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मकर संक्रांति पर निबंध | Essay on Makar Sankranti in Hindi

    मकर संक्रांति पर निबंध | Essay on Makar Sankranti in Hindi

    Essay on Makar Sankranti in Hindi: त्यौहार सकारात्मकता हर्ष एवं उल्लास का प्रतीक है। त्योहार के आने से व्यक्ति अपने सभी दुख दर्द एवं दुश्मनी को भूल एक दूसरे के साथ खुशियों का त्यौहार बिताता है और जीवन का असली आनंद लेता है।

    भारत धार्मिक देश है, जिस कारण यहां धार्मिक रुप से कई तरह के त्यौहार साल भर मनाए जाते हैं। जनवरी से शुरु होकर दिसंबर महीने तक कई त्योहार मनाए जाते हैं। साल का शुरुआत मकर सक्रांति के त्यौहार से होता है। मकर सक्रांति के त्यौहार का प्रतीक पतंग है। इस दिन पतंग उड़ाने का काशी ज्यादा प्रचलन है। बच्चे, बड़े, बुड्ढे सभी में पतंग उड़ाने की हौड रहती है।

     

    मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi)

    कोई भी त्यौहार आता है तो विद्यालय में बच्चों का निबंध लिखने के लिए जरूर दिया जाता है ताकि निबंध के जरिए वे भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों से अवगत हो सके। जल्दी ही मकर सक्रांति का त्यौहार आने वाला है, इसीलिए हम आज के इस लेख में मकर संक्रांति पर निबंध हिंदी में 200, 500 एवं 1000 शब्दों में लेकर आएं हैं।

    मकर संक्राति पर 10 लाईन (Makar Sankranti 10 Sentence in Hindi)

    1. मकर संक्रांति एक भारतीय प्राचीन त्यौहार है, जिसे देश मे हर राज्या मे अपनी-अपनी मान्यताओं अनुसार मनाया जाता है और इसे अलग अलग राज्यों मे अलग अलग नाम से भी जाना जाता है।
    2. मकर संक्रांति के दिन देश के अलग-अलग हिस्सो मे लोग रंग बिरंगी पतंगे उड़ाते है और तिल गुड के पकवान खाते है और ऐसी भी मान्यता है कि उस कई लोग दिन श्रीगंगा जी मे डूबकी लगाकर इस त्यौहार की शुरूआत करते हैं।
    3. मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार हो हर साल एक ही फिक्स तारीख को आता है, जो कि हर वर्ष यह त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता है।
    4. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन शनि अपने पुत्र के लिये जाते हैं और मान्यताओं के अनुसार इस दिन शनि मकर का स्वामी भी होता है।
    5. मकर संक्रांति के दिन विश्व का सबसे बड़ा धर्मिक मेला कुम्भ का मेला भरता हैं, जिसमे लोग बड़ी दूर से आते हैं।
    6. इस दिन को देश भर में लगभग हर जगह बड़ी धूम धाम से मनाया जाता हैं।
    7. इस त्योहार को हमारे पड़ोसी देश जैसे नेपाल में भी धूम धाम से मनाया जाता हैं।
    8. इस दिन लोग एक दूसरे में मिठाई बांटते हैं।
    9. यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता हैं कि इस दिन महाभारत के भीष्मपितामह ने अपने देह त्याग को चुना था।
    10. मकर संक्रांति को अलग अलग राज्यों में अलग अलग नाम से जाना जाता हैं।

    मकर सक्रांति पर निबंध 200 शब्द

    मकर सक्रांति का त्योहार हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। मकर सक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है क्योंकि खगोल शास्त्र के मुताबिक इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है यानी कि पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है, इसीलिए इस दिन मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है।

    कई पौराणिक शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य दक्षिणायन में रहता है तब उस अवधि को देवताओं की रात्रि माना जाता है। वहीँ उत्तरायण के छह महा को दिन कहा जाता है, जिस कारण ऐसी मान्यता है कि उत्तरायण सकारात्मकता एवं प्रकाश का प्रतीक है। यह भी मान्यता है कि इस दिन धरती पर देवता आते हैं।

