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Top 20 Hindi Moral Story For Class 9 हिंदी नैतिक कहानी

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    Top 20 Hindi Moral Story For Class 9 हिंदी नैतिक कहानी

    Hindi Moral Story For Class 9:- Here I’m sharing the top Hindi Moral Story For Class 9 For Kids which is very valuable and teaches your kids life lessons, which help your children to understand the people & world that’s why I’m sharing with you.

    Top 20 Hindi Moral Story For Class 9

    यहां मैं बच्चों के लिए हिंदी में नैतिक के लिए शीर्ष कहानी साझा कर रहा हूं जो बहुत मूल्यवान हैं और अपने बच्चों को जीवन के सबक सिखाते हैं, जो आपके बच्चों को लोगों और दुनिया को समझने में मदद करते हैं इसलिए मैं आपके साथ हिंदी में नैतिक के लिए कहानी साझा कर रहा हूं।

    1. Moral Stories in Hindi for class 9 – अनूठी वतनपरस्ती

    हकीम अजमल खाँ दिल्ली के जाने-माने चिकित्सक होने के साथ-साथ धर्मपरायण व्यक्ति थे। अभावग्रस्त रोगियों की निःशुल्क चिकित्सा के लिए वे सदैव तत्पर रहते थे।

    हकीम जी कांग्रेस के कर्मठ सदस्य भी थे। उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया था। गांधीजी के आह्वान पर उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग का संकल्प लिया था।

    एक बार वे जामा मस्जिद में जुम्मे की नमाज अदा करने पहुँचे। नमाज के बाद सैकड़ों लोगों ने जय-जयकार करते हुए उनकी दरियादिली के प्रति आभार व्यक्त किया।

    हकीम साहब ने कहा, ‘मैं गरीब मरीजों की चिकित्सा कर कोई एहसान नहीं करता। मैं मजहब के इस सार को जानता हूँ कि गरीबों और मरीजों की खिदमत करना ही सच्चा धर्म है।’

    एक बार किसी रजवाड़े के राजा ने बीमार रानी के इलाज के लिए हकीम साहब को सादर बुलवाया। महल विदेशी कपड़ों से सजा हुआ था । हकीम साहब ने राजा रानी को विदेशी पोशाक में देखा, तो विनम्रता से कहा, ‘गांधीजी की प्रेरणा से सारे देश में स्वदेशी की लहर चल रही है ।

    आप भी विदेशी वस्तुओं की जगह खादी के वस्त्रों का उपयोग किया करें।’ रानी ने खुरदरी होने की वजह से बदन पर खादी के चुभने की बात कही, तो हकीम साहब ने कहा, ‘अपनी माँ कुरूप होने पर भी अपनी है। इसी तरह स्वदेश में बनी वस्तुओं से प्रेम करना चाहिए । ‘ राजपरिवार उनकी बातों से प्रभावित हो खादी का उपयोग करने लगा ।

    2. Moral Stories in Hindi for class 9 – वतन के लिए फाँसी भी मंजूर

    चंद्रशेखर आजाद और रामप्रसाद बिस्मिल के साथ स्वाधीनता के लिए सतत संघर्ष करने वाले अशफाक उल्ला खां पर काकोरी रेलवे स्टेशन के निकट सरकारी खजाना लूटने और एक अंग्रेज की हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया गया।

    रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह अशफाकउल्ला और राजेंद्र लाहिड़ी को अदालत ने मौत की सजा सुनाई, जबकि मन्मथनाथ गुप्त, शचींद्रनाथ बख्शी आदि को आजीवन कारावास का दंड दिया गया।

    चंद्रभानु गुप्त और वकील कृपाशंकर हजेला ने इन क्रांतिकारियों को फाँसी से बचाने के लिए मुकदमे में पैरवी की थी । 19 दिसंबर, 1927 को फैजाबाद में अशफाक उल्ला खाँ को फाँसी दी जानी थी।

    दो दिन पूर्व 17 दिसंबर को अशफाक के बड़े भाई रियासतुल्ला और शहंशाह खाँ अपने बच्चों के साथ वकील हजेला को लेकर अशफाक से अंतिम भेंट करने फैजाबाद जेल पहुँचे। मिलते ही दोनों भाई व भतीजे रोने लगे।

    अशफाक उल्ला खाँ ने एक तरफ संकेत करते हुए कहा, ‘ये सामने जो तीन भाई खड़े हैं, इन्हें डेढ़ सेर गुड़ के लिए हुए झगड़े में हुई हत्या के आरोप में फाँसी दी जाएगी।

