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10+ Best Poem on New Year in Hindi, नव वर्ष पर कविता

    10+ Best Poem on New Year in Hindi, नव वर्ष पर कविता

    हिंदी में नए साल पर कविता: Hindi Poem on New Year

    नव वर्ष पर कविता | Poem on New Year in Hindi

    नए साल की शायरी हिंदी में

    युवकों को-
    यह शीत, प्रीति का वक्त, मुबारक तुमको,
    हो गर्म नसों में रक्त मुबारक तुमको।

    नवयुवकों को-
    तुमने जीवन के जो सुख स्वप्न बनाए,
    इस वर्ष शरद में वे सब सच हो जाएँ।

    बालकों को-
    यह स्वस्थ शरद ऋतु है, आनंद मनाओ।
    है उम्र तुम्हारी, खेलो, कूदो, खाओ।

    –हरिवंशराय बच्चन

     

    नए साल की कविता

    नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है,
    खुशियों की बस इक चाहत है।

    नया जोश, नया उल्लास,
    खुशियाँ फैले, करे उजास।

    नैतिकता के मूल्य गढ़ें,
    अच्छी-अच्छी बातें पढें।

    कोई भूखा पेट न सोए,
    संपन्नता के बीज बोए।

    ऐ नव वर्ष के प्रथम प्रभात,
    दो सबको अच्छी सौगात।

     

    नए साल में (कविता)

    नए साल में
    प्यार लिखा है
    तुम भी लिखना।

    प्यार प्रकृति का शिल्प
    काव्यमय ढाई आखर
    प्यार सृष्टि पयार्य
    सभी हम उसके चाकर।

    प्यार शब्द की
    मयार्दा हित
    बिना मोल, मीरा-सी-बिकना।

    प्यार समय का कल्प
    मदिर-सा लोक व्याकरण
    प्यार सहज संभाव्य
    दृष्टि का मौन आचरण।

    प्यार अमल है ताल
    कमल-सी,
    उसमें दिखना।

    Naye Saal Par Kavita

    सुनहरे सपनों की झंकार, लाया है नववर्ष
    खुशियों के अनमोल उपहार लाया है नववर्ष

    आपकी राहों में फूलों को बिखराकर लाया है नववर्ष
    महकी हुई बहारों की ख़ुशबू लाया है नववर्ष

    अपने साथ नयेपन का तूफान लाया है नववर्ष
    स्नेह और आत्मीयता से आया है नववर्ष

    सबके दिलों पर छाया है नववर्ष
    आपको मुबारक हो दिल की गराईयों से नववर्ष।

    नव वर्ष कविता हिंदी में

    नए वर्ष में नई पहल हो
    कठिन ज़िंदगी और सरल हो।

    अनसुलझी जो रही पहेली
    अब शायद उसका भी हल हो।

    जो चलता है वक्त देखकर
    आगे जाकर वही सफल हो।

    नए वर्ष का उगता सूरज
    सबके लिए सुनहरा पल हो।

    समय हमारा साथ सदा दे
    कुछ ऐसी आगे हलचल हो।

    खुशियों के चौक हर दरवाजे को भर देते हैं
    सुखमय आँगन का हर पल हो
    सभी के लिए ये नया साल मंगलमय हो।

    Naye Saal Par Kavta Hindi

    आने वाला पल
    गुजर जायेगा एक दिन
    गुजरा हुआ पल
    याद आएगा एक दिन।

    क्यो गिनते रहते है हम
    यूं पल छिन छिन
    पानी की तरह इनका
    रुक सकना नहीं मुमकिन।

    ये रिश्ते, ये नाते
    ये दोस्त, ये दुश्मन
    क्यूँ ईजाद कर रहे है
    हम ये उलझन।

    क्यूँ जकड़ रखा है
    जंजीरों मे खुद को
    जिस्म को छोड़ के रूह भी
    उड़ जाएगी एक दिन।

    क्यूँ घूमते फिरते हो
    यूं हैरान, परेशान
    लोग मिलेंगे बिछड़ेंगे
    बस याद आयेगा एक दिन।

    खोल दो सारी जंजीरों को
    जो उड़ने नहीं देती
    खुली हवा मे तुम भी
    सांस ले पाओगे एक दिन।

    जिंदगी मे क्या हुआ क्या नहीं
    क्या खोया क्या मिल गया
    सब कुछ भूल कर खुश रहो
    हर एक पल एक दिन।

    आने वाला पल
    गुजर जायेगा एक दिन
    गुजरा हुआ पल
    याद आएगा एक दिन।

    नए साल की शायरी हिंदी में

    भूल के बीती बातों को,
    एक नए मुकाम को पाना है,
    नए साल में हमको एक,
    नया इतिहास रचाना है।
    ऊपर हमको उठना है अब,
    उत्साह न ये गिर ने पाए,
    छेड़ें ऐसा संगीत नया,
    पूरी दुनिया ही जो गाये,
    रुकना नहीं है अब हमको,
    आगे कदम बढ़ाना है,
    नए साल में हमको एक,
    नया इतिहास रचाना हैं।

