ना जानू की इतनी क्यूँ लाज़मी है तू।।

    जब आप का नाम जुबान पर आता हैं,
    पता नहीं दिल क्यों मुस्कुराता हैं,
    तसल्ली होती है मन को कोई तो है अपना,
    जो हँसते हुए हर वक्त याद आता हैं…

    उसकी कदर करने में जरा भी देर मत करना,
    जो इस दौर में भी आपको वक्त देता हो।।

    कैसे कहूँ कि इस दिल के लिए कितने खास हो तुम,
    फासले तो कदमों के हैं पर, हर वक्त दिल के पास हो तुम।।

    वक्त पर आया करता था जवाब उनका,
    ये भी एक वक्त की बात हुए करती थी।

    सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का,
    यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का…!

    अभी थोड़ा वक्त हर जनाब,
    उनको attitude दिखाने दो…
    रो रोकर पुकारेंगे हमे,
    हमारा वक्त आने दो।।

    पैसा कमाने के लिए इतना वक्त,
    खर्च ना करो कि…
    पैसे खर्च करने के लिए ज़िन्दगी में,
    वक्त ही ना मिले।

    हर इश्क़ का एक वक्त होता है,
    वो हमारा वक्त नहीं था…
    पर इसका यह मतलब नहीं कि,
    वोह इश्क़ नहीं था।

    वक्त की सीढ़ियों पे उम्र तेज चलती है,
    जवां रहोगे कोई शौक पाल कर रखो…!

    कभी खिलाफ़ तो कभी साथ होता है,
    इंसान की बर्बादी में वक़्त का भी हाथ होता है !!

    कभी वक्त मिला तो जुल्फें तेरी सुलझा दूंगा,
    आज उलझा हूं जरा वक्त को सुलझाने में।

    वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां,
    हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में हैं।

    सोचा वक़्त से कुछ सौदे कर लूं,
    मुझे क्या पता था की उसकी कीमत
    बचपन की नादानियां होगी !!

    सो रही है दुनिया
    बस एक सपनों का तलबगार जाग रहा है,
    दिन भी छोटे और रातें भी छोटी लगती हैं
    वक्त जैसे जिंदगी से भी तेज भाग रहा है।

    सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना,
    कहीं कोई थक ना जाये तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते।।

    समय शायरी हिंदी में

    वक्त दिखाई नहीं देता है,
    पर बहुत कुछ दिखा जाता है।

    वक्त गूंगा नहीं मोंन है,
    वक्त आने पर बता देंगे किसका कोन है।

    दिन भर जाने कितने लोगों के साथ वक्त बताता हूं
    लेकिन तेरे साथ जब भी होता हूं तो सुकून का वक्त बिताता हूं

    वक्त नहीं लगता दिल को दिल तक आने में,
    पर सादिया लग जाती है एक रिश्ता भूलने में !

    उसे शिकायत है कि मुझे बदल दिया वक्त ने,
    कभी खुद से भी सवाल करना कि क्या तुम वही हो?

    मोहब्बत के भी अपने दायरे हैं हुजूर
    वक्त अच्छा हो तो बेपनाह मिलती है
    वर्ना ये तन्हाई में तनहा तड़पती है।

    वक़्त के साथ वक़्त से ही लड़ रहें है,
    वक़्त के ही खेल में वक़्त से आगे निकल रहें है।

    कह दो उनहें के वो वक़्त-बे-वक़्त याद न आये,
    आये जो करीब मेरे , तो फिर दूर न जाये !!

    फुर्सत निकालकर आओ कभी मेरी महफ़िल में,
    लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में।

    रोके से कहीं हादसा-ए-वक़्त रुका है,
    शोलों से बचा शहर तो शबनम से जला है।।

    वक्त नहीं लगता दिल को दिल तक आने में,
    पर सदियाँ लग जाती है एक रिश्ता भुलाने में…!

    कभी वक्त निकाल के हमसे बातें करके देखना,
    हम भी बहुत जल्दी बातों मे आ जाते है।

    रोना तो खूब चाहता था,
    पर ज़िम्मेदारीयों ने इतना वक्त भी ना दिया मुझे…!

    ऐ वक़्त ज़रा संभल के चल कुछ बूरे,
    लोगो का कहना है कि तू सबसे बुरा है।

    जिन्दगी में अगर बुरे वक्त नही आते
    तो अपनों में छुपे गैर,
    और गैरों में छुपे हुए अपने
    कभी नजर नही आते…

    मैं तो वक्त से हार कर सर झुकाएँ खड़ा था,
    सामने खड़े कुछ लोग ख़ुद को बादशाह समझने लगे।

    कहने को तो सब अपने है,
    पर मुझे अपना कोन मानता है ये वक्त बताता है।

    वक़्त का चक्रव्यूह किसने झेला है,
    जो जीत गया इस जीवन में , वही सही खेल खेला है !!

    बिछडते वक्त मेरे ऐब गिनाये उसने, सोचता हूँ
    जब मिला था तब कौनसा हुनर था मुझमें…!

    वक़्त का एक अलग ही दस्तूर है,
    जिसे दिलों -जान से चाहा, वही सबसे दूर है !!

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