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100+ वक़्त शायरी,Waqt Shayari in Hindi

    100+ वक़्त शायरी,Waqt Shayari in Hindi

    शायद यह वक़्त हम से कोई चाल चल गया,
    रिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढ़ल गया,
    अश्क़ों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही,
    चलो उसी मोड़ से शुरू करें फिर से जिंदगी।

    कितना चालक है मेरा यार भी
    उसने तोहफे मे घडी तो दी है
    मगर कभी वक़्त नहीं दिया

    वक्त की धुंध में छुप जाते हैं ताल्लुक,
    बहुत दिनों तक किसी की आँख से ओझल ना रहिये।।

    जनाब मालूम नहीं था की ऐसा भी एक वक़्त आएगा,
    इन बेवक़्त मौसमों की तरह तू भी क्षणभर में यु बदल जायेगा।

    ऐ बुरे वक्त, जरा अदब से पेश आ,
    वक्त नही लगता वक्त बदलने में।

    बुरा हो वक्त तो सब आजमाने लगते हैं
    बड़ो को छोटे भी आँखे दिखाने लगते हैं
    नये अमीरों के घर भूल कर भी मत जाना
    हर एक चीज की कीमत बताने लगते हैं

    काश इस गुमराह दिल को ये मालूम होता कि,
    मोहब्बत उस वक्त तक ही दिलचस्प होती है
    जब तक नहीं होती है।।

    हर वक्त मेरा वहम नहीं जाता,
    एक बार और कह दो की तुम मेरे हो।।

    ज़िन्दगी की जरूरतें समझिए वक्त कम है फरमाइश लम्बी हैं,
    झूठ-सच, जीत-हार की बातें छोड़िये दास्तान बहुत लम्बी है।।

    वक्त बदलते देर नहीं लगती,
    ये सब कुछ भुला भी देता है सिखा भी देता है।।

    खूब करता है, वो मेरे ज़ख्म का इलाज,
    कुरेद कर देख लेता है और कहता है वक्त लगेगा।।

    मैं तो वक्त से हार कर सर झुकाएँ खड़ा था,
    सामने खड़े कुछ लोग ख़ुद को बादशाह समझने लगे।।

    प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता,
    ना वक्त के साथ ना हालात के साथ।।

    कौन कहता है कि वक्त बहुत तेज है,
    कभी किसी का इंतजार तो करके देखो।।

    लोगों पर भरोसा करते वक्त ज़रा सावधान रहिये,
    क्युकि फिटकरी और मिश्री एक जैसे ही नजर आते है।।

    तो क्या हुआ गर महंगे खिलौने के लिए जेब में पैसे नहीं,
    मैं वक्त देता हूँ मेरे बच्चों को जो अमीरों को मयस्सर नहीं।।

    कितना भी समेट लो हाथों से फिसलता ज़रूर है,
    ये वक्त है दोस्तों बदलता ज़रूर है।।

    फुर्सत निकालकर आओ कभी मेरी महफ़िल में,
    लौटते वक्त दिल नहीं पाओगे अपने सीने में।।

    सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैं,
    देखना हैं जोर कितन बाजू-ए-कातिल में हैं,

    वक्त आने दे बता देंगे तुझे ए आसमां,
    हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में हैं।।

    धीरज का दामन पकड़े पढ़ लेंगे खामोशियों को,
    अभी उलझनों में उलझे हैं वक्त लगेगा गिर कर संभलने में।।

    आदमी के शब्द नहीं,
    वक्त बोलता है।।

    वक़्त लगता है खुद को बनाने मे,
    इसलिए वक़्त बर्बाद मत करो किसी को मानाने में।

    अभी तो थोडा वक्त हैं,
    उनको आजमाने दो,
    रो-रोकर पुकारेंगे हमें,
    हमारा वक्त तो आने दो…

    वक़्त बहुत कुछ, छीन लेता है,
    खैर मेरी तो सिर्फ़ मुस्कुराहट थी।

    जब हम रिश्तों के लिए वक़्त नहीं निकाल पाते
    तब वक़्त हमारे बीच से रिश्ते को निकाल देता है

    शाम का वक्त हो और ‘शराब’ ना हो,
    इंसान का वक्त इतना भी ‘खराब’ ना हो।।

    बेवजह तुम्हें यु याद करना,
    बेवजह दोस्तो को यु परेशान करना,
    फिजूल ही था तुम पर वक्त बर्बाद करना।

    रोने से किसी को पाया नहीं जाता,
    खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता,
    वक़्त सबको मिलता है ज़िन्दगी बदलने के लिए
    पर ज़िन्दगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए.

