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होली क्यों मनाया जाता है? holi story

    होली (Holi),/ ndian color festival

     Holi ka त्यौहार बुराई par अच्छाई ki जीत ke रूप mein मनाया jata hain. ये ek ऐसा त्यौहार hai जिसमे bachche बूढ़े हर उम्र ke लोग शामिल होकर rang paani खेलते hai ढोल aur ताशे बजाते hai गीत गाते झूमते hain. रंगों ka yeh त्यौहार पारंपरिक रूप se दो दिन मनाया jata hain. Pahle दिन होलिका जलायी जाती hain. Jise होलिका दहन bhi kahte hain. दूसरे दिन, jise प्रमुखतः धुरखेलधुलेंडी व धुरड्डी ya धूलिवंदन ke अलावा इसके अन्य नाम se bhi जानते hain. Is दिन लोग ek दूसरे par rang, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते hain. Is दिन ढोल बजकर bhi हर्स उल्लास se होली मानते hain.


    holi
    Holi
     होली ke त्यौहार mein जितना अधिक महत्त्व होली ke रंगों ka hota hain. उससे कही ज़्यादा महत्त्व होलिका दहन ka hota hain. ऐसा mana jata hai ki is दिन होलिका ka पूजन karne se व्यक्ति ki सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती hain. होलिका दहनरंगों ki खेलने वाली होली se ek दिन पूर्व kiya jata hain. इसे छोटी होलीहोलिका दहन ya होली दहन bhi कहा jata hain. जिसके पीछे ek बहुत badi सच्ची कथा hain. Is दिन बहुत se क्षेत्रों mein प्रकृति aur देवताओं ka विशेष पूजन bhi kiya jata hain. ताकि उनकी आगामी फसल अच्छी हो।
     

    Holi क्यों मनाया jata hai?, / holi story

     
    पौराणिक कथा ke अनुसार होली ka त्यौहार ki शुरुआत हिरण्यकश्यप ke जमाने se होना मानी जाती hain. हिरण्यकश्यप प्राचीन bharat ka ek राजा tha jo ki असुर ki तरह था। कहा jata hai ki हिरन्यकश्यप नाम ka ek राक्षस hua करता था। जिसके छोटे भाई ka वध भगवान् विष्णु ne kiya था। हिरन्यकश्यप ne ब्रह्मदेव ki कठोर आराधना करके उनसे ek वरदान हासिल kiya था।
     
    उस वरदान ke मुताबिक हिरन्यकश्यप ko ना to koi इंसान मार sakta tha aur ना hi koi जानवर। न दिन mein न ना raat mein, ना अश्त्र se ना शस्त्र se, न hi jameen par ना hi आसमान में। अपनी इसी शक्ति ke कारण वह hamesha घमंड mein चूर rahta tha aur भगवान् विष्णु se apne भाई ka बदला लेना चाहता था।
     
    अब aapko पता चलेगा असली baat ka ki होली क्यू मनाई जाती hain. दरअसल हिरन्यकश्यप विष्णु ka कट्टर विरोधी था। उसने apne राज्य mein ऐलान करवा दिया tha ki koi bhi विष्णु भगवान् ki पूजा अर्चना nahi करेगा। agar koi ऐसा करते हुए पाया gya to usay मृत्युदंड de दिया जायेगा। उसका कहना tha ki वह खुद भगवान् hai aur उन सब ko उसकी पूजा करनी चाहिए। हिरन्यकश्यप ke डर se सभी लोगों ne भगवान् विष्णु ki आराधना karna छोड़ दिया था। लेकिन उनका खुद ka ek बेटा tha जिसका नाम “प्रहलाद” था। tha to वह bachcha, लेकिन is कच्ची उम्र mein bhi वह भगवान विष्णु ki आराधना kiya था।
     
    प्रहलाद भगवान विष्णु ka बहुत hi बड़ा भक्त था। jab हिरन्यकश्यप ko is baat ka पता चला to वह आग बबूला ho गए। उन्होंने प्रहलाद ko हर तरह se समझाने ki कोशिश ki वह विष्णु ki पूजा karna छोड़ दे। लेकिन प्रहलाद ठहरे सच्चे aur पक्के भक्तवह जहाँ मानने वाले थेबस अपनी hi धुन mein लगे रहे। आखिरकार हिरनकश्यप ne apne अभिमान ki खातिर प्रहलाद ko मारने ki ठान ली। उन्होंने इसके liye कई प्रयास किएलेकिन भगवन विष्णु ki कृपा ke कारण उनका हर प्रयास विफल ho गया। वह बुरी तरह se झुंझला उठे। उन्हें समझ nahi आ raha tha ki वह-वह थी to kya करें।
     