    मुझे तो अपने प्रिय वतन की आजादी के संघर्ष के लिए फाँसी पर चढ़ाया जाएगा।’ कुछ क्षण रुककर उन्होंने कहा, ‘हिंदुओं में खुदीराम बोस व कन्हाई लाल दत्त वतन के लिए फाँसी पर झूले थे मगर मुसलमानों में मैं पहला खुशनसीब हूँ,

    जो वतन के लिए शहीद होगा। इसके लिए आपको खुश होना चाहिए।’ 19 दिसंबर को अशफाक उल्ला खाँ हँसते-हँसते फाँसी पर झूल गए ।

    3. Moral Stories in Hindi for class 9 – भगवान् चाहिए

    नरेंद्रदत्त स्वामी रामकृष्ण परमहंस के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। वे जानते थे कि स्वामीजी परम विरक्त, तपस्वी और सिद्ध पुरुष हैं। माँ काली उनसे बातें करती हैं।

    नरेंद्र प्रतिदिन मंदिर जाकर अपने गुरु के दर्शन अवश्य करते थे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस भी प्रेम से उनके सिर पर हाथ फेरते। उन्हें उपदेश देकर उनका मार्गदर्शन करते ।

    एक दिन नरेंद्र उनके पास पहुँचे, तो परमहंसजी ने उनकी उपेक्षा की। नरेंद्र उठे और आश्रम का काम करके पुनः उनके पास आए। इस बार भी गुरुदेव उनसे नहीं बोले ।

    नरेंद्र सोचने लगे कि कहीं उनसे कोई भूल तो नहीं हो गई । उन्होंने उस समय लौटने में ही भलाई समझी | अगले दिन वे पुनः स्वामी रामकृष्ण के दर्शन को पहुँचे।

    स्वामीजी ने कहा, ‘नरेंद्र, तू कल यहाँ कई बार आकर बैठा, लेकिन मैंने तुमसे बात नहीं की। ‘ नरेंद्र ने कहा, ‘मैं आपके पास बात करने नहीं, दर्शन करने आता हूँ। दर्शन से ही मुझे सबकुछ मिल जाता है। ‘

    स्वामी रामकृष्ण ने कहा, ‘मैंने तेरी श्रद्धा की परीक्षा के लिए ऐसा किया और तू उस कसौटी पर खरा उतरा। आज तू मुझसे सिद्धियों के उपयोग का मंत्र सीख ले। ‘

    नरेंद्र ने पूछा, ‘बाबा, क्या इन सिद्धियों से ईश्वर को पाने में मदद मिलेगी।’ उन्होंने कहा, ‘नहीं, सिद्धियों के कारण तेरी ख्याति फैलेगी।’ नरेंद्र ने कहा, ‘मुझे ईश्वर को पाना है । ख्याति पाने की कोई इच्छा नहीं है । ‘ रामकृष्ण ने उन्हें गले से लगा लिया। नरेंद्र ही आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के रूप में प्रसिद्ध हुए।

    4. Moral Stories in Hindi for class 9 – शरीर परमात्मा का है

    स्वामी रामतीर्थ का नाम तीर्थ राम था । वे बचपन से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे। धन्ना भगत नामक एक संत के सान्निध्य में आकर उन्होंने धर्मशास्त्रों और उपनिषदों का गहन अध्ययन किया ।

    वेदांत से प्रभावित होकर आखिरकार वे वैराग्य की ओर उन्मुख हो गए। उन्होंने लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई की और एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत स्यालकोट के मिशन कॉलेज तथा लाहौर के कॉलेज में शिक्षण कार्य भी किया।

    एक दिन वे लाहौर में आयोजित सत्संग में श्रीरामकथा सुन रहे थे। श्रीराम की लीला का वर्णन सुनते ही अचानक वे रो पड़े और बोले, ‘प्यारे राम, मुझ दीन पर दया करो।

    क्या मैं किष्किंधा के बंदरों से भी गया बीता हूँ, जिन्होंने अपना समय आपके बीच बैठकर बिताया? क्या मैं शबरीजी के बराबर भी सौभाग्यशाली नहीं हूँ, जिनके जूठे बेर आपने खाए।’

    उन्होंने शरीर की सुध-बुध खोकर संकल्प लिया, ‘अब यह शरीर मेरा नहीं, परमात्मा का है। ‘ वर्ष 1897 में दीपावली के दिन तीर्थराम संन्यास लेकर स्वामी रामतीर्थ हो गए।

    उन्होंने अपने पिता गोस्वामी हीरानंदजी को पत्र में लिखा, ‘आज का दिन दीवाली का है। मैं भी जुआ खेलने बैठा हूँ और अपना जीवन दाँव पर लगाकर उसे भगवान् के लिए समर्पित कर चुका हूँ।’