    नए साल पर हिंदी में कविता

    नया साल है नई उमंग,
    नई आस है जीवन में।
    नई सोच है, नई तरंगे,
    नई प्यास है जीवन में।
    करना है कुछ नया नया अब,
    नई बहार है जीवन में।
    सपनों को सच करना है अब,
    नई चाह है जीवन में।
    करना है कुछ खुद से वादा,
    आगे बढ़ना है जीवन में।
    बीते पल में जो मिली निराशा,
    भूलना है उसे जीवन में।
    नया साल है नई उमंग,
    नई आस है जीवन में।

     

    नया साल मुबारक हो (कविता)

    झाड़ियों के उलझाव से
    बाहर निकलने की कोशिश में
    बैलों के गले में बँधी घंटियाँ बोल उठीं
    नया साल मुबारक हो।

    बिगड़ी गाड़ी को
    बड़ी देर से ठीक करने में जुटा मैकेनिक
    उत्तान गाड़ी के नीचे से स्वर में बोला
    नया साल मुबारक हो।

    बरसों से मंगली लड़का ढूँढ़ते-ढूँढ़ते परेशान माँ-बाप को देख
    नीबू के पत्ते की नोक पर ठिठकी
    जनवरी की ओस ने कहा
    नया साल मुबारक हो।

    कल बुलडोजर की आसानी के लिए
    आज घर को चिह्नित करते कर्मचारी को देख
    घर का छोटा बच्चा दूर से ही बोला पंचम में
    नया साल मुबारक हो अंकल
    नया साल मुबारक हो…

    नई सुबह (कविता)

    चलो,
    पूरी रात प्रतीक्षा के बाद
    फिर एक नई सुबह होगी
    होगी न,
    नई सुबह?
    जब आदमियत नंगी नहीं होगी
    नहीं सजेंगीं हथियारों की मंडिया
    नहीं खोदी जायेगीं नई कब्रें
    नहीं जलेंगीं नई चिताएँ
    आदिम सोच, आदिम विचारों से
    मिलेगी निजात
    होगी न,
    नई सुबह?
    सब कुछ भूल कर
    हम खड़े हैं
    हथेलियों में सजाये
    फूलों का बगीचा,
    पूरी रात जाग कर
    फिर एक नई सुबह के लिए
    होगी न
    नई सुबह?

    नव वर्ष पर कविता

    आरंभ का अंत हो जाना नया साल है।
    गिनती का नंबर बदल जाना नया साल है।
    वर्तमान का इतिहास बन जाना नया साल है।
    उदये होते हुये सूरज का ढल जाना नया साल है।
    खिल के फूल का डाल से उतर जाना नया साल है।
    दे के जनम मां का आंचल ममता से भर जाना नया साल है।
    एक दर्द भूल कर सुख को पेहचान जाना नया साल है।

    नए साल पर हिंदी कविताएं

    नव वर्ष के आगमन पर
    प्रेम गीत गाएं

    सहज सरल मन से
    सब को गले लगाए

    उच्च और निम्न अंतर कीमत k
    अंतर को मिटाएं

    नव वर्ष के आगमन पर
    प्रेम गीत गाएं

    शिक्षा का उजियारा हम
    घर घर पहुंचाएं

    पर्यावरण की चिंता करे
    पेड़ फिर लगाए

    नव वर्ष के आगमन पर
    प्रेम गीत गाएं

    स्वच्छता अभियान को
    समझें समझाएं

    योग प्राणायाम करने से निरोगी
    हम हो जाएं

    नव वर्ष के आगमन पर
    प्रेम गीत गाएं

    देश प्रेम का जज्बा सभी
    जन मन में लाएं

    माँ भारती के चरणों में
    शीश सब झुकाएं

    नव वर्ष के आगमन पर
    प्रेम गीत गाएं

    नव वर्ष आया है द्वार (कविता)

    मंगल दीप जलें अम्बर में
    मंगलमय सारा संसार
    आशाओं के गीत सुनाता
    नव वर्ष आया है द्वार

    स्वर्ण रश्मियाँ बाँध लड़ी
    ऊषा प्राची द्वार खड़ी
    केसर घोल रहा है सूरज
    अभिनन्दन की नवल घड़ी
    चन्दन मिश्रित चले बयार
    नव वर्ष आया है द्वार

    प्रेम के दीपक नेह की बाती
    आँगन दीप जलाएँ साथी
    बदली की बूँदों से घुल मिल
    नेह सुमन लिख भेजें पाती
    खुशियों के बाँटें उपहार
    नव वर्ष आया है द्वार

    नव निष्ठा नव संकल्पों के
    संग रहेंगे नव अनुष्ठान
    पर्वत जैसा अडिग भरोसा
    धरती जैसा धीर महान
    सुख सपने होंगे साकार
    नव वर्ष आया है द्वार

    आओ, नूतन वर्ष मना लें (कविता)

    आओ, नूतन वर्ष मना लें!

