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10+ गणतंत्र दिवस पर कविता, Poems for Republic Day in Hindi

    10+ गणतंत्र दिवस पर कविता, Poems for Republic Day in Hindi

    कविता 1 – गणतंत्र दिवस कविता |
    आओ तिरंगा लहराये

    आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये;

    अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

    अपना 70वाँ गणतंत्र दिवस खुशी से मनायेगे;

    देश पर कुर्बान हुये शहीदों पर श्रद्धा सुमन चढ़ायेंगे।

    26 जनवरी 1950 को अपना गणतंत्र लागू हुआ था,

    भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने झंड़ा फहराया था,

    मुख्य अतिथि के रुप में सुकारनो को बुलाया था,

    थे जो इंडोनेशियन राष्ट्रपति, भारत के भी थे हितैषी,

    था वो ऐतिहासिक पल हमारा, जिससे गौरवान्वित था भारत सारा।

    विश्व के सबसे बड़े संविधान का खिताब हमने पाया है,

    पूरे विश्व में लोकतंत्र का डंका हमने बजाया है।

    इसमें बताये नियमों को अपने जीवन में अपनाये,

    थाम एक दूसरे का हाथ आगे-आगे कदम बढ़ाये।

    आओ तिरंगा लहराये, आओ तिरंगा फहराये,

    अपना गणतंत्र दिवस है आया, झूमे, नाचे, खुशी मनाये।

     

    कविता 2 – हिंदी गणतंत्र दिवस कविता |
    मुझको मेरा देश पसंद है

    मुझको मेरा देश पसंद है,

    इसका हर संदेश पसंद है,

    इसकी मिट्टी में मुझको,

    आती सोंधी सी सुगंध है,

    इसकी हर एक बात निराली,

    इसकी हर सौगात निराली,

    इसके वीरों की गाथा सुन,

    आती एक नई उमंग हैं,

    कितनी भाषा कितने लोग,

    हर एक की एक नई है सोच,

    संस्कृति सभ्यता भले ही हो भिन्न,

    मिलते एकता के चिन्ह,

    जो गर देश पर आ जाये आंच,

    एक होकर सब आते साथ,

    मेरा देश है बड़ा महान,

    ये है एक गुणों की खान,

    देखी हमने सारी दुनिया,

    पर देखा ना भारत जैसा,

    इस मिट्टी में जन्म लिया है,

    इसकी हवाओं की ठंठक से,

    साँसे पाती नया जन्म है,

    मुझको मेरा देश पसंद हैं।

     

    कविता 3 – गणतंत्र दिवस कविता |
    देखो 26 जनवरी है आयी

    देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।

    अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।

    हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,

    लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन,

    नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,

    अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,

    2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।

    सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है,

    आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है,

    संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है,

    लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है,

    गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।

     

    कविता 4 – छात्रों के लिए गणतंत्र दिवस कविता |
    आज तिरंगा फहराते है

    आज तिरंगा फहराते है

    अपनी पूरी शान से

    हमें मिली आजादी

    वीर शहीदों के बलिदान से!!

    आजादी के लिए हमारी

    लंबी चली लड़ाई थी

    लाखों लोगों ने प्राणों से

    कीमत बड़ी चुकाई थी!!

    व्यापारी बनकर आए और

    हम पर छल से शासन किया

    हमको आपस में लड़वाने की

    नीति पर उन्होंने काम किया!!

    हमने अपना गौरव पाया

    अपने स्वाभिमान से

    हमें मिली आज़ादी

    वीर शहीदों के बलिदान से!!

    गांधी, तिलक, सुभाष,

    जवाहर का प्यारा यह देश है

    जियो और जीने दो का

    सबको देता संदेश है!!

    लगी गूंजने दसों दिशाएं

    वीरों के यशगान से

    हमें मिली आजादी वीर

    शहीदों के बलिदान से!!

    हमें हमारी मातृभूमि से

    इतना मिला दुलार है

    उसके आंचल की छाया से

    छोटा यह संसार है!!

    विश्व शांति की चली हवाएं

    अपने हिंदुस्तान से

    हमें मिली आज़ादी

    वीर शहीदों के बलिदान से!!

