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गर्मी ऋतु पर कविता,Poem on Summer Season in Hindi

    गर्मी ऋतु पर कविता,Poem on Summer Season in Hindi

    मौसम गरमी का

    गरम तवे सी तपती धरती, मौसम गर्मी का

    लू की लपटे आंधी अंधड़ मौसम गर्मी का

    घर से बाहर निकल न पाएं सब दुबके बैठे

    आने जाने पर पाबंदी, मौसम गर्मी का

    टप टप चुए पसीना तन से मुश्किल है जीना

    कैसा आया गर्म महीना, मौसम गर्मी का

    सुबह सुबह ही सूरज दादा आएं रॉब जमाते

    तिल सी रातें ताड़ हुए दिन मौसम गर्मी का

    शरबत आइसक्रीम जलजीरा ठंढाई लस्सी

    ए सी कूलर पंखे साथी मौसम गर्मी का

    घास ढूंढती गोरी गैया सोन चिरैया प्यासी

    पानी पानी सबका मौसम गर्मी है

     

    लगा रही लू चांटा

    एक बार फिर से मौसम ने

    सूरजजी को डांटा

    कम्बल कोट रजाई भागे

    कहकर सबको टाटा

    छत पर चढ़कर धूप सेंकना

    नहीं किसी को भाता

    फ्रिज, कूलर एवं पंखों से

    जुड़ा सभी का नाता

    भरी दुपहरी आग बरसती

    सड़कों पर सन्नाटा

    दुबक गये सब घर के अंदर

    लगा रही लू चांटा

    गरमागरम चाय सब भूल गए

    सिरप का स्वाद बहुत अच्छा होता है

    पेय अनगिनत लेकिन गन्ने

    का रस रंग जमाता

     

    जल्दी से आ जाते “रेखा लोढ़ा स्मित”

    कंधे अब तो थके हमारे

    स्वेटर का वजन उठाते

    दिवस क्यों नही गर्मी वाले

    अब जल्दी से आ जाते

    आए मजा नहाने में भी

    तन मन हल्का फुल्का हो

    जाएं सुबह सैर को हम भी

    मिले रंगीली तितली को

    खेल खेलकर न्यारे न्यारे

    हम लम्बी दौड़ लगाते

    दिवस क्यों नहीं गर्मी वाले

    अब जल्दी से आ जाते

    ठंडा पानी जूस शिकंजी

    पीएं जितना मन माने

    हम पापा के संग रोज ही

    जा पाएं कुल्फी खाने

    देकर सभी परीक्षाएं हम

    छुट्टी रोज मना पाते

    दिवस क्यों नहीं गर्मी वाले

    अब जल्दी से आ जाते

    लूटें हम भी मजे आम के

    नाना जी के घर जाकर

    लाड़ करेगे दादा दादी

    चाचा हमें गाँव ले जाते

    किस्से भी रोज सुनाते

    दिवस क्यों नहीं गर्मी वाले

    अब जल्दी से आ जाते

     

    क्या गर्मी है “विनोद भृंग”

    भरी दुपहरी चलती है लू, क्या गर्मी है

    बातें करती सनन सनन सू क्या गर्मी है

    सूरज कैसी आँख दिखाए

    देख पसीना छूटा जाए

    चैन सभी का हुआ उड़न छू

    क्या गर्मी है

    खरबूजों का मौसम आया

    आम देखकर जी ललचाया

    मन भाए लीची की खुशबु

    क्या गर्मी है

    बिजली भागी भागा पानी

    आए याद सभी को नानी

    हा हा हा सब भूल गए

    हू हू क्या गर्मी है

     

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