     आख़िरकार प्रहलाद ko मारने ke liye उन्होंने अपनी बहन ki मदद लेने ke बारे mein सोचा। हिरन्यकश्यप ki ek बहन थी जिसका नाम “होलिका” था। वह भगवान् शिव ki बहुत hi बड़ी भक्त थी। उन्होंने भगवान शिव ko प्रसन्न करके उनसे ek वरदान हासिल किया। भगवान् शिव ne usay ek ऐसा वस्त्र दिया tha jise पहनने ke बाद अग्नि bhi usay nahi जला सकती थी। बस इसी baat ka fayda हिरन्यकश्यप उठाना चाहता था। उसने अपनी बहन se प्रहलाद ko गोद mein लेकर आग mein बैठने ko कहा। इसलिए प्रहलाद जल ho aur होलिका apne वरदान ki बदौलत जिंदा बच जाए।
     
    होलिका ne ऐसा hi kiya, लेकिन वे कहती hain ki ना ki भगवान् kisi ना kisi तरीके se apne भक्तों ki रक्षा ज़रूर करते hain. Apne भक्त प्रहलाद ko बचाने ke liye विष्णु भगवान् ne bhi ek चाल चली। जैसे hi होलिका apna वस्त्र पहनकर प्रहलाद ko गोद mein लेकर बैठी। भगवान् विष्णु ne जोर se धक्का देकर चला दी। जिसके कारण होलिका ka वह वस्त्र उड़कर दूर चला gya aur होलिका कुछ hi सेकंड mein भस्म ho गयी। वहीँ भगवान विष्णु ki कृपा ke बदौलत प्रहलाद ka बाल bhi बांका nahi हुआ। यही कारण hai ki जिसके कारण आज tak होली मनाई जाती hain. प्रहलाद ke बचने aur होलिका ke जलने ki ख़ुशी mein ये त्यौहार मनाया jata hain.
     

    Holi कब मनाया jata hai?, / When is holi?/ happy holi

     
     
    होली ka त्यौहार फाल्गुन माह ke पूर्णिमा ko मनाया jata hain. Is रंगों ke त्यौहार ko पूरे देश mein बड़े धूम धाम se मनाया jata hain. हिन्दू पंचांग ke अनुसार फाल्गुन माह ko हिन्दू कैलेंडर ka अंतिम दिन mana jata hain. Is पर्व ko bharat ke अलाबा नेपाल aur विश्व ke कई अन्य क्षेत्रों mein bhi मनाया jata hain.
     
    Holi, bharat mein प्राचीन काल se मनाया jata hain. इसे होलीहोलका ya होलिका नाम se bhi जाना jata hain. इतिहासकारों ka मानना hai ki अर्यो mein bhi is त्यौहार ka प्रचलन था। लेकिन is त्यौहार ko अधिकतर पूर्वी bharat mein मनाया jata था। is त्यौहार ka वर्णन अनेक धार्मिक पुरातन पुस्तको mein मिलता hai is त्यौहार ko
     
    भविष्य पुराण aur नारद पुराण जैसे पुराणों प्राचीन हस्तलिपियो aur ग्रंथो mein bhi उल्लेख kiya gya hain.
     
    Bharat ki बहुत se पवित्र पौराणिक पुस्तकोंजैसे संस्कृत नाटकरत्नावलीपुराणदसकुमार चरित mein iska उल्लेख kiya gya hain. होली ke is अनुष्ठान par लोग सामुदायिक केंद्रसड़कोंपार्कों aur मंदिरों ke आस-पास ke क्षेत्रों mein होलिका दहन ki रस्म ke liye लकड़ी aur अन्य ज्वलनशील सामग्री ke ढेर बनाते hain. Ghar par साफ-सफाई bhi करते hain. उस दिन कई प्रकार ke व्यनजन bhi बनाते hain. जैसे ki गुझिया, , चिप्समिठाईमठ्ठीमालपुआ, badi आदि।
     