     

    कविता 5 – गणतंत्र दिवस पर हिंदी कविता |
    गणतंत्र दिवस का है अवसर

    गणतंत्र दिवस का है अवसर,

    हिस्सा लें इसमें बढ़ चढ़ कर,

    निकाल के अपने सारे डर,

    बढ़ते चले जीवन पथ पर,

    इस पावन दिन ये ध्यान करें,

    संविधान का सब सम्मान करें,

    इतने सारे अधिकार जो दे,

    सदा समर्पित उसको प्राण करें,

    संविधान ने हर अधिकार दिया,

    सबका सपना साकार किया,

    शोषित वर्षों से था भारत,

    उसको एक नया आकार दिया,

    लोगों के मन में ना हो भय,

    इसलिए सरकार की सिमा तय,

    अधिकारों से जो वंचित हैं,

    जा सकता है वो न्यायालय,

    पुरखों ने पुख्ता काम किया,

    संविधान हमारे नाम किया,

    चर्चा हर एक धारा पर,

    सुबह से लेकर शाम किया,

    देश की ऊँची शान करें,

    तिरंगे का गुणगान करें,

    राष्ट्र हित में जो अनिवार्य,

    बिना कहे योगदान करें।

     

    कविता 6 – बच्चों के लिए गणतंत्र दिवस कविता |
    यह मेरा आजाद तिरंगा

    यह मेरा आजाद तिरंगा

    लहर लहर लहराए रे

    भारत माँ मुस्काए तिरंगा

    लहर लहर लहराए रे!!

    इस झंडे का बापू जी ने

    कैसा मान बढ़ाया है

    लाल किले पर नेहरू जी

    ने यह झंडा फहराया!!

    माह जनवरी छब्बीस को हम

    सब गणतंत्र मनाते

    और तिरंगे को फहरा कर,

    गीत ख़ुशी के गाते!!

     

    कविता 7 – गणतंत्र दिवस के लिए कविता हिंदी में |
    आज तिरंगा फहराया

    नील गगन में बड़ी शान से, आज तिरंगा फहराया

    भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

    पराधीन भारत माता ने, जाग के ली अंगडाई थी

    वीरों की टोली की टोली , शीश चढाने आयी थी

    आज़ादी की जंग चली जब, देख फिरंगी घबराया

    भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया !

    हाथ तिरंगा तान के सीना, बढ़ते थे जब बलिदानी

    भारत माँ की आज़ादी को, जान की भी दी कुर्वानी

    आज़ादी के मतवालों ने, इसे देश में लहराया

    भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

    शत शत नमन है उन वीरों को, आज़ादी थी दिलवाई

    फांसी के फंदे पर झूले, सीने पर गोली खाई

    कितने अत्याचार सहे थे, जेलों में जब ठूसवाया

    भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

    जाति धर्म का भेद न, सबको समता का अधिकार है

    मौके सबको मिले बराबर, कोई नहीं लाचार है

    अनुपम सविधान है अपना, जिसको हमने अपनाया

    भारत का गणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया !

    वोट डालकर सभी बनाते, भारत की सरकार यहाँ

    जनता है सर्वोच्च यहाँ पर, नेता चौकीदार यहाँ

    जब जनता ने चाहा, सत्ता में बदलाव सहज आया

    भारत का गंणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया!

     

    कविता 8 –गणतंत्र दिवस पर कविता |

    मत घबराओ, वीर जवानों

    मत घबराओ, वीर जवानों

    वह दिन भी आ जाएगा।

    जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।

    कोई वीर अभिमन्यु बनकर ,

    चक्रव्यू को तोड़ेगा

    कोई वीर भगत सिंह बनकर अंग्रेजो के सिर फोढेगा।।

    धीर धरो तुम वीर जवानों ,

    मत घबराओ वीर जवानों

    वह दिन भी आ जायेगा

    जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।

    कलकल करती गंगा यमुना ,

    जिसके गुण ये गाती हैं

    भारत की इस पुण्य धरा में,

    अपना गुंजार सुनती हैं।।

    आज तिरंगे के रंगों को फीका नहीं होने देगे

    इस तिरंगे की शान के लिए ,

    अपना सर्वस्व लूटा देगे।।

    अब मत घबराओ वीर शहीदों ,

    मत घबराओ वीर जवानों

    वह दिन भी आ जायेगा ,

    जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।

    वीर अमर शहीदों की कुर्बानी को,

    कोई भुला ना पाएगा

    जब आत्याचार बढ़ेगा धरती पर,

    एक महापुरुष आ जायेगा

    मत घबराओ वीर जवानों

    जब भारत का बच्चा बच्चा देशभक्त बन जाएगा।।

    कविता 9 – दिल को छू लेने वाली गणतंत्र दिवस कविता

    अमर वो उनकी बलीदानी याद रहे….।

    अमर वो उनकी बलीदानी याद रहे…..।

    सालो से सालो तक न हो बात पुरानी,

    आजाद हीन्द का तीरन्गा रहे हमेशा उच्चा ।

    खुशनसीब है हम जो ये तेरे जन्म हम लीये ,

    यहा की मीट्टी की खुशबु,

    यहा की हवाये का अपनापन ।

    हर दिल में राष्ट्रगान का सम्मान करें।

    अगर झुकने लगे जो तीरन्गा,

    तो हम बलीदान कर दे खुद को,

    सर कटा दे पर सर झुका सकते नही,

    हिन्दुस्तान है सोने की चीडीया,

    ईशाइ ,सिख, हिन्दु हो या मुस्लीम हम जो भी हो..

