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पोंगल पर निबंध | Essay on Pongal in Hindi

    पोंगल पर निबंध | Essay on Pongal in Hindi

    पोंगल पर निबंध (250 शब्द)

    हमारा भारत त्योहारों का देश है। यहां पर अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं, उन्हीं में से एक है पोंगल। पोंगल तमिलनाडु का प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्यौहार फसल के लिए धन्यवाद करने के उपलक्ष में मनाया जाता है। किसान सूर्य, पृथ्वी, बैल इत्यादि की पूजा करके उनका धन्यवाद करते हैं और इस त्योहार को मनाते हैं।

    इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार 4 दिन तक चलता है। पोंगल आने से पहले ही घरों की साफ-सफाई होने लगती है। लोग सजावट करते हैं। नए-नए वस्त्र खरीदते हैं। बाजारों में रौनक लग जाती है और बहुत चहल पहल होती है।

    इस त्यौहार के पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता हैं। पहले दिन भगवान इंद्र की पूजा की जाती है और शाम के समय अपने पुराने वस्त्र और कूड़े को एकत्रित करके जलाया जाता है।

    दूसरे दिन को थाई पोंगल कहते है। इस दिन एक अन्य प्रकार की खीर बनाई जाती है, जो कि नए धान और गुड़ से बनाई जाती है। इसके पश्चात सूर्य देव को भोग लगाकर उसका प्रसाद सभी को वितरित किया जाता है।

    तीसरे दिन को मट्टू पोंगल कहा जाता है। तीसरे दिन बैल की पूजा की जाती है क्योंकि किसान के लिए बैल का बहुत ही अधिक महत्व है। बैल उनकी खेती बाड़ी में बहुत ही मददगार होता है।

    चौथे दिन को तिरुवल्लुवर पोंगल कहा जाता है। इस दिन महिलाएं सुबह स्नान करके पूजा करती हैं। नए वस्त्र पहनकर सभी के घरों में मिठाई बांटती है और त्योहार की शुभकामनाएं देती हैं।

    यह त्यौहार तमिलनाडु के वासियों के लिए बहुत ही प्रमुख त्यौहार होता है। इसीलिए इस त्यौहार को वह बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। इस त्यौहार को देश विदेश में रहने वाले लोग भी जो कि भारतीय हैं, वह भी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

    पोंगल पर निबंध

    प्रस्तावना

    पोंगल तमिलनाडु का बहुत ही प्रसिद्ध त्योहार है। इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार को फसल की कटाई के उपलक्ष में मनाया जाता है। यह त्यौहार धन, समृद्धि, संपन्नता, धूप, वर्षा इत्यादि का प्रतीक माना जाता है।

    पोंगल क्यों मनाया जाता है?

    यह त्योहार फसल की कटाई के उपलक्ष में मनाया जाता है। किसान इंद्रदेव को वर्षा के लिए धन्यवाद देने के लिए इनकी पूजा करते हैं एवं इस त्यौहार को धूमधाम के साथ मनाते हैं।

    इस दिन सूर्य भगवान की भी पूजा होती है और बैल की भी पूजा होती है। वही इंद्रदेव की भी पूजा की जाती है। विभिन्न पूजा एक ही त्यौहार में होती हैं, इसीलिए इस त्यौहार को पोंगल कहा जाता है।

    पोंगल त्योहार कैसे मनाया जाता है?

    पोंगल त्योहार 4 दिन तक मनाया जाता है। इस त्योहार की रौनक 4 दिन तक बनी रहती है। बाजारों में रौनक लगी रहती है। लोग नए वस्त्र खरीदते हैं। हर्षोल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है। 4 दिन की विशेषताएं इस प्रकार हैं।

    इस पर्व के पहले दिन को भोमि पोंगल के नाम से जाना जाता है। पहले देव इंद्र भगवान की पूजा की जाती है, क्योंकि इंद्रदेव को वर्षा के देवता माना जाता है। फसल के लिए अच्छी वर्षा का होना बहुत ही जरूरी है, इसीलिए इंद्र देव की पूजा की जाती है।

    • दूसरे दिन

    दूसरे दिन को थाई पोंगल या सूर्य पोंगल के नाम से भी जाना जाता है। दूसरे दिन भगवान सूरज की पूजा होती है। पोंगल नाम की खीर बनाई जाती है। यह खीर बहुत विशेष होती है। इस खीर को बनाने के लिए नए बर्तन में नई धान एवं गुड़ का प्रयोग किया जाता है। इसके पश्चात सूरज भगवान को भोग लगाकर सब लोग खीर खाते हैं।

    • तीसरा दिन

    पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन सबसे महत्वपूर्ण बैल की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि एक किसान को खेती-बाड़ी करने के लिए बैल की आवश्यकता होती है, इसलिए वह बैल को बहुत ही महत्वपूर्ण मानते हैं।

    पोंगल के चौथे दिन को तिरुवल्लर पोंगल या कन्नन पोंगल भी कहा जाता है। इस दिन विशेष प्रकार की पूजा की जाती है। महिलाएं सुबह उठकर स्नान करके पूजा करती हैं। नए वस्त्र पहनते हैं और सभी के घर जाकर मिठाइयां बांटते हैं एवं पोंगल की शुभकामनाएं देते हैं।

    पोंगल मनाने के पीछे की कहानी

    एक समय की बात है जब भगवान शंकर ने अपने बैल से धरती पर जाने के लिए कहा और कहा कि लोगों को यह संदेश दे। उन्हें हर रोज तेल से नहाना करना चाहिए और महीने में 1 बार खाना खाना चाहिए।

    लेकिन बैल ने शंकर जी की कही बात के विपरीत करने के लिए कहा। जिसके चलते धरती के लोग 1 दिन तेल से स्नान करते हैं एवं रोज का खाना खाते हैं। इसीलिए भगवान शंकर क्रोधित हो गए और बैल को श्राप दे दिया।

    बैल को हमेशा के लिए धरती पर रहने का श्राप दिया और यह भी कहा गया कि वह धरती पर रहने वाले लोगों के लिए फसल और अन्न उत्पादन में उनका सहयोग करेगा। तभी से बैल किसान के लिए सबसे आवश्यक हो गया।

    पोंगल मनाने का क्या महत्व है?

    यह त्यौहार मनाने के कई महत्वपूर्ण कारण है। जैसे कि पोंगल तब मनाया जाता है, जब फसल की कटाई का समय होता है और अच्छी कटाई के लिए पोंगल मनाया जाता है और सूर्य भगवान इंद्र भगवान को धन्यवाद दिया जाता है। इसीलिए यह बहुत ही प्रसिद्ध और हर्षोल्लास के साथ मनाने वाला त्यौहार है।

    पोंगल के दिन सबसे आकर्षण क्या होता है?

    इस दिन दक्षिण भारत में सभी चीज आकर्षक होती हैं। इस दिन प्रसिद्ध बैलों की लड़ाई भी होती है। बाजारों में रौनक होती है। घरों में साज सजावट की जाती है। घर के दरवाजे पर रंगोली बनाई जाती है। धन, संपन्ना, खुशहाली इत्यादि के लिए भगवान का धन्यवाद किया जाता है और विशेषकर पूजा की जाती है।

    निष्कर्ष

    इसी प्रकार से पोंगल का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह भी हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार है। जिस प्रकार दिवाली लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। पोंगल भी उसी तरह से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि अनाज, कृषि, खुशहाली के लिए पोंगल मनाया जाता है।

    अंतिम शब्द

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