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एकादशी कब है 2023 जनवरी से दिसंबर तक लिस्ट

    एकादशी कब है 2023 जनवरी से दिसंबर तक लिस्ट

    Ekadashi Kab Hai 2023: हिंदू धर्म में व्रत को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया गया है। यूं तो कई सारे व्रत होते हैं लेकिन एकादशी व्रत को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है और यह काफी पुराना व्रत है। इस व्रत के बारे में कई पौराणिक ग्रंथों में भी उल्लेखित है।

    हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है जिस कारण भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन बहुत से लोग व्रत रखते हैं। जिस तरीके से हर महीने अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि अलग-अलग होती है, ठीक इसी तरह एकादशी हर महीने अलग-अलग तारीख को पड़ती है।

    यहाँ पर हम 2023 में एकादशी कब है (Ekadashi Kab Hai) के बारे में विस्तार से जानने वाले है। साल 2023 में एकादशी कब कब आने वाली है, इसकी जानकारी हम इस लेख में बताने वाले हैं।

    एकादशी कब है (Ekadashi Kab Hai)

    दिनांक वार महिना पक्ष एकादशी
    2 जनवरी 2023 सोमवार पौष शुक्ल वैकुंठ एकादशी/पौष पुत्रदा एकादशी
    18 जनवरी 2023 बुधवार माघ कृष्ण षटतिला एकादशी
    1 फरवरी 2023 बुधवार माघ शुक्ल जया एकादशी
    16 फरवरी 2023 गुरुवार फाल्गुन कृष्ण विजया एकादशी
    3 मार्च 2023 शुक्रवार फाल्गुन शुक्ल आमलकी एकादशी
    18 मार्च 2023 शनिवार चैत्र कृष्ण पापमोचिनी एकादशी
    1 अप्रैल 2023 शनिवार चैत्र शुक्ल कामदा एकादशी
    16 अप्रैल 2023 रविवार वैशाख कृष्ण वरूथिनी एकादशी
    1 मई 2023 सोमवार वैशाख शुक्ल मोहिनी एकादशी
    15 मई 2023 सोमवार ज्येष्ठ कृष्ण अपरा एकादशी
    31 मई 2023 बुधवार ज्येष्ठ शुक्ल निर्जला एकादशी
    14 जून 2023 बुधवार आषाढ़ कृष्ण योगिनी एकादशी
    29 जून 2023 गुरुवार आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी
    13 जुलाई 2023 गुरुवार सावन कृष्ण कामिका एकादशी
    29 जुलाई 2023 शनिवार अधिक मास कृष्ण पद्मिनी एकादशी
    12 अगस्त 2023 शनिवार अधिक मास शुक्ल परम एकादशी
    27 अगस्त 2023 रविवार सावन शुक्ल श्रावण पुत्रदा एकादशी
    10 सितंबर 2023 रविवार भाद्रपद कृष्ण अजा एकादशी
    25 सितंबर 2023 सोमवार भाद्रपद शुक्ल परिवर्तिनी एकादशी
    10 अक्टूबर 2023 मंगलवार आश्विन कृष्ण इंदिरा एकादशी
    25 अक्टूबर 2023 बुधवार आश्विन शुक्ल पापांकुशा एकादशी
    9 नवंबर 2023 गुरुवार कार्तिक कृष्ण रमा एकादशी
    23 नवंबर 2023 गुरुवार कार्तिक शुक्ल देवउठनी, देवोत्थान एकादशी, देवप्रबोधिनी
    8 दिसंबर 2023 शुक्रवार मार्गशीर्ष कृष्ण उत्पन्ना एकादशी
    22 दिसंबर 2023 शुक्रवार मार्गशीर्ष शुक्ल मोक्षदा एकादशी

    एकादशी क्या है?

    हिंदू पंचांग में हर महीने को दो पक्षों में विभाजित किया गया है। 15-15 दिनों के दोनों पक्षों में आने वाले 11वीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। एकादशी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ ग्यारह होता है।

    हर महीने दोनों पक्षों में एकादशी आती है एक कृष्ण पक्ष में दूसरा शुक्ल पक्ष में। अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं, वहीं पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी कहते हैं।

    इस तरीके से हर महीने 2 एकादशी होने से साल में 12 महीने के कुल 24 एकादशी होते हैं। लेकिन प्रत्येक 3 साल के बाद दो एकादशी और जुड़ जाते हैं, उन्हें मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है।

    हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2023 में कुल 26 एकादशी पड़ेगी। क्योंकि साल 2023 में मलमास पड़ने वाला है। प्रत्येक एकादशी का अपना अलग-अलग महत्व है। साल में कई तरह के व्रत लोग रखते हैं, लेकिन सभी व्रत में एकादशी का व्रत बहुत ही पुराना माना जाता है।

