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Top 21 Moral Stories In Hindi For Class 3 नैतिक कहानियां

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    Top 21 Moral Stories In Hindi For Class 3 नैतिक कहानियां

    Moral Stories In Hindi For Class 3:- Here I’m sharing the top Moral Stories In Hindi For Class 3  For Kids which is very valuable and teaches your kids life lessons, which help your children to understand the people & world that’s why I’m sharing with you.

    यहां मैं बच्चों के लिए हिंदी में नैतिक के लिए शीर्ष कहानी साझा कर रहा हूं जो बहुत मूल्यवान हैं और अपने बच्चों को जीवन के सबक सिखाते हैं, जो आपके बच्चों को लोगों और दुनिया को समझने में मदद करते हैं इसलिए मैं आपके साथ हिंदी में नैतिक के लिए कहानी साझा कर रहा हूं।

    1. Moral Stories in Hindi for Class 3 – बुराई के बदले

    सन् 1937 के जाड़ों की बात है। पटना जंक्शन पर गाड़ी आकर रुकी तो मोटा कंबल ओढ़े एक प्रौढ़ व्यक्ति तीसरे दरजे के डिब्बे में सवार हुआ। उसी डिब्बे में कुछ मनचले छात्र भी थे।

    वे लगे उसका मजाक उड़ाने । पर उस व्यक्ति पर मानो उनकी फब्तियों और मजाक का कुछ भी असर नहीं हो रहा था। वह तो खोया सा खामोश बैठा था।

    तभी उस डिब्बे में टिकट चेकर आया और टिकट चेक करने लगा। उन छात्रों की भी बारी आई । पर उनमें से किसीके पास भी टिकट नहीं था। बिना टिकट यात्रा करने पर चेकर उनको डाँटने लगा।

    यह देखकर उस व्यक्ति से रहा नहीं गया। उसने अपनी जेब से किराया चुकाकर चेकर से उन लोगों का पिंड छुड़ाया। सभी छात्र खिसियाए से बगलें झाँकने लगे।

    वे सोचने लगे, जरूर यह कोई महान् व्यक्ति है! गाड़ी स्टेशन पर रुकी और सारा प्लेटफॉर्म ‘देशरत्न राजेंद्र बाबू की जय !’ से गूँज उठा। अब जब छात्रों को असलियत का पता चला तो उनकी गरदनें शर्म से झुक गईं।

    2. Moral Stories in Hindi for Class 3 – बारहसिंगा का भरम

    एक दिन एक बारहसिंगा तालाब में पानी पी रहा था कि उसकी दृष्टि अपनी परछाईं पर पड़ी । पानी में अपनी छाया देखकर वह सोचने लगा – वाह ! मेरे सींग कितने सुंदर हैं !

    काश, मेरे पैर भी इतने सुंदर होते! तभी उसके कानों में शिकारी कुत्तों की आवाज टकराई। चौंककर वह फुरती दौड़ा। अपने पैर, जिन्हें वह बदसूरत समझता था उन्हींकी सहायता से वह कूदता हुआ दूर पहुँचकर एक झाड़ी में घुस गया ।

    पर शिकारी कुत्ते बढ़ते ही आ रहे थे। किंतु वह उस झाड़ी से निकलकर आगे न भाग सका। उसके सुंदर सींग झाड़ी की टहनियों में बुरी तरह फँस गए थे। वह निकल भागने की जद्दोजहद में ही था कि तभी शिकारी कुत्ते करीब आ पहुँचे और उसे धर दबोचा।

     

    3. Moral Stories in Hindi for Class 3 – झूठ का फल

    न्यायालय में दो मित्र उपस्थित हुए। नाम था सुंदरलाल और गुंदरलाल। सुंदरलाल जज से बोला, “साहब, तीन साल पहले जब मैं अपना घर छोड़कर विदेश गया तो गुंदरलाल को अपना परम मित्र जानकर अपनी हीरे की एक अँगूठी अमानत के रूप में दे गया था।

    मैंने इससे कहा था कि वह तब तक उस हीरे की अंगूठी को सँभालकर रखे जब तक मैं न लौट आऊँ। पर अब यह कहता है कि इसे अँगूठी के विषय में कुछ नहीं पता।”

    गुंदरलाल अपने दिल पर हाथ रखकर बोला, “सरकार! सुंदरलाल झूठ बोल रहा है। मैंने उसकी अंगूठी कभी नहीं ली। हाँ, जब यह यहाँ से गया था तब इसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।”

    जज ने कहा, “सुंदरलाल, क्या तुम्हारी इस बात का कोई साक्षी है ? ” उसने कहा, “हुजूर! जब मैंने गुंदरलाल को अँगूठी दी उस समय दुर्भाग्य से वहाँ कोई उपस्थित नहीं था, सिवा एक देवदार के पेड़ के, जिसके नीचे हम खड़े थे । ”