    हम जहा भी रहे,

    सिर्फ हिन्दुस्तानी रहे…….

    अमर वो उनकी बलीदानी याद रहे…।

    कविता 10 – हिन्दी गणतंत्र दिवस कविताएँ

    तेरी जिंदगी से बहुत दूर चले जाना है,

    फिर न लौट कर इस दुनिया में आना है,

    बस अब बहुत हुआ,

    अब किसी का भी चेहरा इस दिल में कभी नहीं बसाना है,

    तुम्हारी जिंदगी में अब मैं नहीं,

    तुम्हारी जिंदगी में अब कोई और सही,

    पर मेरे दिल में तुम हमेशा रहोगे,

    मेरा अधूरा ख्वाब बनकर, मेरे हमनशीं,

    न कर मुझे याद करके मुझपर और एहसान,

    ऐसा न हो मुझे पाने की तमन्ना में,

    चली जाए तेरी जान,

    मैं भी कोशिश करूँगा भुलाने की तुझे,

    नहीं तो हो जाऊँगा तेरे नाम पर कुर्बान ,

    हसरतें दिल में दबी रह गयी,

    तुझे पाकर भी जिंदगी में कुछ कमी रह गयी,

    आँखों में तड़प और दिल में दर्द अब भी है,

    न जाने तेरे जाने के बाद भी,

    आँखों में नमी रह गयी,

    मन करता है जो दर्द है दिल में,

    बयां कर दूँ हर दर्द तुझसे,

    अब ये दर्द छुपाए नहीं जाते,

    लेकिन नहीं कह सकता कुछ तुझसे,

    क्योंकि दिलो के दर्द दिखाए नहीं जाते!

    कविता 11 – हिंदी में गणतंत्र दिवस के लिए कविता
    विजय पर्व गणतंत्र दिवस है

    नव भारत की नव पहचान,

    कोटि कोटि जनता ने पाया

    अपना निर्मित नया विधान।

    हुए सभी हम भारतवासी

    अपनी किस्मत के निर्माता,

    अंग्रेजी काले नियमों से

    मुक्त हो गई भारतमाता।

    बिना भेद के पाई सबने

    एक अनोखी अवसर – समता,

    जनता ने पहचानी फिर से

    विश्व – पटल पर अपनी क्षमता।

    लहर लहर कर नीलगगन में

    लगा फहरने भारत का ध्वज,

    एक राष्ट्र में बँधकर महकी

    संप्रभुता से गर्वोन्नत रज।

    जनता को सर्वोच्च समझकर

    लोकतंत्र हमने अपनाया,

    धर्मों से निरपेक्ष रहे हम

    राष्ट्रगान को मिलकर गाया।

    वीर शहीदों की कुर्बानी

    व्यर्थ नहीं जाने पाएगी,

    देशप्रेम की भीनी खुशबू

    जन गण मन को महकाएगी।

    हो सद्भाव सभी के मन में

    कहीं न हो आतंकी दंगा,

    अमर रहे गणतंत्र हमारा

    रहे फहरता सदा तिरंगा।

     

    कविता 12 – गणतंत्र दिवस के लिए कविता |
    अमर वो उनकी बलिदानी याद रहे

    अमर वो उनकी बलिदानी याद रहे!!

    सालो से सालो तक न हो बात पुरानी,

    आजाद हिन्द का तिरंगा रहे हमेशा ऊँचा।

    खुशनसीब है हम जो ये तेरे जन्म हम लीये ,

    यहा की मीट्टी की खुशबु,

    यहा की हवाये का अपनापन ।

    हर दिल में राष्ट्रगान का सम्मान करें !!

    अगर झुकने लगे जो तिरंगा,

    तो हम बलिदान कर दे खुद को,

    सर कटा दे पर सर झुका सकते नही,

    हिन्दुस्तान है सोने की चिड़िया,

    ईसाई ,सिख, हिन्दु हो या मुस्लिम हम जो भी हो।

    हम जहा भी रहे,सिर्फ हिन्दुस्तानी रहे !!

    अमर वो उनकी बलिदानी याद रहे!!

     

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