    स्वामी रामतीर्थ ने अमेरिका और ब्रिटेन में जाकर सनातन धर्म का प्रचार कर भक्ति भागीरथी प्रवाहित की। उन्होंने भारतीय संस्कृति का संदेश जन-जन तक पहुँचाया।

    5. Moral Stories in Hindi for class 9 – अनूठा शौर्य

    श्री गुरु गोविंदसिंहजी संत कवि और परम पराक्रमी योद्धा थे। एक बार वह आनंदपुर से चलकर कीरतपुर, रोपड़ होते हुए नाहण रियासत में पहुँचे। नाहण के राजा मेदनी प्रकाश गुरु तेगबहादुरजी के अनूठे बलिदान के कारण पूरे परिवार के प्रति श्रद्धा भावना रखते थे।

    उन्हें पता चला कि गोविंदसिंहजी नाहण आए हुए हैं, तो वे राजमहल से नंगे पाँव उनके स्वागत के लिए जा पहुँचे। गुरु गोविंदसिंह को पता था कि नाहण के राजा का श्रीनगर के राजा से विवाद इस सीमा तक पहुँच चुका है कि कभी भी युद्ध की स्थिति आ सकती है।

    उन्होंने नाहण नरेश को उपदेश देते हुए कहा, ‘अहंकार ही तमाम झगड़ों की जड़ है। जो प्राणी अपने को तुच्छ मानकर केवल भगवान् को बड़ा मानता है, उसका कभी किसी से बैर नहीं हो सकता।

    अतः दोनों राजा अहंकार का त्याग कर बैर खत्म करो।’ गुरुजी के प्रयास से दोनों राजा शत्रुता त्याग कर मित्र बन गए।

    एक दिन गुरुजी को पता चला कि नाहण के जंगल में एक बब्बर शेर का आतंक व्याप्त है। उन्होंने दोनों राजाओं से कहा, ‘राजा का परम कर्तव्य है कि वह प्रजा को सताने वाले का खात्मा करे । ‘

    गुरुजी राजाओं के साथ हाथी पर बैठकर जंगल में जा पहुँचे। उन्होंने जैसे ही शेर को देखा कि तलवार लेकर जूझ पड़े। उन्होंने शेर को यमलोक पहुँचा दिया। सभी उनका शौर्य देखकर चकित हो उठे।

    गुरुजी उपदेश में कहा करते थे, ‘पीड़ितों की रक्षा सहायता करना भगवान् की भक्ति ही है। ‘

    6. Moral Stories in Hindi for class 9 – पढ़ो ही नहीं, अमल भी करो

    महान् ब्रह्मनिष्ठ संत स्वामी रामानंद सरस्वती गाँवों व नगरों में पहुँचकर धर्म, सदाचार, कर्तव्यपालन व भक्ति का प्रचार किया करते थे।

    एक बार काशी में कोलकाता के एक विद्वान् देवीचरण गांगुली अपनी पत्नी व पुत्र के साथ उनके सत्संग के लिए पहुँचे। श्री गांगुली ने अनेक धर्मशास्त्रों का गहन अध्ययन कर रखा था।

    उन्होंने स्वामीजी से कहा, ‘महाराज, मैंने अपना अब तक का जीवन विभिन्न शास्त्रों के अध्ययन और सत्संग में खपा दिया। देश के सभी तीर्थों की कई कई बार यात्राएँ कीं, किंतु मुझे अभी तक सुख-शांति की अनुभूति नहीं हुई। इसका क्या कारण है?’

    स्वामी रामानंदजी ने पूछा, ‘आपने धर्मशास्त्रों में जो भी पढ़ा, क्या उसमें से कुछ बातों का पालन करने का प्रयास किया है? प्रत्येक व्यक्ति को ईमानदारी से अर्जित अपनी आय का कुछ अंश गरीबों,

    बेसहारा लोगों और बीमारों की सेवा में खर्च करना चाहिए। सात्त्विक जीवन जीना चाहिए। आपने क्या कभी इनमें से कुछ नियमों का पालन किया है?’