    मकर सक्रांति के दिन भारत के हर एक राज्यों में लोग अलग-अलग मान्यताओं के साथ इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। सभी के घर अलग-अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं। मकर सक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का काफी ज्यादा महत्व है।

    इस दिन लोग अपने परिवार के साथ घरों के छत पर इकट्ठा होते हैं और रंग-बिरंगी पतंगों से आसमान ढक जाता है। इस दिन सभी के घरों पर गुड़ से तरह-तरह की मिठाइयां बनाई जाती है। इस दिन खिचड़ी काफी ज्यादा लोकप्रिय है, इसीलिए बहुत जगह पर इस त्यौहार को खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है।

    मकर सक्रांति के दिन बहुत जगह पर बहुत बड़े-बड़े पतंगबाजी का प्रतियोगिता का आयोजन होता है। इस मामले में गुजरात का अहमदाबाद काफी ज्यादा प्रख्यात है, जहां पर अंतरराष्ट्रीय रूप से पतंगबाजी का प्रतियोगिता होता है। जिसमें न केवल भारत के वासी बल्कि देश विदेश के लोग भी हिस्सा लेते हैं।

    इस तरह भले ही मकर संक्रांति का त्यौहार 1 दिन का हो लेकिन इस त्यौहार के आने के कुछ दिन पहले से ही बाजारों में रंग-बिरंगे पतंग, चरखे दिखने शुरू हो जाते हैं। मकर सक्रांति के दिन पूरा दिन चारों तरफ खूब चहल-पहल रहती हैं।

    मकर सक्रांति पर निबंध 400 शब्द

    प्रस्तावना

    मकर सक्रांति का त्यौहार जिसे उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। हर साल 14 जनवरी को मनाया। पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाने से ही इस त्यौहार को उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है।

    वहीं इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन सूर्य के उत्तरायण में आने से चारों तरफ सकारात्मकता का प्रकाश फेल जाता है, इसलिए इस दिन को काफी शुभ माना जाता है।

    मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती है?

    हिंदू धर्म में हर एक त्योहारों के पीछे कुछ ना कुछ धार्मिक मान्यता जरूर होती है। मकर सक्रांति के पीछे पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने हजारों वर्षों से असुर एवं देवताओं के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त कर दिया, जिस कारण इस दिन को बुराई का अंत और सच्चाई के युग की शुरुआत के महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म मकर सक्रांति को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है।

    मकर सक्रांति का त्योहार भारत के हर राज्यों में अलग-अलग नाम और रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। असम राज्य में मकर सक्रांति को माघ बिहू के नाम से जाना जाता है, वहीं तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। गुजरात में उत्तरायण, पंजाब और हरियाणा में माघी, बिहार एवं उत्तर प्रदेश में खिचड़ी के रूप में इस पर्व को जाना जाता है।

    मकर संक्रांति का महत्व

    मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है और सूर्य के उत्तरायण की गति प्रारंभ हो जाती है। इस तरह इस त्यौहार को उत्तरायण भी कहा जाता है। इस तरह मकर सक्रांति का त्यौहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ स्वागत पर्व के रूप में मनाया जाता है।

    कहा जाता है महाभारत में कौरव एवं पांडवों के दादा श्री भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही माघ शुक्ल अष्टमी के दिन अपने शरीर का परित्याग किया था। इसीलिए इस दिन पितरों की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए तिल एवं जल अर्पण किया जाता है।

    मकर संक्रांति के पर्व को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व है। माना जाता है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। इस दिन दान दक्षिणा करने का बहुत महत्व है। माना जाता है कि दान दक्षिणा मकर संक्रांति के दिन करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं

    मकर सक्रांति किस तरह मनाई जाती है?

