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प्रवचन और गुस्सा, Pravachan Aur Gussa

    प्रवचन और गुस्सा, Pravachan Aur Gussa

    प्रवचन और गुस्सा

    काफी समय पहले की बात है एक बार एक महात्मा गाँव मे

    प्रवचन दे रहे थे अपने तीन चार शिष्यों के साथ में बैठे और
    धीरे-धीरे उनके प्रवचन में कई शिष्य संयुक्त होने लगे
    अब आप जानते हो कि सभी लोगों का स्वभाव अलग-अलग होता है

    महात्मा उपदेश दे रहे थे तो बीच में उपदेश देते वक्त एक ऐसी बात थी निकल के आई

    जो कि एक सत्य था और एक शिष्य को यह बात दिल में चुभ गई

    उस वक्त वह खड़ा होकर उन महात्माजी को गंदी-गंदी गालियां देने लग गया

    और वह बुरे बुरे वाक्य बोलने लगा यह  सुनकर बाकी के शिष्य काफी परेशान हुए

    और उन्होंने महात्मा जी से आज्ञा लेनी चाहिए कि आप बताइए कि इस मानव के इस

    दुर्व्यवहार से अगर आपको परेशानी हुई है तो हम इसको मजा चखाते हैं लेकिन
    महात्मा ने कहा कि आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है

    जो होगा वह आप ही आप देख लेना

    दोस्तों हुआ कुछ कि 2 से 3 घंटे बाद भी उस आदमी का  गुस्सा चरम पर था

    और जैसे ही वह घर पहुंचा उसके मन में उस वक्त यह खयाल आ रहा था कि

    महात्मा जी अपने आप को समझते क्या है वह इस तरीके से कैसे कह सकते है

    तो धीरे-धीरे जब वक्त गुजरता गया उसका गुस्सा शांत होता गया तो

    उसको बाद में यह अपनी गलती का अहसास हुआ और

    जब सुबह उठा तो  वह पूरी तरह से बदल चुका था और वह उनसे क्षमा माँगना

    करने के लिए गया और जब वहां गया तो वहां महात्मा वहा नही थे

    वो दूसरे गांव में चले गए
    लेकिन संदेश अच्छा देकर गए
    इस कहानी में हमें यह देखने को मिलता है कि अगर लोग आपसे कुछ कहते हैं

    और आप उनको रिप्लाई नहीं करते तो इसका मतलब यह है कि उनकी बात पर

    ध्यान  नहीं दिया आपके पास इतना फालतू समय नही की आप लोगो के बारे

    मे सोचे  वैसे तो इससे आपका ही क्षति है
    सामने वाला अगर आपको भला-बुरा कह रहा है उसको क्या नुकसान है

    कोई चीज अगर आपको नहीं पसंद तो आप नहीं लेते

    और उस वक्त महात्मा जी ने अपने बाकी की शिष्यों से यही कहा कि

    कोई आपको गाली निकाल ले तो उसका क्या है इससे आप पर तो कोई फर्क

    नहीं पड़ता अगर फर्क पड़ता है इसका मतलब यह है कि सामने वाले ने जो

    आपसे इस तरीके का बर्ताव किया इससे आप पर फर्क नही पड़ना चाहिए

    आशा करता हूं कि  इससे आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा तो अगर

    आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो आप इसे बाकी के दोस्तों के साथ भी

    शेयर करिए अच्छा लगता है और अगर इसमें कोई कमियां है तो आप मुझे

    फीडबैक जरूर दीजिए मैं वक्त के साथ-साथ अपनी सारी कमियों को दूर करता हूं

    क्योंकि मेरा यह मानना है कि कोई भी चीज
    कभी भी उत्तम नहीं होती है

     

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