    देवीचरण गांगुली स्वामीजी के वचन सुनकर चुप बैठे रहे। स्वामीजी ने कहा, ‘जिस प्रकार औषधि खाने से ही लाभ होता है, उसी प्रकार जब तक पढ़ी-सुनी बातों पर अमल नहीं करोगे, उनका लाभ नहीं होगा।

    तीर्थयात्रा के फेर में न पड़कर धर्म के सारभूत तत्त्वों को जीवन में उतारने में अपना समय बिताएँ । इन्हीं कर्मों से आपको शांति मिलेगी।’

    7. Moral Stories in Hindi for class 9 – शास्त्रीजी तो साधु हैं

    लालबहादुर शास्त्री एक बार पंडित मदनमोहन मालवीय से मार्गदर्शन लेने पहुँचे। मालवीयजी ने उनसे कहा, ‘उसी राजनेता को सम्मान मिलता है, जो अपने साथियों के सुख दुःख में सहभागी बनता है। दूसरी बात यह हमेशा ध्यान रखना कि कथनी और करनी में कभी कोई अंतर न आने पाए।’

    कुछ दिनों बाद ही शास्त्रीजी राष्ट्रीय आंदोलन के सिलसिले में गिरफ्तार कर नैनी जेल भेज दिए गए । झुंसी (प्रयाग) के संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी शास्त्रीजी की सात्त्विकता से काफी प्रभावित थे ।

    ब्रह्मचारीजी एक दिन फल-मिठाई एवं अन्य सामग्री लेकर शिष्यों के साथ जेल पहुँचे। उन्हें शास्त्रीजी को सौंप दिया। शास्त्रीजी ने वे सामग्रियाँ अपने उन साथियों में बाँट दीं, जो उनके साथ सत्याग्रह में गिरफ्तार हुए थे।

    उन्होंने ब्रह्मचारीजी से कहा, ‘ये सभी मेरे नेतृत्व में सत्याग्रह कर जेल आए हैं। मेरा कर्तव्य है कि जो सामग्री जेल में पहुँचे, पहले इन सबको दूँ।

    ब्रह्मचारीजी के एक शिष्य कुछ वस्त्र लाए थे । शास्त्रीजी ने उन वस्त्रों को ऐसे विचाराधीन कैदियों में बाँट दिया, जो फटे-पुराने कपड़े पहने रहते थे। शास्त्रीजी ने कहा, ‘महाराज, मैंने मालवीयजी के समक्ष

    व्रत लिया था कि दो जोड़ी कपड़ों से ज्यादा वस्त्र अपने पास नहीं रखूँगा। मैं एक जोड़ी धोती-कुरता अपने हाथों से धोकर सुखा देता हूँ और अगले दिन उसे बदल लेता हूँ।’

    उनकी इस विरक्ति भावना को देखकर ब्रह्मचारीजी ने कहा, ‘आज पता लगा कि हम गेरुआ वस्त्रधारी साधुओं से बड़े और सच्चे संत तो हमारे शास्त्रीजी हैं। ‘

    8. Moral Stories in Hindi for class 9 – बुरा क्यों चाहूँ?

    संत मार्टिन लूथर ने धर्म के नाम पर प्रचलित अनेक रूढ़ियों के विरुद्ध जन जागरण अभियान चलाया। इससे चिढ़कर कुछ रूढ़िवादियों ने उन पर निराधार आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने का काम शुरू कर दिया ।

    एक दिन संत लूथर के एक मित्र ने कहा, ‘आप अच्छी बातों का प्रचार करें। पुरानी मान्यताओं पर प्रहार कर व्यर्थ ही अपना विरोध क्यों बढ़ा रहे हैं?’

    उन्होंने उत्तर दिया, ‘मैं धर्म प्रचारक हूँ। धर्म के नाम पर फैल रहे अधर्म रूपी पाप का मूक दर्शन बनकर भी तो मैं परमात्मा का विरोध सहन करूँगा। इससे अच्छा है कि इन गलत मार्ग पर चलने वालों का विरोध झेलूँ, किंतु अंत में उन्हें ही चुप होना पड़ेगा।’

    जब संत लूथर को पाखंडियों ने ज्यादा सताना शुरू किया, तो एक शिष्य ने कहा, ‘अब तो हद ही हो गई है । आपकी प्रार्थना भगवान् भी सुनते हैं क्यों न आप उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे इन पाखंडियों को दंडित करें। इतना ही नहीं, इनकी गलत शब्द उच्चारण करने वाली जीभ को लकवा मार जाए। ‘

    संत लूथर ने कहा, ‘मैं प्रतिदिन भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि इन भ्रमित लोगों को सद्बुद्धि दो। उन्हें पाखंड के मार्ग से हटाकर सच्चे धर्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा दो ।

    यदि मैं उनका बुरा चाहूँगा और उन्हें शाप दूँगा, तो फिर उनमें और मुझमें अंतर ही क्या रहेगा?’ शिष्य अपने गुरु का विशाल हृदय देखकर हतप्रभ रह गया।

    9. Moral Stories in Hindi for class 9 – बच्चे का उद्धार

    एक जमाना था, जब आदमी को ‘दास’ की तरह बाजार में बेचा जाता था। कुछ दुष्ट किस्म के लोग बच्चों को उठा लेते थे और उन्हें मंडी में बेच देते थे। एक दिन बीबी खदीजा को किसी ने बताया कि एक मासूम-सुंदर बच्चा मंडी में बेचने के लिए लाया गया है ।