    ज़मीन पर मेरा नाम वो लिखते और मिटाते हैं,
    वक्त उनका तो गुजर जाता है, मिट्टी में हम मिल जाते हैं।

    वक़्त से पहले हादसों से लड़ा हूँ
    मैं अपनी उम्र से कई साल बड़ा हूँ

    उलझ गया था तुम्हारे दुपट्टे का कोना मेरी घड़ी से,
    वक्त तब से जो रुका है तो अब तक रुका ही पड़ा है।।

    लगा कर हमे आदत अपनी इस मोहब्बत की अब,
    कहते हो दूर रहो हमसे मेरे पास वक़्त नही अब।

    बुरा वक्त तो सबका आता हैं,
    कोई बिखर जाता हैं कोई निखर जाता हैं…

    वक़्त अजीब चीज़ है वक़्त के साथ ढल गए,
    तुम भी बहुत करीब थे अब बहुत बदल गए।

    ना करो हिमाकत किसी के वक़्त पर हसने की
    ये वक़्त है जनाब चेहरे याद रखता है

    कभी वक्त निकाल के हमसे बातें करके देखना,
    हम भी बहुत जल्दी बातों मे आ जाते है।।

    आँखों की नमी बढ़ गई,
    बातों के सिलसिले कम हो गए,
    जनाब ये वक़्त बुरा नहीं है,
    बुरे तो हम हो गए।

    वक्त तू कितना भी सता ले हमे लेकिन याद रख,
    किसी मोड़ पर तुझे भी बदलने पर मजबूर कर देंगे…

    वक़्त बदलने से उतनी तकलीफ नहीं होती,
    जितनी किसी अपने के बदल जाने से होती है.

    कुछ वक़्त ख़ामोश होकर देखा
    लोग सच में भूल जाते हैं

    उसे शिकायत है कि मुझे बदल दिया वक्त ने,
    कभी खुद से भी सवाल करना कि क्या तुम वही हो?

    खफा हम किसी से नहीं जनाब बस जरा वक़्त की कमी है,
    आसमान में उड़ने का एक ख्वाब है और पैरों तले जमीं है।

    जब आप का नाम जुबान पर आता हैं,
    पता नहीं दिल क्यों मुस्कुराता हैं,
    तसल्ली होती है मन को कोई तो है अपना,
    जो हँसते हुए हर वक्त याद आता हैं…

    वक्त बहुत कम है साथ बिताने में,
    इसे न गवांना कभी रूठने मनाने में,
    रिस्ता तो हमने बांध ही लिया है आप से,
    बस थोड़ा सा साथ दे देना इसे निभाने में।

    वक़्त रहता नही कहीं टिककर
    इसकी आदत भी आदमी सी है

    वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक समझते रहे,
    बस यूँही धोके खाते रहे, और इस्तेमाल होते रहे।।

    आँखो में यु समन्दर लिए किनारे कि तलाश में हूँ,
    इस वक्त को वक्त देकर वक्त पाने कि आस में हूँ।

    जिन्दगी में अगर बुरे वक्त नही आते
    तो अपनों में छुपे गैर,
    और गैरों में छुपे हुए अपने
    कभी नजर नही आते…

    वक्त की यारी तो
    हर कोई कर लेता है,
    मजा तो तब है जब
    वक़्त बदले और यार न बदले।

    वक़्त नूर को बे -नूर कर देता है
    छोटे से जख़्म को नासूर कर देता है
    कौन चाहता है अपने से दूर होना
    लेकिन वक़्त सबको मज़बूर कर देता है

    वक़्त जब करवटें बदलता है,
    फ़ित्ना-ए-हश्र साथ चलता है।।

    वक़्त के साथ वक़्त से ही लड़ रहें है,
    वक़्त के ही खेल में वक़्त से आगे निकल रहें है।

    जो रोऊंगा तो पलकों पे नमी रह जायेगी,
    ज़िन्दगी बस नाम की जिन्दगी रह जायेगी,
    ये नहीं कि तुम बिन जी न पाउँगा,
    हाँ मगर जिन्दगी में हर वक्त एक तेरी कमी रह जायेगी…

    वक़्त आने पर
    जवाब देंगे सबको
    लहज़े सबके
    याद हैं

    जिन किताबों पे सलीक़े से जमी वक़्त की गर्द,
    उन किताबों ही में यादों के ख़ज़ाने निकले।।