    मकर सक्रांति के दिन सुबह सुबह लोग उठकर सभी को मकर सक्रांति की बधाई देते हैं। इस दिन गुड़ और तिल का लड्डू खाया जाता है, जो बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे का मुंह और तिल के लड्डू से मीठा करवाते हैं।

    लगभग उत्तरायण शुरू होने के कुछ दिन पहले से ही सभी के घरों में तरह-तरह की मिठाइयां बनना शुरू हो जाती है। बाजार में रंग बिरंगी पतंग और चरखी बिकना शुरू हो जाता है। बाजार में खूब चहल-पहल होता है।

    लोग बेसब्री से मकर सक्रांति का इंतजार करते हैं। मकर सक्रांति के दिन सुबह-सुबह सभी लोग अपने घरों की छतों पर इकट्ठा हो जाते हैं और अपने परिवार के साथ मिलकर रंग बिरंगी पतंग उड़ाते हैं। मकर सक्रांति के दिन पूरा आसमान रंग बिरंगी पतंगों से ढक जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे के साथ पतंग काटने की स्पर्धा लगाते हैं। पतंग उड़ाने के साथ ही साथ में स्वादिष्ट पकवान का भी आनंद लेते हैं।

    मकर सक्रांति के दिन कुछ शहरों में बहुत ही बड़े पैमाने पर पतंग महोत्सव का आयोजन होता है। गुजरात के अहमदाबाद शहर में हर साल अंतरराष्ट्रीय रूप से पतंग महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें बहुत बड़े स्तर पर पतंग स्पर्धा आयोजित होती है। इसमें न केवल भारत के वासी बल्कि देश विदेश के लोग भी हिस्सा लेते हैं।

    निष्कर्ष

    त्योहार जीवन का खुशियों का रंग होता है। त्योहार के बिना जीवन नीरस बन जाता है। त्योहार के कारण लोग एक दूसरे के करीब आते हैं। हालाँकि मकर सक्रांति के त्यौहार के दिन हर्षोल्लास रहता है लेकिन लोग अपने आनंद में बेजान पंछियों के बारे में भूल जाते हैं।

    इस दिन लोग पतंग के मांझे में कांच लगवाते हैं और कई तरह के मजबूत मांझो से पतंग उड़ाने के कारण आसमान में उड़ने वाली पंछियों की जान चली जाती है। इसीलिए त्यौहार का आनंद लेते समय हमें अन्य जीव-जंतुओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

    मकर सक्रांति पर निबंध 1000 शब्द

    प्रस्तावना

    मकर संक्रांति हर वर्ष 14/15 जनवरी को एक निश्चित दिवस पर मनाई जाती है। भारतीय महीनो में यह त्योहार माघ माह में आता हैं। मकर संक्रांति सर्दियो के जाने का ओर गर्मियों के आने का भी संकेत हैं। मकर संक्रांति भारत के हर कोने ने अलग अलग कल्चर के अनुसार मनाया जाता हैं, कही मकर संक्रांति को माघा तो कही इसे मेला कह कर पुकारते है।

    अंग्रेजी नए साल में मकर संक्रांति सबसे पहले आने वाला त्योहार हैं। मकर संक्रांति देश के लगभग हर कोने में उत्साह और उमंग से मनाया जाता हैं। भारत के बाहर नेपाल में इसे माघे संक्रांति भी कहा जाता है, वह इतने ही उत्साह से मनाया भी जाता हैं। मकर संक्रांति एक प्रचीन और नेपाील त्योहर है, जो हिंदु केलेण्डर के हिसाब से 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।

    मकर संक्रांति क्यों मनाते है?

    मकर सक्रांति पूरे भारत मे एक ही दिन 14 जनवरी को मनाया जाता हैं। इस दिन को सर्दियो की सीजन के अंतिम दिन भी माना जाता हैं। यह मकर संक्रांति त्योहार सूर्यदेव को समर्पित हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस दिन को सोलर दिवस भी कहा जाता हैं।

    हिन्दू मान्यताओ के अनुसार ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन सूर्य मकर या मकर राशि में प्रवेश करता हैं। इस दिन को माघ माह की शुरुआत भी मानी जाती हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपनी उत्तर यात्रा शुरू करता हैं। इसलिये मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता हैं।