    यह सुनकर उनका दिल पसीज गया। वे बाजार गईं और पैसे देकर उस बच्चे को खरीद लाईं | वे बच्चे को लेकर नबी के पास पहुँचीं। नबी बच्चों को बहुत प्यार करते थे।

    उन्होंने अपनी सरपरस्ती में उसका बहुत प्रेम से पालन-पोषण किया। बच्चा अच्छे संस्कारों में ढलने लगा। वह नबी को ‘अब्बा हुजूर’ कहकर बहुत इज्जत देता ।

    कुछ महीने बाद बच्चे के असली पिता को पता लगा कि उनका बिछुड़ा बच्चा नबी के पास है, जिसे बीबी खदीजा ने खरीदा था। पिता जैसे-तैसे धन जुटाकर नबी के पास पहुँचे। पिता ने रुपए उनके सामने रखकर प्रार्थना की, ‘मेरे बच्चे को मुझे सौंप दें। ‘

    नबी ने कहा, ‘रुपए उठा लो। अपने बच्चे को ऐसे ही ले जाओ। यह तुम्हारी धरोहर है।’ प्रेम व सद्व्यवहार के कारण बच्चा नबी से इतना हिल मिल गया था कि उसने पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया।

    जब जबरदस्ती की जाने लगी, तो वह नबी के पैरों से लिपट गया। पिता ने यह दृश्य देखा, तो बोला, ‘आपने मेरे साधारण बच्चे को अच्छी तालीम देकर प्रेम के बंधन में जकड़ लिया है। मुझे इसी बात का संतोष है कि यह एक बहुत बड़े औलिया की देख-रेख में सच्चा इनसान बनेगा।’ इतना कहकर वे वहाँ से चले गए।

    10. Moral Stories in Hindi for class 9 – सदैव न्याय करना

    खानदेश (महाराष्ट्र) के जिलाधीश लक्ष्मणराव देशमुख ईश्वर में दृढ़ विश्वास रखने वाले तथा वेदों के अनुसार जीवनयापन करने वाले अधिकारी थे। वे अंग्रेज अफसरों के अन्यायपूर्ण आदेशों को निर्भीकता के साथ मानने से इनकार कर देते थे ।

    आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के वेद संबंधी विचारों से वे प्रभावित हुए। मई 1883 में देशमुख स्वामीजी के सत्संग के लिए अजमेर गए ।

    स्वामीजी अजमेर से जोधपुर जा रहे थे। देशमुख ने उन्हें अपना परिचय दिया और कहा, ‘मैं आपसे योग विद्या सीखने और सत्संग के लिए आया हूँ।’ स्वामीजी ने कहा, ‘मेरे साथ जोधपुर चलो।’

    रास्ते में स्वामीजी ने उन्हें वैदिक धर्म के महत्त्व से अवगत कराया। उन्होंने बताया, ‘सत्य पर सदैव अटल रहना चाहिए। सत्य बात कहने में कदापि नहीं हिचकना चाहिए । सत्यवादी व सदाचारी से बड़ा दूसरा कोई धर्मात्मा नहीं होता।’

    जिलाधीश देशमुख जोधपुर में एक सप्ताह तक स्वामीजी के साथ रहे। एक दिन स्वामीजी ने उनसे कहा, ‘आप जिलाधीश हैं। किसी के साथ अन्याय न होने पाए और किसी असहाय का उत्पीड़न न हो – इसका पूरा ध्यान रखना अधिकारी का परम धर्म और दायित्व होता है । ‘

    योग की शिक्षा व सद्प्रेरणा प्राप्त कर देशमुख खानदेश लौटने लगे, तो उन्होंने स्वामीजी का चरणस्पर्श कर कहा, ‘जो वर्षों की साधना के बाद नहीं मिल सकता, वह मुझे आपके पावन सान्निध्य से मिल गया है। मैं आजीवन आपके बताए सद्मार्ग पर चलता रहूँ, ऐसा आशीर्वाद दें।’

    11. बूढ़ा आदमी और मौत New Hindi Moral Story For Class 9

    एक दिन एक बूढ़ा लकड़हारा जंगल में लकड़ियाँ काट रहा था। लकड़ियाँ काटते-काटते वह बड़बड़ाने लगा, “मैं दिनों-दिन बूढ़ा होता जा रहा हूँ, इसलिए ज्यादा दिन तक यह कठिन काम नहीं कर पाऊंगा।