    वो खूबसूरत बचपन सबको याद आता है,
    जो वक्त के साथ यु बीत जाता है।

    हर वक़्त दिल को जो सताए ऐसी कमी है तू,
    मैं भी ना जानू की इतनी क्यूँ लाज़मी है तू।।

    वो वक़्त भी बहुत खास होता है,
    जब सर पर माता पिता का हाथ होता है।

    वक़्त बर्बाद करने वालों को,
    वक़्त बर्बाद कर के छोड़ेगा।।

    ये वक्त गुजरता रहता है,
    इंसान भी बदलता रहता है,
    संभाल लो खुद को तुम जनाब,
    वक्त खुद चीख कर कहता है।

    जैसे दो मुल्कों को इक सरहद अलग करती हुई,
    वक़्त ने ख़त ऐसा खींचा मेरे उस के दरमियाँ।।

    इश्क़ का लम्हा महज़ एक वक़्त का फ़साना है,
    और वक़्त की तो फ़ितरत ही बदल जाना है।

    चेहरा ओ नाम एक साथ आज न याद आ सके,
    वक़्त ने किस शबीह को ख़्वाब ओ ख़याल कर दिया।।

    सुनो कभी तोहफे में घड़ी दी थी तुमने,
    अब जब भी देखती हूं तो यही ख्याल आता है,
    काश तुम थोड़ा वक़्त भी देते।

    उसकी कदर करने में जरा भी देर मत करना,
    जो इस दौर में भी आपको वक्त देता हो।।

    पैसा कमाने के लिए इतना वक़्त खर्च ना करो की,
    पैसा खर्च करने के लिए ज़िन्दगी में वक़्त ही न मिले।।

    सँवारा वक्त ने उसको जिसने
    वक्त का सही मतलब समझा,
    वरना वक्त का महत्व क्या हैं ये तो
    बस वक्त का मारा ही बता सकता हैं।

    कैसे कहूँ कि इस दिल के लिए कितने खास हो तुम,
    फासले तो कदमों के हैं पर, हर वक्त दिल के पास हो तुम।।

    वो वक्त सी थी जो गुजर गई,
    और मैं यादों सा था जो ठहर गया।

    सब एक नज़र फेंक के बढ़ जाते हैं आगे,
    मैं वक़्त के शो-केस में चुप-चाप खड़ा हूँ।।

    जनाब तौबा करना अपना वक़्त किसी का करने से,
    खुद की ज़िन्दगी का हिसाब नही कराया जाता औरों से।

    रोके से कहीं हादसा-ए-वक़्त रुका है,
    शोलों से बचा शहर तो शबनम से जला है।।

    हर बार वक्त को दोष देना ठीक नहीं हैं,
    कभी कभी ये लोग ही बुरे होते हैं।

    सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का,
    यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का।।

    मेरे और तुम्हारे दरमियां हुनर का अंतर है जनाब,
    क्योंकि हमको सिखाया है वक्त ने,
    और आप को सिखाया है किताब ने।

    उस वक़्त मुझे चौंका देना,
    जब रँग में महफ़िल आ जाए।।

    जनाब सब कुछ तो था उनके पास,
    काश कुछ वक्त भी होता हमारे लिये उनके पास।

    तुम ने वो वक्त कहां देखा जो गुजरता ही नहीं,
    दर्द की रात किसे कहते हैं तुम क्या जानो।।

    वक़्त तो वार करता है,
    अपने भी वार करते हैं,
    पर दर्द तब ज्यादा होता है,
    जब दोनों इकट्ठे वार करते हैं।

    सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना,
    कहीं कोई थक ना जाये तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते।।

    कुछ लोग यहाँ वक्त की तरह होते हैं,
    साथ तो चल सकते हैं,
    पर हमारे लिए रुक नहीं सकते हैं।

    वक्त चाहत नही होती तो तेरे करजज़ार होते,
    एक पल के लिए भी हम तलाबदार न होते।।

    सुनो ये जो वक़्त तुम्हारे बिना गुज़रता है ना,
    बस अपनी ज़िंदगी के इसी हिस्से से बहुत नफ़रत है मुझे।

    आप के दुश्मन रहें वक़्त-ए-ख़लिश सर्फ़-ए-तपिश,
    आप क्यों ग़म-ख़्वारी-ए-बीमार-ए-हिजराँ कीजिये।।