    भारतीय मान्यताओं को संक्रांति को देवता माना जाता हैं। हिंदु मान्यताओं के अनुसार संक्रांति भगवान ने शंकर शूर नामक एक शैतान को मार डाला था। इस दिन देवता ने शैतान किंकरसुर नामक का वध किया था। मकर संक्रांति की जानकारी हमे भारतीय पंचांग में भी उपलब्ध हैं, जो संक्रांति की आयु, रूप, वस्त्र, दिशा और चाल के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

    मकर संक्रांति के अन्य नाम

    भारत अनेकता में एकता का देश हैं, इसलिए इसमे संक्राति को भी हमारे देश मे इस त्योहार को अलग-अलग नाम से जाना जाता हैं। जैसे गुजरात मे संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जानते हैं। वही तमिलनाडु और पांडुचेरी में इसे ‘टाई पोंगल’ भी कहते हैं।

    देश के अनेक राज्यों में इसे अलग नामों से जाना जाता हैं जैसे- गोआ, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, हरियाणा, झारखंड, बिहार, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, केरल, म.प, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, इतियादी राज्यों में इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता हैं।

    तमिलनाडु और पांडुचेरी में मकर संक्रांति को टाई पोंगल के नाम से जाना जाता है। वही गुजरात और उत्तराखंड में इसे उत्तरायण कहा जाता हैं।

    हिमाचल, हरियाणा और पंजाब में इसे माघी कहा जाता हैं। आसम में इसे भोपाली बिहू कहा जाता हैं। जन्नत के नाम से मशहूर जम्मू कश्मीर में इसे शिसूर सेकरन्त कहा जाता हैं। पश्चिम बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी कहा जाता हैं।

    संक्रांति पर देश की अलग-अलग संस्कृतियां

    • दिल्ली और हरियाणा राज्य में ऐसी ही अलग संस्कृति प्रचलित हैं। दिल्ली और हरियाणा ओर के पड़ोसी राज्यों में मकर संक्रांति को एक मुख्य त्योहार के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन मुख्य तौर पर घी का चूरमा, खीर ओर हलवा बनाया जाता हैं। शादीशुदा औरतों का भाई अपनी बहन के घर आता हैं और उसे गिफ्ट देता हैं, जिसे ‘सीधा’ कहा जाता हैं।
    • पंजाब में मकर संक्रांति को माघी संक्रांति के नाम से जाना जाता हैं। ऐसी मान्यता हैं कि वहां के लोग सुबह जल्दी उठ कर नदी ने नहाते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर पंजाब में श्री मुक़सार साहिब के दरबार मे एक भव्य मेला लगता हैं, लोग अपना पसंदीदा भागड़ा डांस करते हैं। इस दिन में विशेष अल्पाहार लेते हैं, जो कि उस दिन के लिए विशेष तौर पर बनाये जाते हैं। इस दिन पंजाबी खीर, लस्सी, चावल इत्यादि भोजन के तौर पर खाते हैं।
    • राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश में राजस्थानी में इसे संक्रांति ओर मकर सक्रांति के नाम से पुकारा जाता हैं। यह राजस्थान का एक मुख्य त्योहार हैं। 14 जनवरी को यह त्योहार मनाया जाता हैं और उस दिन राजस्थान में विशेष रूप से फिनी बनाई जाती हैं, जिसे दूध के साथ खाया जाता हैं। इसी के साथ राजस्थान में इस दिन तिल-पापड़ी, गज़क, इत्यादि व्यंजन बनाये जाते हैं और बड़ेमौज से खाये जाते हैं। इस दिन राजस्थान में एक शादीशुदा औरत द्वारा तेरह शादीशुदा औरतों को एक समान तौफा दिया जाता हैं, जिसे राजस्थानी भाषा मे ‘तेरुन्दा’ कहा जाता हैं। मकर संक्रांति के दिन बच्चे, बड़े आसमान में रंगबिरंगी पतंगे उड़ाते हैं और पूरे दिन उत्सव मनाते हैं।
    • तमिलनाडु में थाई पोंगल में तमिलनाडु में 4 दिन का उत्सव मकर संक्रांति से पहले मनाया जाता हैं। पहला दिन मार्क भोगी पोंगल, दूसरा दिन थाई पोंगल, तीसरा दिन मातु पोंगल ओर चौथे दिन थाई पोंगल के रूप में मनाया जाता हैं। पोंगल त्योहार तमिलनाडु और पांडुचेरी में मुख्य तौर पे मनाया जाता हैं। पोंगल त्योहार श्रीलंका के भी मुख्य त्योहार हैं। इस दिन परंपरागत पोंगल डिश बनाई जाती हैं, जो उबले हुए दूध और शक्कर से बनती हैं।
    • आसम में मकर संक्रांति को माघ बिहू ओर बांगोली पोंगल के नाम से जाना जाता हैं। आसम में इस त्योहार को फसलों की कटाई के खत्म होने के समय मे मनाया जाता हैं, जो कि मुख्यतः जनवरी ओर फरवरी का समय होता हैं। आसम में इस समय मे युवा लोग बांस व पत्तियो से झोपड़ी का निर्माण करते हैं, जिसे ‘मेसजी’ के नाम से जाना जाता हैं। इन झोपड़ियो में वे लोग दावत करते हैं, फिर अगले दिन उसे जलाते हैं। इस समय आसम का परंपरागत खेल भी खेला जाता हैं, जिसे आसम की लोकल भाषा मे ‘टेकली बोंगा’ ओर ‘बफ़ेलो फाइटिंग’ कहा जाता हैं।
    • माघ बिहू के समय मे आसम के लोग केक ओर चावल से व्यंजन बनाते हैं, जिसे ‘सुंघपिठा’ कहा जाता हैं। कुछ और नारियल के व्यंजन बनाते हैं, जिन्हें ‘लारू’ कहा जाता हैं।
    • महाराष्ट्र की संक्रांति में महाराष्ट्र में मकर संक्रांति को भी अलग तरीके से मनाया जाता हैं, जिसमे लोग अलग-अलग कलर के हलवा ओर तिल गुड़ के लड्डू एक दूसरे की देते हैं। जिसमे मुख्यतः ‘पूरनपोली’ होती हैं। तिल गुड़ के साथ एक दूसरे की अच्छे की कामना करते हैं।

