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मछली पर कविता | Poem on Fish in Hindi

    मछली पर कविता | Poem on Fish in Hindi

    मछली पर कविता | Poem on Fish in Hindi

     

    जल की तितली मछली

    इतने रंग बिरंगे कपड़े

    पहन कहाँ को निकली हो

    तुम तो मछली रानी लगती

    मानो जल की तितली हो

    जरा बताओ तो ये कपड़े

    किस दर्जी से सिलवाए

    किस कारीगर से ये अपने

    प्यारे से पर लगवाए?

    चलते चलते डुबकी खाना

    किससे तुमने सीखा है?

    पानी में यह खेल दिखाना

    किस्से तुमने सीखा है?

    कभी हमें भी न्यौता देकर

    घर अपने तुम ले जाओ

    और सभी मित्रों से अपने

    हमको भी तो मिलवाओं

     

    मछली जल की रानी हैं

    माँ मैं अगर बाथटब में भी

    डुबकी कभी लगाती हूँ

    वह एक पल में बाहर हो जाएगी

    दम घुटता, घबराती हूँ

    पर होता आश्चर्य मुझे है

    मछली जल में रहती है

    रात रात भर दिन भर जल में

    फिर भी सांस न घुटती हैं

    मम्मी कहो भला वह कैसे

    जल में साँसें ले पाती

    कैसे निज संसार बसाती

    कैसे वह पीती खाती

    सुनो सुनो रे परी, सुनो तुम

    मैं मछली का राज बताऊं

    कैसे वह जल में रह लेती

    किन्तु न घुटती साँस बताऊं

    नहीं हमारे तेरे जैसे

    मछली को फेफड़े मिले

    श्वसन यंत्र कुछ अलग किस्म के

    उसके गल में लगे हुए

    ऑक्सीजन जो प्राण वायु है

    है पानी में घुला हुआ

    मुंह में जल भरकर ले लेती

    जीवनदायिनी अमृतवायु

    इसीलिए तो रात दिवस वह

    है पानी में रह लेती

    उसका कभी न दम घुटता है

    ख़ुशी ख़ुशी से जी लेती

    इसीलिए तो कहा गया है

    मछली जल की रानी है

    जल से बाहर हुई नहीं कि

    होती खत्म कहानी है

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