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100+ javed akhtar shayari on love in hindi,जावेद अख्तर की शायरी

    100+ javed akhtar shayari on love in hindi,जावेद अख्तर की शायरी

    javed akhtar shayari on love in hindi – इस पोस्ट में प्रसिद्ध लेखक फ़िल्मकार शायर और कवि जावेद अख्तर साहब के बेहतरीन शायरी शेयर किया गया है – aved Akhtar Shayari on friendship-Best Javed Akhtar Shayari In Hindi-जावेद अख्तर की शायरी-javed akhtar shayari on love in hindi-javed akhtar top shayari in hindi जावेद अख्तर की पोएट्री हिंदी में।

    बेस्ट जावेद अख्तर शायरी हिंदी में

    न फ़िक्र कोई न जुस्तजू है
    न खाब कोई न आरजू है
    ये सख्स तो कब का मर चूका है
    तो बेकफन फिर ये लाश क्यों है।

     

    जो बात कहते डरते हैं सब तू वो बात लिख
    इतनी अँधेरी थी न कभी वो रात लिख

     

    इतने गुस्से से कुछ नहीं होगा
    मन की आप इंतज़ार में हैं
    आप जो चाहते हैं पाएंगे
    ठहरिये आप अभी कतार में हैं।

     

    जीना मुश्किल है ये आसान ज़दा देख तो लो
    लोग लगते हैं परेशान ज़दा देख तो लो।
    ये नया शहर तो है खूब बसाया तूमने
    क्यों पुराना हुआ वीरान ज़दा देख तो लोग।

     

    मुझे मायुश भी करती नहीं है
    ये आदत तेरी अच्छी नहीं है

     

    इन चरागों के तले ऐसे अँधेरे क्यों है
    तुम भी रह्जाओगे हैरान जड़ा देख तो लो।
    तुम कहते हो की मैं गैर हु फिर भी शायद
    कोई निकला है पहचान ज़दा देख तो लोग।

     

    अच्छी इमारतों से मकान मेरा घिर गया
    कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए।

     

    कभी जो खुवाब था वो पा लिया है
    मगर जो खो गयी वो चीज क्या थी।

    जावेद अख्तर की शायरी

    किसी का हुक्म है दरिया की लहरें
    ज़रा ये सरकशि करले अपनी हद में ठहरे
    उभारना फिर बिखड़न और फिर बिखड़ कर फिर उभारना
    गलत है उनका ये हंगामा करना ,

     

    हमको तो तलाश बस नए रास्तो की है
    हम है मुसाफिर ऐसे जो मंजिल से आये हैं।

     

    जिसका ख़याल है मुझे
    क्या उसको भी कुछ ख़याल है
    मेरे लिए यही सवाल
    सबसे बड़ा सवाल है।

     

    न जाने कब से मुझे इन्तजार है उसका
    जो कह गया था मेरा इन्तजार मत करना।

     

    दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखड़ जाते हैं
    जख्म कैसे भी हो कुछ रोज में भर जाते हैं।

     

    हम तो बचपन में भी अकेले थे
    सिर्फ दिल की गली में खेले थे

     

    तू तो मत कह हमे बुरा दुनिया
    तूने ढाला है और ढले हम

     

    याद उसे भी एक अधूरा अफसाना तो होगा
    कल रास्ते में उसने हमको पहचाना तो होगा।

     

    मुझको अब तेरी आवाज़ से खुशबू आती है
    और वो खुशबु में रंग दिखाई देते हैं।
    तू जब नहीं है तब भी है तू साथ मेरे
    मिलो से छूटे हैं तुझको आँख मेरे
    वो जो तेरी साँसों में है घुले हुए
    कहि रहु वो गीत सुनाई देते हैं
    बादल तितली नदिया फूल हवा ये सब
    तेरे रूप दिखाई देते हैं मैं हु तेरा नाम
    है तेरी बाते है हर पल दोहराता तेरा अफसाना हु
    मुझको तो अब होश नहीं है
    तू ही बता सब कहते हैं मैं तेरा दीवाना हु।

    जावेद अख्तर की पोएट्री, शायरी

    इस सहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
    होठो पे लतीफे आवाज़ में छाले हैं ,

     

    आगाही से मिली है तन्हाई
    आ मेरी जान मुझको धोखा दे।

     

    बड़ी रौनक थी इस घर में ये घर ऐसा नहीं था
    गीले सिकवे भी रहते थे मगर ऐसा नहीं था

     

    अगर ज़िंदगी है तो खुवाब है
    और खुवाब है तो मंजिले है
    मंजिले हैं तो रास्ते हैं
    रस्ते हैं तो मुस्किले हैं
    मुश्किलें हैं तो हौशले हैं
    हौसले है तो विश्वास है
    जीत हमारी है।

     

    वो था ज़माना गुजर गया कब का
    वो था दीवाना मर गया कब का
    मेरा जो जख्म है वो वो ही जाने
    अपना जो जख्म भर गया कब का।

     

    छत की कड़ियों से उतारते हैं मेरे खुवाब मगर
    मेरी दीवारे से टकराकर बिखड़ जाते हैं।

     

    ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी
    वो बात ख़त्म हुयी दास्तान बांकी है।

     

    मोहब्बत गम दे जाती है
    जब दिल से दिल मिल जाती है
    लेकिन मुश्किल ये है
    दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है।

    जावेद अख्तर दोस्ती पर शायरी

    तब हम दोनों वक्त चुराकर लाते थे
    अब मिलते हैं तब भी फुर्सत होती है।

     

    मैं तो पा न सका कभी उस खलिश से छुटकारा
    वो मुझसे जीत भी सकता था जाने क्यों हारा।

     

    सबकी ख़ुशी से फासला एक कदम है
    हर घर में बस एक ही कमरा कम है।

     

    जिधर सब जाते हैं उधर जाना अच्छा नहीं लगता
    मुझे पामाल रास्तों का सफर अच्छा नहीं लगता

     

    उसकी आँखों में काजल फ़ैल रहा है
    मैं भी मुर के जाते जाते देख रहा हु।

     

    तुम फुजूल बातो पर दिल पर बोझ मत लेना
    हम तो खैर कर लेंगे ज़िंदगी बसर तन्हा

     

    ये ज़िंदगी भी अज़ाब कारोबार है की मुझे
    ख़ुशी है पाने की न कोई रंज है खोने का

     

    कोई सिकवा न गम न कोई याद
    बैठे बैठे बस आँख भर आयी।

     

    हर तरफ शोर उसी नाम का है दुनिया में
    कोई उसको जो पुकारे तो पुकारे कैसे।

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