    गृह-विहीन बन वन-प्रयास का
    तप्त आँसुओं, तप्त श्वास का,
    एक और युग बीत रहा है, आओ इस पर हर्ष मना लें!
    आओ, नूतन वर्ष मना लें!

    उठो, मिटा दें आशाओं को,
    दबी छिपी अभिलाषाओं को,
    आओ, निर्ममता से उर में यह अंतिम संघर्ष मना लें!
    आओ, नूतन वर्ष मना लें!

    हुई बहुत दिन खेल मिचौनी,
    बात यही थी निश्चित होनी,
    आओ, सदा दुखी रहने का जीवन में आदर्श बना लें!
    आओ, नूतन वर्ष मना लें!

    -हरिवंशराय बच्चन

    नए साल पर हिंदी में कविता

    ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
    है अपना ये त्यौहार नहीं
    है अपनी ये तो रीत नहीं
    है अपना ये व्यवहार नहीं
    धरा ठिठुरती है सर्दी से
    आकाश में कोहरा गहरा है
    बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
    सर्द हवा का पहरा है
    सूना है प्रकृति का आँगन
    कुछ रंग नहीं, उमंग नहीं
    हर कोई है घर में दुबका हुआ
    नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
    चंद मास अभी इंतज़ार करो
    निज मन में तनिक विचार करो
    नये साल नया कुछ हो तो सही
    क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
    उल्लास मंद है जन-मन का
    आयी है अभी बहार नहीं
    ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
    है अपना ये त्यौहार नहीं
    ये धुंध कुहासा छंटने दो
    रातों का राज्य सिमटने दो
    प्रकृति का रूप निखरने दो
    फागुन का रंग बिखरने दो
    प्रकृति दुल्हन का रूप धार
    जब स्नेह–सुधा बरसायेगी
    क्रॉप-ब्लैक मदर अर्थ
    घर-घर खुशहाली लायेगी
    तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
    नव वर्ष मनाया जायेगा
    आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
    जय गान सुनाया जायेगा
    युक्ति–प्रमाण से स्वयंसिद्ध
    नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
    आर्यों की कीर्ति सदा-सदा
    नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
    अनमोल विरासत के धनिकों को
    चाहिये कोई उधार नहीं
    ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
    है अपना ये त्यौहार नहीं
    है अपनी ये तो रीत नहीं
    है अपना ये त्यौहार नहीं।

    गया साल (कविता)

    जैसे -तैसे गुज़रा है
    पिछले साल

    एक-एक दिन बीता है
    अपना
    बस हीरा चाटते हुए
    हाथ से निबाले की
    दूरियाँ
    और बढ़ीं, पाटते हुए

    घर से, चौराहों तक
    झूलतीं हवाओं में
    मिली हमें
    कुछ झुलसे रिश्तों की
    खाल

    व्यर्थ हुई
    लिपियों-भाषाओं की
    नए-नए शब्दों की खोज
    शहर
    लाश घर में तब्दील हुए
    गिद्धों का मना महाभोज

    बघनखा पहनकर
    स्पर्शों में
    घेरता रहा हमको
    शब्दों का
    आक्टोपस-जाल

    नए साल पर हिंदी में कविता

    अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा
    है उल्लासित फिर जग सारा
    नई डगर है नया सवेरा, खुशियों से भरा नज़ारा
    अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा….

    ओस सुबह की है फिर चमकी, बिखरा करके छ्टा निराली
    चेहरे दमके बगियाँ महकी, घर घर होली और दीवाली
    फिर खिलकर फूल सतरंगे, हो प्रतिबिंबित तब सरिता में
    प्रकृति को क्या खूब सँवारा…..
    अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा….

    हो उत्साहित गोरन्वित हम, लिए सोच में वही नयापन
    निकल पड़े कुछ कर पाने को, नई दिशाएँ दर्शाने को
    कर पाऊँ हर सपने को सच, जो तुम थामो हाथ हमारा….
    अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा….

    नए साल की पहली नज़्म (कविता)

    अंदेशों के दरवाज़ों पर
    कोई निशान लगाता है
    और रातों रात तमाम घरों पर
    वही सियाही फिर जाती है
    दुःख का शब-खूं रोज़ अधूरा रह जाता है
    और शिनाख्त का लम्हा बीतता जाता है
    मैं और मेरा शहर-ए-मोहब्बत
    तारीकी की चादर ओढ़े
    रोशनी की आहट पर कान लगाये कब से बैठे हैं
    घोड़ों की टापों को सुनते रहते हैं
    हद्द-ए-समाअत से आगे जाने वाली आवाजों के रेशम से
    अपनी रिदा-ए-सियाह पे तारे काढ़ते रहते हैं
    अंगूठों को एक-एक करके छाना जाने लगा
    अब बारी अंगुश्त-ए-शहादत की आने वाली है
    सुबह से पहले वो कटने से बच जाए तो।

     

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