    मेरी टांगों और बाँहों में हर समय दर्द होता रहता है। मैं और अधिक जीना नहीं चाहता। अब मैं मर जाना चाहता हूँ।” यह कहते ही उसने अपनी कुल्हाड़ी एक ओर फेंक दी।

    कुल्हाड़ी फेंकते ही तेज बिजली कड़की और यमराज उसके सामने आकर खड़े हो गए और कहा, “मैं तुम्हें अपने साथ ले जाने आया हूँ।”

    यमराज को अपने सामने देखकर लकड़हारा डर के मारे कांपते हुए बोला, “माफ करना, मैं अभी मरना नहीं चाहता। आप कृप्या मुझे मेरी कुल्हाड़ी उठाकर दे दें ताकि मैं लकड़ियाँ काट सकूँ।”

    शिक्षा: बिना सोचे-विचारे कुछ नहीं बोलना चाहिए।

    12. विशाल बरगद और सरकंडा Latest Hindi Moral Story For Class 9

    जंगल में एक विशाल बरगद का पेड़ और कुछ सरकंडे साथ-साथ खड़े थे। एक दिन तेज हवा के झोंके से एक सरकंडा पूरी तरह नीचे झुक गया। यह देखकर बरगद बड़े घमंड से बोला,

    “तुमने अपनी हालत देखी है? हवा के झोंके के सामने खड़े भी नहीं रह सकते। मुझे देखो, मैं हमेशा तनकर खड़ा रहता हूँ, चाहे कितनी भी तेज हवा क्यों न चले।” एक दिन बहुत तेज तूफान आया,

    जिससे छोटा-सा सरकंडे का पौधा बुरी तरह झुक गया। उसे देखकर एक बार फिर पेड़ हँसते हुए बोला, “देखा, तूफान भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सका। मैं अब भी तनकर खड़ा हूँ।” तभी जोर की आंधी चलने लगी।

    सैकड़ों पेड़ टूटकर गिर गए और धमाके के साथ बरगद का पेड़ भी उखड़कर धरती पर आ गिरा। आज सरकंडे का पौधा बोल, “दिया, अपने घमंड का फल।

    हमेशा तनकर रहते हो और हवा के झोंके को रास्ता नहीं देते, जबकि मैं कमजोर और छोटा हूँ, इसलिए हवा के झोंके को झुककर रास्ता दे देता हूँ। यही कारण है कि मैं इस आंधी-तूफान में भी खड़ा हूँ, जबकि तुम जड़ से उखड़ गए हो।”

    13. बेचारा चरवाहा Amazing Moral Story In Hindi For Class 9

    समुद्र तट पर बसे एक गाँव में एक चरवाहा रहता था। वह दूध बेचकर आसानी से अपने जीवन का निर्वाह करता था। एक दिन उसके मन में विचार आया कि क्यों न वह समुद्र पार कर व्यापार करे।

    यह सोच उसने अपनी सभी भेड़ें बेच दी तथा काफी मात्रा में खजूर खरीद लिये। उसने अपनी यात्रा आरम्भ की। बीच रास्ते में वह उस धन को गिनने लगा जो उसने खजूर की बोरियों को बेचकर कमाया था।

    तभी अचानक तेज हवाएँ चलने लगीं और उन हवाओं ने एक भयंकर तूफान का रूप ले लिया। लहरें तेज होने के कारण उसकी नाव डगमगाने लगी और डूबने की स्थिति में आ गई।

    उसने खजूर के अपने सारे बोरे समुद्र में फेंक दिए ताकि खाली नाव के सहारे वह आसानी से किनारे तक पहुँच सके। वह बहुत दुखी था।

    कुछ समय बाद तूफान शांत हो गया। चरवाहा बड़े ध्यान से समुद्र की ओर देखते हुए दुःखी स्वर में बोला, “शायद सागर काफी मात्रा में खजूर चाहता था, तभी तो अब वह शांत है।”

    शिक्षा: बदकिस्मती (दुर्भाग्य) भी मनुष्य को एक सबक सिखा देती है।

    14. दो कुत्ते In Hindi Moral Story For Class 9

    एक आदमी ने एक ही नस्ल के दो कुत्ते खरीदे। दोनों ही बहुत चतुर, बलशाली और चुस्त थे। एक कुत्ते को उसके शिकार के लिए तैयार किया तथा दूसरे को घर की रखवाली के लिए नियुक्त किया।

    जब वह शिकार करके लौटा तो उन दोनों के लिए उसने शिकार का कुछ हिस्सा निकाला और उसमें से आधा-आधा दोनों कुत्तों में बाँट दिया। लेकिन शिकारी कुत्ते को यह बात पसन्द नहीं आई।