    एकादशी व्रत कथा जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

    एकादशी का महत्व

    एकादशी को हरी दिन या हरि वासर के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में एकादशी के व्रत का बहुत ही ज्यादा महत्व है। माना जाता है कि एकादशी की तिथि भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को बेहद ही प्रिय है, जिसके कारण एकादशी के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है।

    इस व्रत को वैष्णव और गैर वैष्णव दोनों ही समुदायों के द्वारा मनाया जाता है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति कभी भी संकट से नहीं घिरता। यहां तक कि इस व्रत की महिमा स्वयं श्री कृष्ण भगवान ने युधिष्ठिर को बताई है। स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है।

    कहा गया है कि जो एकादशी व्रत रखता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है, दरिद्रता दूर होती है, शत्रुओं का नाश होता है, धन ऐश्वर्य एवं कृति उनके जीवन में बढ़ती है। एकादशी का व्रत रखने से पितरों को भी स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसीलिए एकादशी व्रत का काफी ज्यादा महत्व है।

    एकादशी व्रत का नियम

    एकादशी व्रत का नियम काफी सख्त माना जाता है। इस व्रत को महिला या पुरुष कोई भी अपने स्वेच्छा से रख सकते हैं। यह व्रत एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक रखना होता है। लेकिन एकादशी व्रत रखने से 1 दिन पहले यानी की दशमी को ही नियमों का पालन करना होता है।

    दशमी के दिन ही मांस, मछली, लहसुन, प्याज जैसे तामसिक भोजन को खाना छोड़ देना चाहिए और शुद्ध सात्विक भोजन को ग्रहण करना चाहिए। इतना ही नहीं रात के समय भोग विलास से दूर रहकर पूर्ण रूप से ब्रह्माचार्य का पालन करना चाहिए।

    दूसरे दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए। ध्यान रहे कि सुबह के समय दांत साफ करने के लिए लकड़ी के दातुन का इस्तेमाल ना करें। इस दिन नींबू, आम के पत्ते या फिर जामुन के पत्ते को चबाकर उंगलियों से दांत को घिस सकते हैं।

    लेकिन एकादशी के दिन वृक्ष के पत्ते को तोड़ना वर्जित होता है। ऐसे में आप जमीन पर गिरे पत्ते का ही इस्तेमाल करें। यदि पत्तों का इंतजाम आप नहीं कर पाते तब सादे पानी से कुल्ला कर सकते हैं।

    उसके बाद आप स्नान कर लें। स्नान करने के पश्चात साफ-सुथरे कपड़े पहनने के बाद मंदिर में जाकर गीता का पाठ कर सकते हैं या पंडित जी से भी गीता का पाठ सुन सकते हैं। उसके बाद आपको सच्चे मन से ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना है।

    चूंकि एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए, उनकी प्रार्थना करनी चाहिए। इस दिन दान धर्म का भी बहुत महत्व होता है, इसीलिए हो सके तो अपनी यथाशक्ति कुछ दान भी करना चाहिए।

    एकादशी के दूसरे दिन यानी कि द्वादशी के दिन सुबह उठने के बाद स्नान करने के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा करें। यह दिन भी बाकी दिनों की तरह ही आम होता है। इसीलिए भगवान की पूजा करने के पश्चात आप सामान्य भोजन खाकर इस व्रत को पूरा कर सकते हैं। इस दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान और दक्षिणा देने का भी रिवाज़ होता है। यदि आप चाहे तो यह कार्य कर सकते हैं, काफी पुण्य मिलता है।

    एकादशी व्रत का भोजन

    एकादशी के दिन जो भी महिलाएं व्रत रखती हैं, उन्हें खान-पान में परहेज रखना चाहिए। इस दिन तामसिक भोजन का ही सेवन नहीं करना चाहिए और इसमें भी केवल ताजे फल, चीनी, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद, आम, केला, अंगूर, पिस्ता और बादाम का सेवन कर सकते हैं। लेकिन भूल से भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।

     

    एकादशी के दिन क्या नहीं करें?