    गुंदरलाल ने यह सुनकर जवाब दिया, “मैं कसम खाकर कह सकता हूँ कि न मैं अँगूठी के विषय में जानता हूँ और न इस देवदार के वृक्ष के ही विषय में।”

    जज ने सुंदरलाल से कहा, “तुम खेत में वापस जाओ और उस देवदार के पेड़ से एक टहनी लेकर वापस आओ। मैं उसे देखना चाहता हूँ।”

    सुंदरलाल चला गया। कुछ देर के बाद जज ने गुंदरलाल से कहा, “सुंदरलाल वापसी में इतनी देर कैसे लगा रहा। है ? तुम जरा खिड़की के पास खड़े होकर देखो तो सही कि वह देवदार की टहनी लिये रास्ते पर आता दिखाई दे रहा है या नहीं। “

    गुंदरलाल ने कहा, “मालिक, अभी तो वह उस पेड़ तक भी नहीं पहुँचा होगा। वहाँ तक पहुँचने में उसे कम-से-कम एक घंटा लगेगा। ”

    ” जज ने जब गुंदरलाल का यह तर्क सुना तो सारा माजरा उनकी समझ में आ गया। वे बोले, “सुंदरलाल, जितना तुम पेड़ के विषय में जानते हो उतना ही अँगूठी के विषय में भी जानते हो ।”

     

    4. Moral Stories in Hindi for Class 3 – पीड़ा का कारण

    कुरुक्षेत्र का मैदान । भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर लेटे हैं। मगर उनके प्राण नहीं निकल रहे हैं । अर्जुन ने तीर मारकर पाताल फोड़ डाला। पाताल के झरने का पवित्र पानी भीष्म पितामह पर छिड़का, फिर भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली।

    आसपास पांडव खड़े हैं। भीष्म कातर दृष्टि से कृष्ण को निहार रहे हैं । श्रीकृष्ण ने कहा, “आपने पाप देखा है, दादा… इसीलिए यह यातना भोग रहे हैं। ” भीष्म तो गंगाजल से पवित्र हैं फिर भी… ?

    श्रीकृष्ण ने आगे कहा, “कौरवों की भरी सभा में जब दुःशासन द्रौपदी का चीर खींच रहा था, उस वक्त आप भी वहाँ उपस्थित थे, दूसरों की तरह मूकदर्शक थे। न आप दुःशासन का हाथ पकड़ सके, न दुर्योधन को ललकार सके ।’

     

    5. Moral Stories in Hindi for Class 3 – किसान और चिड़ियाँ

    गेहूँ के खेत में चिड़ियों की एक टोली मौज कर रही थी। तभी किसान आया और फसल को देखकर बोला, “फसल तैयार है। फसल काटने के लिए मुझे अपने पड़ोसियों की मदद लेनी पड़ेगी । ”

    यह कहकर वह पड़ोसियों को बुलाने चला गया। चिड़ियाँ ने अपनी माँ को पुकारा, “माँ, माँ! चलो, हम किसी और खेत में जाकर चुगें ।” माँ ने इत्मीनान से कहा, “अभी चिंता की कोई बात नहीं । तुम सब मौज उड़ाओ। “

    किसी पड़ोसी के साथ न आने पर किसान ने फसल को देखकर दूसरे दिन कहा, “भाड़ में जाएँ पड़ोसी, मैं जाकर अपने रिश्तेदारों को बुला लाता हूँ।” वह अपने रिश्तेदारों को बुलाने गया कि नन्ही चिड़ियाँ फिर चिल्ला उठीं, “माँ, माँ! अब तो यहाँ से उड़ चलो।

    हमारी जान को खतरा है। ” माँ ने उसी इत्मीनान से जवाब दिया, “अभी काफी वक्त है। तुम आराम से दाना चुगो ।” तीसरे दिन किसान अकेला ही आया और बोला, “रिश्तेदार भी भाड़ में जाएँ ।

    अब तो मुझे स्वयं ही कुछ इंतजाम करना होगा, और मजदूरों की तलाश में वह गाँव की ओर चल पड़ा । तब माँ ने नन्हे-मुन्ने बच्चों की ओर देखकर कहा, “चलो बच्चो, अब हम किसी और किसान के खेत में चलकर डेरा डालेंगे। ‘ “

    Moral of Stories in Hindi for Class 3 – काम तभी बनता है जब आदमी अपनी ताकत पर भरोसा करता है ।

    6. Moral Stories in Hindi for Class 3 – कद्दू और बेल

    एक किसान बेल के पेड़ के नीचे खड़ा हुआ अपने पड़ोसी की फुलवारी को देख रहा था। तभी उसकी निगाह कद्दू को देख उसकी बेल पर गई। एक बड़ा सा कद्दू बेल पर लटका हुआ था।

    किसान यह देखकर स्वयं से ही बोला, “बेल का यह पेड़ कितना मजबूत है ! और इसमें लगनेवाला फल कितना छोटा, हलका, गेंद सा होता है ! और कहाँ यह कद्दू की दुबली-पतली बेल और इतना वजनी कद्दू!