    होली खेलने se pahle kya karna ज़रूरी hai?/ holi utsav

     
    1. Holi ke दिन सिर्फ़ aur सिर्फ़ organic aur naturals रंगों ka istemal करें। जैसे ki food dye.
     
    2.केमिकल यूक्त रंगों se बचने ke लिए। apne sharir par ऐसा कपड़ा पहने jisse sharir पूरी तरह se ढक जाये। ताकि स्किन par kisi तरह ki ग़लत ना परे।
     
    3. नहाते बक्त sharir se rang जल्द छुटे इसके liye aap होली खेलने se pahle apne चेहरे, sharir aur बाल par koi bhi तेल laga ले।
     
    4. Holi खेलने ke बाद agar रंगों se aapke sharir par जलन ya koi bhi शारीरिक परेशानी hone लगे to जितना जल्द ho सके डॉक्टर se संपर्क करे।
     
    5. Agar koi asthma ke मरीज hai to usay होली खेलते बक्त face mask ka उपयोग अबश्य karna चाहिए।
     
    6. Holi खोलते समय apne बालो ko बचाने ke liye सर par टोपी laga लेनी चाहिए।
     

    होली खलते बक्त kya nahi karna hai?

     
    1. आजकल chemicals se बने rang ya synthetic rang market mein kafi देखने ko मिलता hai ऐसे रंगों ke istemal karne se बचना चाहिए।
     
    2. Rang agar नाकआँखकान aur मुह mein जाये to बुरा असर ho sakta hain. Is liye इसे बचाए रखे।
     
    3.मिलजुल kar होली सिर्फ़ apne परिवारजान-पहेचान बालो aur दोस्तों ke साथ hi मनाएँ। kisi अजनबी ke साथ nahi मनानी चाहिए।
     
    4. ऐसे ब्यक्ति रंगों se दूर रहे jo eczema se पीड़ित हो।
     
    5. Rang खुशियों ka त्यौहार hain. Is liye जबरदस्ती kisi ko न लगाये aur ना hi kisi जानबर ko लगाये।
     
    6. बाज़ार mein मिल रहे सस्ते रगों se दूर रहे aur चाइनीज रंगों se bhi दूर रहे। क्योकि yeh सेहत ke liye kafi खतरनाक ho सकती hain.
     

    शरीर  se रंगों ko kaise हटाये?

     
    हर्ष aur उल्लाश ke साथ होली खेलनेके bad अब ham सब ke मन mein yeh ख्याल आता hai ki apne सरीर se is rang ko kaise हटाये। क्योकि आज कल हम yeh देखते hai ki होली ka त्यौहार ek अलग तरह ka hi रूप le लिया hain. जिसमे लोगो ne केमिकल युक्त रंगों se होली खेलते hain. Jo खुद ke साथ-साथ दुसरे सभी लोगो ko bhi नुकसान पहुचाते hain. अतः aap सभी log ऐसी केमिकल युक्त रंगों se ना खेलकर अबीर गुलाल ke साथ होली ke त्यौहार ko मानाये। अब हम aapko बताने बाले hai ki rang ko apne शरीर  se kaise हटाये।
     
    होली खेलने se pahle hi अपनी sharir ko moisturise kar लें। क्योकि तेल ke इस्तमाल se koi bhi rang हमारे त्वचा mein stick nahi करेगा। ऐसा karne se धोने mein kafi आसानी ho जाती hain. सर par टोपी ya बालो mein तेल laga लेनी चाहिए। jisse बालों ko rang se kisi bhi तरह ki नुकसान न हो। केमिकल त्वचा ke liye नुकसान hota hai इसलिए hamesha organic colours जैसे ki food dye ka hi इस्तमाल करनी चाहिए aur सूखे rang ka इस्तमाल करें ताकि उन्हें आसानी se झाड़ा ja सके।
     
    Aapko पता चल gya hoga ki होली क्यों मनाया jata hain. लेकिन आपलोगों se ek सलाह hai ki होली mein chemical रंगों ka istemal ना करे। aap अपनी सेहत ke साथ-साथ दूसरों ke सेहत ke साथ खिलवाड़ कदापि ना करें। सिर्फ़ aur सिर्फ़ naturals रंगों ka hi istemal करें।
     
    धन्यवाद… … … … … … … … 
     
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