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50+ स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल विचार, Swami Dayanand Saraswati Quotes In Hindi

    50+ स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल विचार, Swami Dayanand Saraswati Quotes In Hindi

    प्रसिद्ध स्वामी दयानंद सरस्वती उद्धरण हिंदी में

    • मनुष्य को दिया गया सबसे बड़ा वाद्य यंत्र आवाज है।
    • संस्कार ही मनुष्य की आचरण की निब है जितने गहरे संस्कार होते हैं उतने ही अडिग मनुष्य अपने कर्तव्य पर अपने धर्म पर सत्य पर और अपने न्याय पर होता है।
    • हालांकि संगीत भाषा, संस्कृति और समय से परे है, और हालांकि नोट समान हैं, भारतीय संगीत अद्वितीय है क्योंकि यह विकसित, परिष्कृत और धुनों को परिभाषित किया गया है।
    • नुकसान से निपटने में जो महत्वपूर्ण है वह सबक खोना नहीं है। यह आपको सबसे गहरे अर्थों में विजेता बनाता है।
    • मनुष्य की विद्या उसका अस्त्र है धर्म उसका रथ है सत्य उसका सार्थी और भक्ति घोड़े होते हैं।
    • मोह एक अत्यंत बिस्मित जाल है ,जो बाहर से अति सुन्दर और अंदर से अत्यंत कष्टकारी है जो इसमें फसा वो पूरी तरह से उलझ ही गया।
    • जीभ से वही निकलना चाहिए जो अपने ह्रदय में है।
    • एक मूल्य तब मूल्यवान होता है जब मूल्य का मूल्य स्वयं के लिए मूल्यवान होता है।

    स्वामी दयानंद सरस्वती के धार्मिक विचार

    • दुनिया को आप अपना सर्वश्रेठ दीजिये आपके पास भी सर्वश्रेठ ही लौटकर आएगा।
    • जिस मनुष्य को अपने संस्कार की नीब फुट गयी है वो संसार के सुखी मनुष्यो है।
    • अगर आप पर हमेशा अंगुली उठाई जाती रहे तो आप भावनात्मक समय तक खड़े नहीं हो सकते।
    • आप दुसरो को बदंलना चाहते हैं ताकि आप आज़ाद रह सके लेकिन ये कभी ऐसे काम नहीं करता दुसरो को स्वीकार करिये और फिर आप मुक्त हैं।
    • क्षमा करना सबके बस की बात नहीं है क्योंकी ये मनुष्य को सबसे बड़ा बना देता है।
    • सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे भक्ति की मद्दद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो।
    • अगर मनुष्य की मन शांत है चित प्रसंन्न है ह्रदय हर्षित है तो निश्चय ही ये अच्छे कर्मो का फल है।
    • ईश्वर का न रूप है न रंग। वह निराकार और अपार है। संसार में जो कुछ भी दिखाई देता है वह उनकी महानता का वर्णन करता है।

    स्वामी दयानंद सरस्वती के ये प्रेरणादायक विचार

    • परोपकार बुराइयों को दूर करता है, सदाचार का परिचय देता है, और सामान्य कल्याण और सभ्यता को जोड़ता है।
    • ईश्वर का न ही रूप है न रंग है वह दिव्य और आपार है दुनिया में जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वह उसकीं महानता का वर्णन करता है।
    • जब मनुष्य अपने क्रोध पर काबू पा ले काम को काबू में कर ले यश की इच्छा को त्याग दे माया जाल से बिरक्त हो जाय।
    • मद मनुष्य की वो स्थति और दिशा है ,जिसमे वो अपनी मूल कर्तव्यों से भटककर विनास की ओड चला जाता है।
    • नुक्सान से निपटने में सबसे ज़रूरी चीज़े है उससे मिलने वाले सबक को न भूलना वो आपको सही विजेता बनाता है।
    • वर्तमान जीवन के कार्य थोक अंध भाग्य के भरोसे से अधिक महत्वपूर्ण हैं।
    • अच्छा और बुद्धिमान वही है जो हमेशा सच बोलता है, सदाचार के अनुसार काम करता है और दूसरों को अच्छा और खुश करने की कोशिश करता है।
    • शिक्षा पर दयानंद सरस्वती उद्धरण
    • लोभ वो गुण है जो दिन पर दिन बढ़ते जाता है जब तक मुनष्य का बिनाश न कर दे।
    • अहंकार मनुष्य के अंदर वो इस्थिति लाता है जब वह आत्मबल और आत्मज्ञान को खो देता है।
    • गीत व्यक्ति के मर्म के आह्वान करने में मद्दद करता है और बिना गीत के मर्म को छूना मुश्किल है।
    • लोगो को कभी भी चित्रों की पूजा नहीं करनी चाहिए मानसिक अन्धकार का प्रसार मूर्तिपूजा के प्रचलन का कारण है।

     

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