    अगर मैंने इस संसार का निर्माण किया होता तो शर्तिया बेल को कद्दू की हलकी-फुलकी लत्तर में गूँथ देता और एक-एक टन वजनी कद्दू को इस मजबूत बेल के पेड़ में लटका देता, जो सचमुच देखने लायक होता । ”

    किसान का इतना कहना भर था कि तभी बेल के पेड़ से एक बेल टूटकर उसकी नाक पर गिरा । नाक से खून बहने लगा। किसान दुःखी हो बड़बड़ाया, “मैं भी कितना गलत सलत सोचता हूँ! जो जहाँ है वहीं भला है। अगर बेल के पेड़ पर एक टन का कद्दू लगा होता तो!”

    Moral of Stories in Hindi for Class 3 -ईश्वर ने सभी को सोच-विचारकर जगह दी है।

    7. Moral Stories in Hindi for Class 3 – सीता

    रावण की अशोक वाटिका में सीताजी भगवान् राम को याद कर छटपटा रही थीं। उनके आसपास राक्षसियाँ बैठी पहरा दे रही थीं। उनकी परवाह न करते हुए वे बस, ‘राम’ नाम का जप कर रही थीं ।

    त्रिजटा ने करीब जाकर पूछा, “तुम तो राम का ध्यान इतना करती हो कि एक दिन खुद ही राम बन जाओगी, जैसेकि प्राण शिव हो जाते हैं।’ ” “नहीं।”

    ध्यानस्थ सीता चौंकीं, “मैं उनमें लीन होकर भी सीता बनी रहना चाहती हूँ; क्योंकि अगर मैं उनमें लीन हो मिट जाऊँ तो फिर उनकी सेवा कैसे कर पाऊँगी!”

    Moral of Stories in Hindi for Class 3 – भक्त बनना भगवान् बनने से भी कठिन है।

    8. Moral Stories in Hindi for Class 3 – अमर प्रेम

    बंबारा गाँव में रहनेवाली दो औरतों के घर एक ही दिन बच्चों का जन्म हुआ। एक के घर लड़का हुआ, दूसरे के घर लड़की लड़के का नाम रखा-येंगे और लड़की का सिराह।

    दोनों बच्चे एक-दूसरे को बहुत चाहते थे। वे एक-दूसरे के लिए जान भी दे सकते थे। जब सिराह जवान हुई तो एक अमीर आदमी ने उसका हाथ माँगा।

    माँ-बाप शादी के लिए तैयार हो गए, लेकिन सिराह अपने दूल्हे के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हुई। वह येंगे को भी अपने साथ ले जाना चाहती थी। उसने दूल्हे से विनती की। दूल्हे ने विनती स्वीकार कर ली ।

    और फिर तीनों गाँव छोड़कर दूसरे गाँव की ओर चल दिए । दूल्हे के गाँव पहुँचने के बाद सिराह ने नई मुसीबतें खड़ी कर दीं। उसने कहा कि अगर येंगे न आया तो मैं नए घर में जाऊँगी ही नहीं।

    इस बार भी उसके पति को हार माननी पड़ी । और रोज दिन-रात यही चलता रहा। जहाँ कहीं सिराह जाती, येंगे साथ में रहता; जो कुछ सिराह अपने पति के लिए करती, पहले येंगे को मिलता।

    कुछ दिनों तक यही रवैया देखकर पति ने सोचा, कुछ-न कुछ तो करना होगा। इसलिए उसने गाँव के मुखिया को अपनी परेशानी बताई। “तुम भाग्यशाली हो ।”

    मुखिया बोला, “जल्द ही एक बहुत बड़ा युद्ध शुरू होनेवाला है – और चूँकि येंगे हट्टा-कट्टा है, इसलिए वह युद्ध में जाने से इनकार नहीं कर सकता। उसे मेरे पास भेज दो। उसे खत्म करने का इंतजाम मैं कर लूँगा।”

    कुछ ही दिनों बाद चारों तरफ लड़ाई के नगाड़े बजने लगे। सभी युवा लोग मोरचे पर जाने के लिए मुखिया के आगे उपस्थित हुए। उन्हींमें था येंगे और पीछे थी उसकी प्रिय सिराह लड़ाई के वक्त भी सिराह उसे छोड़ना नहीं चाहती थी।