    मकर संक्रांति का महत्व (Makar Sankranti in Hindi Essay)

    हिन्दू देवी देवताओं के लिये मकर संक्रांति का काफी महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता हैं भगवान शनि महाराज अपने पुत्र को मनाकर अपने साथ अपने घर पर ले गए थे। ऐसा भी माना जाता है इस दिन गंगा जैसी पवित्र नही ओर सुबह जल्दी उठ कर नहाते हैं और साथ पूजा पाठ ओर दान पुण्य भी करते हैं।

    ऐसा माना जाता हैं मकर संक्रांति के दिन मलमास खत्म हो जाता है और नया शुभ मास का शुभारंभ हो जाता हैं। इस त्योहार में मकर नाम मकर राशि को इंगित करता हैं, जबकि संक्रांति का सीधा अर्थ प्रवेश से होता हैं, इसलिए इसे मकर में प्रवेश भी कहा जाता हैं। ज्योतिषी मान्यताओ के अनुसार उत्तरायण का प्रारंभ मकर संक्रांति से ही होता हैं।

    मकर संक्रांति में धर्मराज की कहानी (About Makar Sankranti in Hindi)

    हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन महिलाये धर्मराज का व्रत करती हैं। ऐसा माना जाता हैं कि जिस घर में पति और पत्नी धर्मराज का व्रत करते हैं तो उस घर मे दुखों का आगमन नही होता। ऐसी मान्यता हैं कि जो पति पत्नी यह व्रत उसके लिए स्वर्गलोक के मार्ग खुल जाते हैं।

    निष्कर्ष (Makar Sankranti in Hindi)

    मकर सक्रांति भारत के विशेष त्योहारों में से एक त्योहार है। इसका भारत में विशेष महत्व है। आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में ऐसे त्यौहार हमारे जीवन में विशेष महत्व रखते हैं।

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