    कितना निराला होता है ना ये बुरा वक़्त भी जनाब,
    कोई अकेला रहना चाहता है,
    तो कमबख्त कोई किसी के साथ।

    कोई ठहरता नहीं यूँ तो वक़्त के आगे,
    मगर वो ज़ख़्म कि जिस का निशाँ नहीं जाता ।।

    ये वक़्त ही था जिसने मुझे बदनाम किया है,
    वरना गिने जाते थे हम भी कभी उन शरीफों में।

    कल मिला वक़्त तो ज़ुल्फ़ें तेरी सुलझा लूंगा,
    आज उलझा हूँ ज़रा वक़्त के सुलझाने में।।

    सुना है कुछ लोगो का वक़्त बुरा सा चल रहा है,
    और वो हैं कि नफरत हम ही से कर रहे हैं।

    जब दिल पे छा रही हों घटाएँ मलाल की,
    उस वक़्त अपने दिल की तरफ़ मुस्कुरा के देख।।

    मैं जिसके साथ होकर वक्त को भूल जाता था,
    वो वक्त के साथ मुझे भूल गयी है।

    वक़्त का खास होना ज़रुरी नहीं,
    खास लोगों के लिये वक़्त होना ज़रुरी हैं।।

    ना उसने मुड़ कर देखा ना हमने पलट कर आवाज दी,
    अजीब सा वक्त था जिसने दोनो को पत्थर बना दिया।।

    ज़िन्दगी की भी अजीब सी कहानी है,
    किसी के साथ हम वक़्त को भूल जाते है,
    तो कोई वक़्त के साथ हमे भूल जाते है।

    वक्त नहीं है किसी के पास,
    जब तक न हो कोई मतलब खास।।

    रात तो वक्त की पाबंद है, ढल जायेगी,
    देखना तो ये है दीयों का सफर कितना होगा।।

    कुछ पल हमारे लिए उधार ले लो,
    वक्त मिले तो हमारे लिए भी कुछ वक्त ले आओ।

    बख्शे हम भी न गए, बख्शे तुम भी न जाओगे,
    वक्त जानता है हर चेहरे को बेनकाब करना।।

    जिन्दगी जख्मो से भरी है वक्त को मरहम बनाना सीख लो,
    हारना तो है एक दिन मौत से फिलहाल जिन्दगी जीना सीख लो।।

    एहसान तुम्हारे एकमुश्त,
    किश्तों में चुकाए हैं हमनें,
    कुछ वक्त लगा पर अश्कों के,
    कुछ सूद चुकाए हैं हमनें।।

    वक्त, मौसम और लोगों की एक ही फितरत होती है,
    कब, कौन और कहाँ बदल जाए कुछ कह नहीं सकते।।

    नये-नये रिश्तों में नई-नई सी महक साथ हैं,
    अब कौन कितनी देर महकेगा, ये वक्त की बात है।।

    राब्ता लाख सही क़ाफ़िला-सालार के साथ,
    हम को चलना है मगर वक़्त की रफ़्तार के साथ।।

    अजनबी शहर में एक दोस्त मिला, वक्त नाम था,
    पर जब भी मिला मजबूर मिला।।

    वक्त जब भी शिकार करता है,
    हर दिशा से वार करता है।।

    वक्त का सितम कम था जो तुम भी शामिल हो गई,
    पर जो भी हो तुम दोनो ने मिलकर बहुत रूलाया है मुझे।।

    तू मुझे बनते बिगड़ते हुए अब ग़ौर से देख,
    वक़्त कल चाक पे रहने दे न रहने दे मुझे।।

    मेरे साथ बैठकर वक्त भी रोया एक दिन,
    बोला बन्दा तु ठिक है..मै ही खराब चल रहा हूँ।।

    अभी साथ था अब खिलाफ है,
    वक्त का भी आदमी जैसा हाल है।।

    वो जो कपडे बदलने का शौक रखते थे,
    आखिरी वक्त न कह पाये कफ़न ठीक नही।।

    दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिए जनाब,
    लोगों के पास वक्त कहां, एहसासों को सुनने का।।

    रोना तो खूब चाहता था,
    पर ज़िम्मेदारीयों ने इतना वक्त भी ना दिया मुझे।।

    वक्त ने बदल दी, तेरे मेरे रिश्ते की परिभाषा,
    पहले दोस्ती, फिर अपनापन और अब अजनबी सा अहसास।।

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