    लेकिन उसके पति को आशा थी कि येंगे से उसका जल्दी ही पीछा छूट जाएगा और सिराह गोलाबारी से डरकर वापस उसीके पास भाग आएगी।

    लड़ाई शुरू ही हुई थी कि येंगे घायल होकर गिर पड़ा। मरते ही वह एक पेड़ बन गया । सिराह जो येंगे के बिना जीने की बात भी नहीं सोच सकती थी, एक बेल बन गई और पेड़ के तने से लिपट गई। और उस दिन से पेड़ों के तने बेलों से ढके होते हैं ।

    Moral of Stories in Hindi for Class 3 – प्रेम अमर होता है ।

    9. Moral Stories in Hindi for Class 3 – चालाक चमगादड़

    किसी जमाने में चखेरू और पखेरुओं के बीच युद्ध छिड़ गया। कई दिनों तक युद्ध चलता रहा। चमगादड़, जो आधा पशु और आधा पखेरू था, इस युद्ध पर अपनी दृष्टि गड़ाए रहा। अंत में उसे ऐसा लगा कि चखे युद्ध जाएँगे।

    तुरंत वह चखेरुओं की फौज में भरती हो गया। पर युद्ध का नतीजा एकाएक पलट गया। आखिरी हमले में चखेरु हार गए और पखेरुओं की जीत हो गई। यह देखकर चमगादड़ ने फिर दल बदला।

    वह जैसे ही पखेरुओं के दल में घुसने गया कि सारे पखेरुओं ने मिलकर उसे खदेड़ दिया। वह फिर चखेरुओं के बीच लौट आया। पर उसकी इन हरकतों से चखेरू उसपर चिढ़े बैठे थे।

    उन्होंने उसे ऐसा खदेड़ा कि उसे अपनी जान के लाले पड़ गए। वह जाकर अँधेरे कोने में छिप गया। तब से आज तक चमगादड़ अपना मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहा। शायद इसीलिए वह सिर्फ रात में ही घर से बाहर आता है।

    Moral of Stories in Hindi for Class 3 – स्वार्थी को सभी धिक्कारते हैं।

    10. Moral Stories in Hindi for Class 3 – कंस और हंस

    कंस को ज्योतिषियों ने बताया था कि तुम्हारी बहन का आठवाँ पुत्र तुम्हारी मृत्यु का कारण बनेगा। कंस ने इसीलिए अपनी बहन देवकी को कारागार में डाल दिया ।

    छह बालकों को उसने जनमते ही मार डाला था। इस वक्त वह सातवें का संहार करने जा रहा था। राजमहल से निकलकर वह बाग में आया। बाग में एक बेहद सुंदर फव्वारेवाला सरोवर था।

    सरोवर में हंस-हंसिनी का एक जोड़ा रहता था। जैसे ही वह फव्वारे के पास पहुँचा, हंस ने हंसिनी से कहा, “अब मोती चुगने का शौक रहने दो। ”

    हंसिनी हंस की बात समझी नहीं बोली, “महाराज कंस का राज्य है। मोतियों की क्या कमी ! मोती जैसे अन्न के दानों का भंडार तो भरा पड़ा है। “

    हंस पुनः हँसा, ‘‘जो राजा मानवों की हत्या करता है और तिसपर भी बाल-हत्या करता है वहाँ धन-धान्य क्या रहेगा!”

    कंस ने अपनी निंदा सुनी तो क्रोधित हो उठा, “मेरे ही अन्न-जल पर जीनेवाले की यह हिम्मत !” उसने तुरंत हंस की गरदन काट दी । हंसिनी चीत्कार कर उठी। इसके बाद कंस कारागार पहुँचा।

    उसने सातवें बच्चे को उठाया और पत्थर पर पटकने के लिए उछाला। परंतु पत्थर पर टकराने से पूर्व ही वह बच्ची आसमान में यह कहती हुई उड़ गई कि तुम्हारी बहन की आठवीं संतान तुम्हारा काल होगा!

    Moral of Stories in Hindi for Class 3 – यह मत भूलो कि ईश्वर न्यायी है ।

    11. Moral Stories in Hindi for Class 3 – किस्सा एक महामूर्ख का

    एक महामूर्ख था। एक बार वह अपनी बहन घर गया। बहन ने बड़ी उमंग से भाई को चूरमा के लड्डू खिलाए । भाई को लड्डू बहुत पसंद आए। उसने बहन से पूछा, “क्या नाम है इनका ?”

