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Thomas Edison Success Story in Hindi, थॉमस एडिसन की सफलता की कहानी

    Thomas Edison Success Story in Hindi, थॉमस एडिसन की सफलता की कहानी

    आज मैं आपको महान आविष्कारक थॉमस एडिसन के बारे में उनसे जुड़ी हुई जीवन की सच्ची घटना पर आधारित प्यारी सी कहानी बताने वाला हूं

    और मुझे पूरा भरोसा है कि वो कहानी आपको बहोत अच्छी लगेगी,तो आपका बिल्कुल भी समय खराब ना करते हुए मैं इस कहानी को शुरू करता हूं

    थॉमस एडिसन की सफलता की कहानी हिंदी में

    एक बार थॉमस एडिसन जब स्कूल से घर आये तो अचानक माँ के पास गए

    उनकी माँ ने कहा कि थॉमस क्या बात है

    आज तुमने जूते भी नही खोले और तुरंत मेरे पास क्यो आये हो?

    एडिसन ने कहा कि माँ आज स्कूल से एक लेटर मिला है और प्रिंसीपल ने कहा है कि सिर्फ माँ को दिखाना तो मैं सबसे पहले आपके पास आ गया

    मा ने वो पूरा लैटर पढ़ लिया और कुछ सोचने लगी

    थोड़ी देर बाद जब बेटे ने पूछा कि माँ मुझे भी बताओ आखिर इस पत्र में लिखा क्या है

    अब उनकी माँ उस लैटर को जोर से पढ़कर सुनाती है, उसमे लिखा है कि

    आपका बेटा स्कूल का सबसे होनहार बच्चा है

    इसलिए इसके लेवल के अध्यापक हमारे पास नही है,इसलिए आगे से आप इसको घर पर ही शिक्षा दे हम आपके बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है

    और ये सोचकर थॉमस ने भी राहत की सांस ली

    उसके बाद थॉमस की पढ़ाई घर पर ही होने लगी

    उनकी माँ ही उनको पढ़ाया करती थी

    इसके कुछ समय बाद उनकी माँ गुजर चुकी थी

    लेकिन उन्होंने थॉमस के दिमाग मे जो बीज बोया था वो काफी कारगर था

    आगे जाकर थॉमस एडिसन ने क्या किया यह आप सभी जानते हो उन्होंने बिजली के बल्ब का आविष्कार किया उन्होंने इनवर्टर के साथ लगने वाली बैटरी बनाई और काफी सारे अविष्कार उन्होंने किए अंततः उन्होंने 1093 पेटेंट अपने नाम पर करवाएं

    लेकिन एक दिन काम करते वक्त उनको माँ की याद आयी वो अपनी माँ से जुड़ी कुछ तस्वीरों को निहार रहे थे तभी

    उनकी नजर एक कागज पर पड़ी

    उन्होंने उस कागज को ध्यान से देखा (क्योंकि उसके शब्द बरसो की पड़ी धूल से धूमिल हो चुके थे ) तो उन्होंने उसको पढ़ने की कोशिश की

    उनको लगा कि ये तो वही पत्र है जो मुझे school से निकाले जाने के बाद मा ने पड़कर सुनाया था

    थॉमस ने वापस उसको पढ़ा

    उसमे लिखा था

    आपका बच्चा मानसिक रूप से बहुत कमजोर है और ये पढ़ नही पाएगा

    हम इस कमजोर बच्चे को हमारे स्कूल में नही पढ़ाएंगे आप इस बालक को कल से विद्यालय ना भेजे

    ये पढ़कर एक बार फिर एडिसन की आंखे भर आयी

    वो सोचने लगे कि अगर मेरी माँ मुझे सच बता देती तो इसका मुझ पर क्या प्रभाव पड़ता

    लेकिन आज थॉमस बात का मर्म समझ चुके थे

    क्योंकि वो ये जानते थे कि एक माँ कभी ये नही चाहती कि उसका बच्चा उसके होते हुए

    अपने आप को कमजोर माने

    और आप भी ये बात जानते हो कि माँ के साथ हमारा कैसा रिश्ता है

    इस दुनिया का सबसे मजबूत रिश्ता

    एक माँ-बेटे/बेटी का रिश्ता है।

    बाद में थॉमस एडिसन ने ये कहा कि उनकी सफलता के पीछे उनकी माँ का बहुत बड़ा हाथ है

    क्योंकि जो बीज उन्होंने थॉमस के दिमाग मे बोया था वो अब वटवृक्ष बन चुका था

    और जिसने कई फल लोगो को खिलाएं

    तो कहानी तो यही खत्म होती है…..

     

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