    वह चौकीदार कुत्ते के पास गया और गुस्से से बोला, “तुम पूरे दिन यहाँ छाँव में बैठे रहते हो और कुछ नहीं करते। मैं पूरे दिन कड़ी धूप में भाग-दौड़ करता हूँ और सारी तकलीफ उठाता हूँ।

    मालिक फिर भी तुम्हें मेरे शिकार में से आधा हिस्सा देता है। मेरी मेहनत का फल तुम खाते हो।” इस पर चौकीदार कुत्ता बोला,

    “मुझ पर इल्ज़ाम लगाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? यह सवाल जाकर मालिक से करो। यह मेरी गलती नहीं है। जो काम मुझे दिया गया है में तो वही काम करता हूँ।”

    शिक्षाः हमें सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना चाहिए।

    15. एक जुआरी और चिड़िया With Moral Story In Hindi For Class 9

    एक अमीर खर्चीला आदमी अपना सारा धन जुए और सट्टे में गँवा चुका था। एक दिन वह काफी धूल से भरे रास्ते से गुजर रहा था। उसने देखा कि पेड़ की डाली पर एक चिड़िया (अबाबील) बैठी है। वह सोचने लगा,

    “अहा! अबाबील! इसका मतलब गर्मी का मौसम आने वाला है। अब तो मैं अपना यह कीमती कोट बेच कर धन प्राप्त कर सकता हूँ और उस धन से जुआ खेलकर फिर से अपनी किस्मत को आजमा सकता हूँ।”

    उसने अपना कोट बेच दिया और एक बार फिर वह जुए में हारकर प्राप्त धन गँवा बैठा। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। ठंडी-ठंडी बर्फीली हवाएँ चलने लगीं। सर्दी का मौसम अभी गया नहीं था।

    एक दिन वह ठिठुरता हुआ उसी रास्ते से गुजरा और उसने देखा कि वह अबाबील ठंड से जमकर मर गई है। वह बोला, “तुम्हारी वजह से मैं ठिठुर रहा हूँ। तुमने अपनी जान तो गँवा दी लेकिन मेरी जान भी खतरे में डाल दी। ”

    शिक्षा: हर कार्य उचित समय पर ही करना चाहिए।

    16. अपराधी कौन Hindi Moral Story For Class 9

    एक बार एक समुद्री जहाज़ काफी स्थानों से व्यापार करके लौट रहा था। अचानक समुद्र की लहरें तेज़ हो गई| विशाल लहरों की गड़गड़ाहट ऐसे प्रतीत हो रही थी मानो किसी जंगली जानवर की भयंकर गर्जना हो।

    कुछ समय बाद जहाज़ अपना सन्तुलन खो जाने के कारण एक चट्टान से जा टकराया तथा उस जहाज़ के टुकड़े-टुकड़े हो गए। उसमें सवार सभी यात्री मारे गए परन्तु एक व्यक्ति बच गया। वह बेहोश था।

    जब उसे होश आया तो वह गुस्से से चिल्ला उठा और बोला, “पहले तो तुमने अपनी शांत लहरों से व्यापारियों को भ्रमित और प्रभावित किया और जब वे आधी यात्रा में पहुँच गए तो तुमने एक विशाल जंगली पशु की भाँति उन्हें खा लिया।

    उन मासूमों की जान लेकर तुम्हें क्या मिला?” यह कहकर वह रोने लगा। तभी समुद्र एक लड़की के रूप में प्रकट होकर बोला, “कृप्या तुम मुझे दोष मत दो। मेरा स्वभाव बिल्कुल शान्त है।

    मगर मैं क्या करूँ? ये तेज़ तूफानी हवाएँ मेरी आज्ञा लिये बिना मुझ पर आक्रमण कर देती हैं और मेरी लहरों को अपने बहाव के साथ चलाती हैं। दोषी ये तेज़ तूफानी हवाएँ हैं।”

    शिक्षाः इल्ज़ाम लगाने से पहले असली अपराधी ढूंढना चाहिए।

    17. टिडडे का घमंड For Class 9 Moral Story In Hindi

    एक बार की बात है। एक घमंडी टिड्डे ने शेर को चुनौती दी कि वह उसे पकड़ कर दिखाए और उसे युद्ध करे। शेर गुस्से से बोला, “ऐ बेवकूफ टिड्डे! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ललकारने की? मुझे तुम्हारी चुनौती मंजूर है।”

    इतना कहकर शेर ने टिड्डे पर आक्रमण कर दिया लेकिन टिड्डा तुरन्त शेर की ओर बढ़ा और उसके मुँह पर डंक मार कर उड़ गया। शेर ने उसे पकड़ने के लिए अपने ही मुँह को अपने पंजे से नोंच डाला परंतु टिड्डा हाथ नहीं आया।