    बहन ने कहा, “चूरमा ।” भाई ने सोचा कि घर पहुँचकर चूरमा बनवाऊँगा और पेट भरकर खाऊँगा। वह मन ही मन ‘चूरमा’ की रट लगाता हुआ अपने घर की ओर लौट पड़ा । वह जानता था, रटेगा नहीं तो सब भूल जाएगा।

    रास्ते में एक छोटा सा नाला पड़ा। उसे पार किए बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता था। उसने पार करने की तरकीब सोची और पार भी कर लिया। लेकिन इस जद्दोजहद में वह ‘चूरमा’ शब्द भूल गया और उसके बदले ‘वाह, क्या पार किया’ जबान पर चढ़ गया।

    थोड़ी देर बाद घर पहुँचकर उसने पत्नी से कहा, “सुनो, जल्दी करो । मेरे लिए ‘वाह – क्या पार किया’ बना दो मुझे तो वही खाना है। मेरी बहन ने बहुत मीठे ‘वाह, क्या पार किया’ बनाए थे ।”

    पत्नी सोच में पड़ गई— ‘अरे, यह ‘वाह, क्या पार किया’ किस चिड़िया का नाम है ?’ बात उसकी समझ में नहीं आई। देर होती देखकर महामूर्ख का गुस्सा बढ़ने लगा। बोला, “निठल्ली, बनाती क्यों नहीं? कद्दू की तरह बैठी क्यों हो?”

    पत्नी ने कहा, “वाह, क्या पार किया- कैसे बनता है, तो नहीं जानती। आपकी बहन जानती है तो वापस उसके घर जाओ और उससे कहो कि बना दे।” यह सुनकर उसका पारा चढ़ गया।

    पास ही में एक डंडा पड़ा था । उसे उठाकर वह अपनी घरवाली को दनादन पीटने लगा । बेचारी को इतना पीटा कि उसके सारे बदन पर चकत्ते उठ आए।

    पास-पड़ोस के लोग दौड़कर इकट्ठे हो गए। पति को डाँटते हुए बोले, “अरे, बीवी को कोई ऐसे पीटता है! मार मारकर बेचारी का चूरमा बना डाला । ” वह बोला, “हाँ-हाँ, यही! मुझे तो चूरमा के लड्डू खाने हैं। मैं तो इसका नाम ही भूल गया था। ” सबने कहा, “महामूर्ख कहीं का!”

    Moral of Stories in Hindi for Class 3 – अज्ञान से बड़ा दूसरा कोई दुश्मन नहीं होता।

    12. सच बोलने का तरीका #12 Moral Stories In Hindi For Class 3

    एक धनी व्यापारी को हृदय रोग था। डॉक्टर ने उसके परिवारजनों को हिदायत दी थी कि व्यापारी को कोई भी सदमा नहीं पहुँचना चाहिए। एक दिन व्यापारी किसी कार्यवश दूसरे शहर गया हुआ था।

    तभी उसका नौकर वहाँ आकर बोला, “मालिक! मैं यहाँ यह बताने आया हूँ कि आपका कुत्ता मर गया है।” व्यापारी ने चौंकते हुए कहा, “वह कैसे मर गया?” । “उसने घोड़े का बहुत सारा माँस खा लिया था।”

    जवाब मिला। “क्या मतलब है तुम्हारा? क्या मेरा घोड़ा भी मर गया?” नौकर बोला, “मालिक आपके अस्पताल के सभी घोडे भूख के कारण मर गए?” “क्या! नौकरों ने उन्हें भोजन नहीं दिया?”

    मालिक ने पूछा। “वे घोड़ों को भोजन कैसे देते, वे तो स्वयं ही भूखे थे,” नौकर ने बताया। “क्यों? क्या मेरी पत्नी ने उन्हें उनकी मजदूरी नहीं दी?” मालिक ने पूछा। “वे भोजन के बिना कैसे जिंदा रहती?” नौकर ने जवाब दिया।

    “क्या तुम्हारे कहने का यह अर्थ है कि मेरी पत्नी भी मर गई?” मालिक ने विस्मय से पूछा। तब उसने बताया, “मालिक, पिछली रात घर में आग लग गई थी और उसमें सबकुछ जलकर समाप्त हो गया।” इस प्रकार नौकर ने अपने मालिक को सदमा दिए बगैर सब सच बता दिया।

    13. ब्राह्मण का उपाय #13 For Class 3 Moral Stories In Hindi

    एक ब्राह्मण था। उसके पास बहुत सारी उपजाऊ भूमि थी। लेकिन अपने आलस्य के कारण वह उसे कभी भी कुछ नहीं बोता था। एक बार एक साधु ब्राह्मण के घर आया। ब्राह्मण ने उसकी अच्छी सेवा की।

    खुश होकर साधु ने ब्राह्मण को एक जादुई चिराग दिया। साधु के जाने के बाद ब्राह्मण ने जादुई चिराग को रगड़ा। उसमें से एक जिन्न प्रकट होकर बोला, “आप मेरे मालिक हैं और मैं आपका नौकर।

    आप मझे कोई कार्य बताओ, वरना मैं सबको मारकर खा जाऊँगा।” ब्राह्मण ने उसे तुरंत खेतों पर काम करने का आदेश दिया। वह जल्दी ही कार्य समाप्त कर वापस आ गया। ब्राह्मण ने उसे कई अन्य कार्य करने को दिए।

    परन्तु वह जल्दी ही उन्हें समाप्त कर फिर उसके सामने आ खड़ा होता। ब्राह्मण डर गया कि काम न होने की दशा में ये मुझे ही मारकर खा जाएगा।

    इसलिए उसने तुरंत एक उपाय सोचा और जिन्न को कुत्ते की पूँछ सीधी करने का कार्य सौंप दिया। जिन्न ने कुत्ते की पूँछ सीधी करने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह पूँछ को सीधी नहीं कर पाया।

    अन्तत: वह इस कार्य से ऊब गया और वहाँ से भाग खड़ा हुआ। जिन्न के चल जाने से ब्राह्मण ने भी चैन की साँस ली।

    14. सोने की मूर्ति #14 Short Stories For Class 3

    एक बार एक धनी व्यक्ति अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए एक दूसरे शहर पहुँचा। उस शहर में नए व्यवसाय की तलाश में इधर-उधर घूमते-घूमते वह शहर की उस सीमा तक पहुँच गया जहाँ शहर की सीमा समाप्त होती थी।

    वहाँ थोडा और आगे जाने पर उसने प्राचीन मंदिरों के कुछ खंडहर देखे। उसने देखा कि खंडहरों के अंदर से कुछ चमक रहा है। उसने देखा कि वह चमकने वाली वस्तु शेर की सोने से बनी प्रतिमा है।

    वह सोचने लगा,”मैं बहुत भाग्यशाली हूँ। इस प्रतिमा को ले जाकर अब मैं और अधिक धनी हो जाऊँगा।” फिर वह सोचने लगा, “लेकिन मैं इस प्रतिमा का क्या करूंगा? शेर का चेहरा तो मुझे रात को डराएगा।

    फिर भी मुझे अपने नौकरों की मदद से इसे ले जाना चाहिए। मैं इसे एक सुरक्षित दूरी से देख लिया करूँगा।” यह सोचकर वह वहाँ से चला गया। वह वास्तव में नहीं जानता था कि दौलत का उचित सदुपयोग कैसे किया जाता है।

    15. फँस गया हाथ #15 Moral Stories In Hindi For Class 3

    राहुल एक अच्छा लड़का था। बस उसे एक ही बुरी आदत थी। वह मीठा बहत खाता था। मिठाई एवं चॉकलेट उसे बहुत पसंद थे। उसकी माँ उसे हमेशा कहती, “राहुल, इतना अधिक मीठा मत खाया करो।

    तुम्हारे दाँत खराब हो जाएँगे।” इसी कारण माँ ने सभी चॉकलेट-टॉफियों को एक जार में छिपाकर रख दिया, ताकि राहुल अधिक मीठा न खाने पाए। उस जार का मुँह सँकरा था और वह मजबूती से बंद था।

    एक दिन राहुल की माँ बाजार गई हुई थी। मौका देखकर राहुल रसोई में गया और उसने उस जार को उठा लिया। बहुत प्रयास करने के बाद उसने जार का ढक्कन खोला और जार के संकरे मुँह में हाथ डाल दिया।

    फिर उसने मुट्ठी में टॉफी-चॉकलेट भर लिए और हाथ बाहर निकालने लगा। लेकिन हाथ उसमें फँस गया। वह अपना हाथ बाहर निकालने की कोशिश कर ही रहा था कि उसकी माँ वापस आ गई।

    उसकी हालत देखकर बोली, “राहुल, तुमने अपने हाथ में बहुत सारे टॉफी-चॉकलेट किए हुए हैं। बस एक चॉकलेट लो और बाकी को वहीं जार में वापस रखो।

    तभी तुम अपने हाथ को बाहर निकाल पाओगे।” राहुल ने वैसा ही किया। इसके बाद उसने अपना हाथ सरलता से बाहर निकाल लिया। उसे अपनी गलती समझ आ गई थी।

    16. दोषारोपण से पहले #16 Hindi Stories For class 3 Kids

    एक दिन एक व्यक्ति समुद्र किनारे टहल रहा था। अचानक उसने देखा कि यात्रियों से भरा एक जहाज चट्टान से टकराकर डूब गया और उसमें मौजूद सभी यात्री भी डूब गए।