    आखिरकार शेर ने हार मान ली। टिड्डा अपने ऊपर गर्व महसूस करता हुआ वहाँ से चल दिया। वह खुश था यह सोचकर कि उसने शेर जैसे ताकतवर दुश्मन को हरा दिया।

    अपनी ही धुन में वह उड़ रहा था और सोच-सोच कर अपनी जीत पर खुश हो रहा था। अचानक उसे एक झटका लगा और उसने खुद को एक मकड़ी के जाल में फंसा पाया। मौत उसकी तरफ बढ़ रही थी। वह जाल में पूरी तरह फँस चुका था और उसने दम तोड़ दिया।

    शिक्षा: घमंड इंसान को हमेशा गिराता है।

    18. भेड़िये का बच्चा Hindi Moral Story For Class 9

    एक बार एक चरवाहे को एक भेड़िए का बच्चा मिला जो मदद के लिए रो रहा था। चरवाहे को उस पर दया आ गई और चरवाहा उस बच्चे को घर ले आया।

    चरवाहे ने अपनी भेड़ों के साथ ही उस भेड़िये के बच्चे की भी परवरिश की। चरवाहे ने जल्द ही उस बच्चे को आस-पास की भेड़ें चुराने का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।

    भेड़िये का बच्चा अब बड़ा होने के साथ साथ एक पक्का चोर बन चुका था। अब वह आस-पास की भेड़ों को चुराने लगा। इस प्रकार बाड़े में भेड़ों की संख्या बढ़ने लगी। वह बच्चा अब एक भेड़िया बन चुका था।

    चरवाहा इस बात से बेखबर था कि उसने एक चोर को पनाह दी है और वही चोर बाद में लुटेरा बन सकता है। कुछ समय बाद चरवाहे ने भेड़ों की संख्या कम होते देखी तो उसे पता लगा कि वह भेड़िया ही उसकी सभी भेड़ों को एक-एक करके खा रहा है।

    शिक्षा: जैसा बोओगे वैसी ही फसल पाओगे।

    19. मछुआरों का सपना In Hindi Moral Story For Class 9

    मछुआरों का एक समूह एक बड़ी मछली पकड़ने की आशा लेकर नाव पर सवार हुआ। समुद्र में नाव पर सवार वे सोच रहे थे कि काश कोई बड़ी मछली मिल जाए तो उसे बेचकर मिले धन से वे लोग भी अच्छा खाना खा सकें ।

    रोज़ की तरह दाल-चावल न खाकर वह भी कम से कम एक दिन तो काजू करी, चिकन और नारियल की चटनी के साथ बिरयानी खा सकें। पूरा दिन गुजर गया परन्तु एक भी मछली उनके जाल में नहीं फँसी।

    वे सभी बहुत ज्यादा निराश होकर नाव में बैठ गए। तभी अचानक एक शार्क से जान बचाने के लिए बड़ी टूना मछली नाव में कूदी और तुरन्त मछुआरों ने उसे पकड़ लिया।

    इस अचानक मिले उपहार को पाकर वे बहुत खुश थे। उन्होंने उस टूना मछली को बेच कर मिली बड़ी धन राशि से रात को अच्छा खाना खाया और इस प्रकार उनका सपना पूरा हुआ।

    शिक्षा: कभी-कभी किस्मत अचानक हमारा सपना मुफ्त में पूरा करा देती है।

    20. शिकारी राजकुमार Hindi Moral Story For Class 9

    एक समय की बात है। एक राजा था जो भाग्य पर बहुत अधिक भरोसा करता था। उसका बेटा बहुत ही निपुण शिकारी था। एक रात राजा ने एक डरावना सपना देखा कि उसका बेटा एक शेर के द्वारा मारा गया।

    वह जान गया था कि मृत्यु का देवता उसका दरवाजा खटखटा रहा है, ताकि वह उसके बेटे को ले जा सके। उसने अपने बेटे के लिए एक बहुत बड़ा महल बनवाया और उसे सख्त हिदायत दी कि वह शिकार पर न जाए।

    महल की दीवारों पर अलग-अलग जानवरों की तस्वीर लगा दी गईं। उनमें एक शेर की तस्वीर भी थी। लेकिन इन सब चीजों से राजकुमार संतुष्ट नहीं था। वह महल की चारदीवारी से उकता गया था।

    एक दिन उसने गुस्से में दीवार में लगी शेर की तस्वीर पर घूसा मार दिया और तस्वीर पर लगी लोहे की कील उसके हाथ में चुभ गई जिससे उसके पूरे शरीर में जहर फैल गया और कुछ ही दिनों के भीतर उसकी मृत्यु हो गई।

    शिक्षा: होनी को कोई नहीं टाल सकता।

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