    वह आदमी समुद्र तट से सब कुछ एक असहाय की भाँति देखता रहा। वह उन्हें बचाने में असमर्थ था। शाम के समय उसने अपने दोस्तों को जहाज के डूबने की पूरी घटना कह सुनाई। वे सभी उन मृत लोगों के लिए दुखी थे।

    उनमें से एक दोस्त बोला, “भगवान ने ये बडा अन्याय किया। उसने एक जहाज के साथ अनेक निर्दोष लोगों को भी मार दिया।” यह कहते समय उसे अपने पैर में कुछ चुभन सी महसूस हुई।

    उसने नीचे देखा कि लाल चींटियाँ उसके पैर पर काट रही हैं। उसके आस-पास काफी सारी अन्य चींटियाँ भी थीं। गुस्से में उसने अपने पैर को पटकना शुरू कर दिया, जिस वजह से कई सारी चीटियाँ उसके पैर के नीचे दबकर मर गई।

    अचानक भगवान प्रकट हुए और बोले, “देखो, किस प्रकार तुमने एक चींटी के लिए कई निर्दोष चींटियों की हत्या कर दी है और तुम मुझे अन्याय के लिए दोष दे रहे हो।

    दूसरों को दोष देने से पहले अपने दोष देखो।” यह सुनकर उस व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास हो गया।

    17. नकलची लोमड़ी #17 Hindi Story For Class 3 With Picture

    किसी जंगल में एक लोमड़ी रहती थी एक दिन वह जंगल में घूम रही थी। अचानक उसे एक मोटा और लम्बा साँप पेड़ों के नीचे लेटा दिखाई दिया। उसका शरीर सामान्य से बहुत लम्बा था।

    वह रास्ते के एक कोने से दूसरे कोने तक फैला हुआ था। साँप के शरीर की लम्बाई देखकर लोमड़ी अत्यधिक प्रभावित हुई। उसने सोचा, ‘यह तो बहुत लम्बा साँप है। काश! मैं भी इसी की तरह लम्बी होती।

    मुझे जमीन पर लेटकर अपने शरीर को खींचना चाहिए। हो न हो, इस तरह मैं अवश्य ही सांप की तरह लंबी हो जाऊँगी।’ ये सोचकर लोमड़ी ऐसी ही कोशिश करने लगी।

    वह रास्ते में साँप के बराबर में ही लेटकर अपने शरीर को जबरदस्ती खींचने की कोशिश करने लगी। उसने बहुत कोशिश की, लेकिन उसका शरीर खिंचकर लंबा नहीं हुआ।

    हाँ उसके पूरे शरीर में दर्द जरूर होने लगा। परन्तु वह तो किसी भी तरह खुद को साँप जैसा लम्बा कर लेना चाहती थी। अन्तत: उसने अपने शरीर को पूरी ताकत से फिर खींचा।

    परिणामत: उसका पेट फट गया और उसकी घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। बेचारी लोमड़ी नहीं जानती थी कि दूसरों के साथ अनावश्यक तुलना नहीं करनी चाहिए।

    18. शरारती चूहा #18 Stories For Class 3

    एक शरारती चूहा था। एक दिन उसने एक बैल को पेड़ के नीचे सोते हुए देखा। बैल अत्यधिक विशालकाय था और उसके सींग भी अत्यधिक नुकीले थे। साँस लेते समय उसके चौड़े नथुने खुलते और बंद होते।

    चूहा शरारती तो था ही। जब उसने बैल के बार-बार बंद होकर खुलते नथुनों को देखा तो पास जाकर नथुनों को बंद कर दिया। बैल गुस्से से उठा। वह जैसे ही उठा, चूहा वहाँ से भाग गया।

    बैल ने उसे भागते हुए देख लिया और वह उसका पीछा करने लगा। वह चूहे को सजा देना चाहता था। छोटा चूहा तेजी से भागा और एक दीवार के अंदर बने एक छेद में घुस गया।

    बैल खुद को नहीं रोक पाया और उसने चूहे को मारने के लिए अपना सिर दीवार पर दे मारा। फलस्वरूप वह खुद ही बुरी तरह जख्मी हो गया। उसके सिर से खून भी बहने लगा।

    अब बैल समझ गया था कि दुश्मन भले ही कितना भी छोटा हो, उसे जीतने के लिए ताकत के साथ-साथ बुद्धि की भी जरूरत होती है। फिर भी कोई जरूरी नहीं कि वह काबू में आ ही जाएगा।

    19. पादरी और नाविक #19 In Hindi Stories For Class 3

    एक पादरी था। लोग उससे दुखी थे क्योंकि वह वक्त-बेवक्त सबको धर्म के नाम पर नसीहतें देता रहता था। वह लोगों से कहा,”यदि तुम धर्म के बारे में कुछ भी नहीं जानते हो तो तुम्हारी जिंदगी व्यर्थ है।”

    एक दिन पादरी को नदी पार करके दूसरे गाँव जाना था। उसने एक नाव वाले से नदी पार कराने को कहा और उसकी नाव में बैठ गया। आधी दूरी पार करके नाविक ने उससे मूल्य चुकाने को कहा।

    पादरी बोला, “मैं तुम्हें तुच्छ पैसों के बजाए कीमती ज्ञान दूंगा।” यह कहकर पादरी उसे ज्ञान-ध्यान के उपदेश देने लगा, नाविक उसकी बातें सुन-सुनकर ऊब गया और उसने उसे सबक सिखाने की ठानी।

    वह नाव को बीच नदी में ले गया और नाव को हिलाने लगा. जिससे पादरी नदी में गिर गया और डूबने लगा। तब उसे देखकर नाविक बोला, “अरे! तुम तो एक धार्मिक व्यक्ति हो। क्या तुम्हारी धार्मिकता तुम्हें नहीं बचा पाएगी?”

    पादरी सहायता के लिए चिल्लाने लगा। तब दयालु नाविक ने पादरी को बाहर निकाला और बोला, “प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्य का ज्ञाता होता है। तुम्हें धर्म का ज्ञान है तो हमें अपने कार्य का।”

    20. पालतू बिल्ली #20 In Hindi Moral Stories For Class 3

    बहुत पहले बिल्ली दूसरे जंगली जानवरों की तरह जंगल में ही रहती थी। इसलिए वह हमेशा ताकतवर जानवरों के साथ दोस्ती करना चाहती थी। रहते-रहते उसने विश्लेषण किया कि जंगल के राजा शेर से सभी जानवर डरते हैं।

    यह सोचकर वह शेर की दोस्त बन गई। एक दिन शेर और बिल्ली दोनों साथ-साथ झपकी ले रहे थे। तभी वहाँ से एक हाथी होकर गुजरा। अन्य जानवरों की तरह ही शेर ने भी चुपचाप हाथी को जाने का रास्ता दे दिया।

    बिल्ली को लगा कि हाथी शेर से भी ज्यादा ताकतवर है। इसलिए वह हाथी की दोस्त बन गई। एक दिन बिल्ली और हाथी झील में नहा रहे थे तभी हाथी ने एक आवाज सुनी और शिकारी को नजदीक जानकर वहाँ से भाग गया।

    अब बिल्ली ने हाथी को भी छोड़ दिया और शिकारी के साथ ही रहने लगी। वह समझती थी कि शिकारी सबसे अधिक शक्तिशाली है, क्योंकि वह हाथी का भी शिकार कर सकता है।

    एक दिन उसने शिकारी के घर में एक चूहे को देखा और उसे मार दिया। यह देखकर शिकारी और उसकी पत्नी बड़े प्रसन्न हुए। उन्हें चूहे से निजात जो मिल गई थी। बस तभी से बिल्ली एक पालतू जानवर बन गई।

    21. मूर्ख कौआ #21 Moral Stories In Hindi For Class 3

    एक कौआ था। वह अपने काले रंग को लेकर हीनभावना से ग्रस्त था। वह जानता था कि अपने काले रंग के कारण ही वह भद्दा दिखता है। उसकी इच्छा थी कि वह भी दूसरे रंग-बिरंगे पक्षियों की तरह रंगीन हो जाए।

    एक दिन कौए को जमीन पर मोर के कुछ पंख पड़े हुए मिले। उसने उन्हें उठाया और अपने दोस्त बंदर के पास गया। उसने बंदर से पंख लगाने को कहा। बंदर ने पंख लगाने में कौए की सहायता की।

    फिर कौआ मोरों के पास गया और बोला “क्या मैं तुम्हारे समूह में शामिल हो सकता हूँ। अब तो मैं भी तुम लोगों की तरह सुंदर एवं रंगीन हो गया हूँ।” कौए की इस हरकत पर मोरों को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने उसे वहाँ से भगा दिया।

    अब कौए के पास अपने दोस्तों के पास वापस जाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। वह अपने दोस्तों के पास गया और बोला, “दोस्तों, मैं वापस आ गया हूँ।” लेकिन कौए बोले, “यहाँ से चले जाओ।

    हम तुम्हें अपने समूह में शामिल नहीं करेंगे, क्योंकि तुम्हें अपने ऊपर गर्व नहीं है।” इस तरह से बेचारा कौआ अकेला का अकेला ही रह गया।

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