    • एकादशी के दिन जीव हत्या करना पाप होता है। इसीलिए एकादशी के दिन भूलकर भी जीव हत्या नहीं करना चाहिए। इस दिन घर में झाड़ू लगाने की भी मनाई होती है क्योंकि ऐसा करने से घर में छोटी चिंतिया या छोटे छोटे जीव के मरने की आशंका रहती है।
    • एकादशी के दिन गलत शब्द निकालने से बचना चाहिए। इसीलिए इस दिन बहुत कम बोलने की कोशिश करना चाहिए। हो सकता है ज्यादा बोलने पर मुंह से गलत शब्द भी निकल जाए।
    • एकादशी के दिन वृक्ष से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
    • एकादशी के दिन बाल कटवाना, नाखून काटना वर्जित माना जाता है। इसीलिए इस दिन भूलकर भी बाल या नाखून ना काटे।
    • एकादशी के दिन मन में किसी भी प्रकार का विकार नहीं आने देना चाहिए। इसके लिए चाहे तो इस दिन भगवान विष्णु की स्तुति कर सकते हैं, उनकी कथा का पाठ कर सकते हैं ताकि मन में पवित्र विचार ही है।
    • एकादशी के दिन सात्विक भोजन ही खाना चाहिए। इस दिन भूलकर भी चावल का सेवन करने से बचना चाहिए। माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से अगले जन्म में सरीसृप योनि में जीवन मिलता है।
    • एकादशी के दिन गोभी, शलजम, पालक का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • एकादशी के दिन किसी और के द्वारा दिया गया अन्न नहीं खाना चाहिए।

    साल में आने वाले सभी माह की एकादशी के नाम और महत्व

    चेत्र माह की एकादशी

    चेत्र महीने में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा और पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। इस महीने के कामदा एकादशी में जो व्रत रखता है, उसे राक्षस आदि की योनि से छुटकारा मिलता है और उसके सर्वकार्य सिद्ध होते हैं। वहीँ पापमोचनी एकादशी में व्रत रखने से पाप का नाश होता है।

    वैशाख माह की एकादशी

    वैशाख माह में पड़ने वाली दो एकादशिओं को वरुथिनी और मोहिनी एकादशी कहते हैं। वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से सौभाग्य प्राप्त होते हैं, पाप का नष्ट होता है एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीँ मोहिनी एकादशी का व्रत करने से विवाहित जीवन में सुख समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति मोह माया के बंधन से मुक्त होता है।

    ज्येष्ठ माह की एकादशी

    जेष्ठ माह में निर्जला और अपरा एकादशी आता है। निर्जला का अर्थ होता है जल रहीत। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के हर प्रकार की इच्छा और कार्य संपूर्ण होते हैं। वहीँ अपरा एकादशी का व्रत रखने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में अपार खुशियों की प्राप्ति होती है।

    आषाढ़ माह की एकादशी

    आषाढ़ महीने में योगिनी और देवशयनी एकादशी पडती है। योगिनी एकादशी करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होता है, उसे पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। वहीँ देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से सभी उपद्रव शांत होते हैं।

    श्रावण माह की एकादशी

    श्रावण महीने में पड़ने वाली दोनों एकादशी को कामिका और पुत्रदा एकादशी कहते हैं। कामिका एकादशी का व्रत पापों से मुक्ति पाने के लिए रखा जाता है। वहीँ पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

    भाद्रपद की एकादशी

    भाद्रपद में आने वाली एकादशी को अजा और परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। अजा एकादशी का व्रत करने से घर की दरिद्रता दूर होती है, संतान पर कोई संकट नहीं आता है। साथ ही खोई हुई चीज की पुनः प्राप्ति होती है। वहीँ परिवर्तनी एकादशी के व्रत रखने से सभी दुख दूर होते हैं।

    आश्‍विन माह की एकादशी

    आश्विन महीने की दोनों एकादशी को इंदिरा एवं पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती हैं, उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वहीँ पापाकुंशा एकादशी रखने से सभी पाप दूर होकर सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

     

    कार्तिक माह की एकादशी

    कार्तिक माह में आने वाले एकादशी को रमा एवं प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा भी होती है। इस दिन एकादशी का व्रत रखने से भाग्य जागृत होता है। वहीँ रमा एकादशी का व्रत करने से जीवन में सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

    माघ महीने की एकादशी

    माघ महीने में आने वाली दो एकादशी को उत्पन्ना एकादशी और मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। उत्पन्ना एकादशी के दिन ही श्री विष्णु के शरीर से एकादशी का उत्पन्न हुई थी। इस दिन व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है। इस एकादशी को देवता एवं पितर भी तृप्त होते हैं। वहीँ मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    पौष माह की एकादशी

    पौष माह में आने वाली एकादशी को सफल एवं पुत्रदा एकादशी कहते हैं। सफला एकादशी का व्रत जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। वहीँ पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से पुत्र की प्राप्ति होती है।

    माघ माह की एकादशी

    माघ की एकादशी को षटतिला और जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। षटतिला एकादशी व्रत रखने जीवन से दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर होते हैं। सभी तरह के कष्ट दूर होकर व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीँ जया एकादशी का व्रत रखने से भूत पिचास जैसे योनियों में अगले जन्म में जन्म नहीं होता।

     

    फाल्गुन माह की एकादशी

    फागुन माह में आने वाली एकादशी को विजिया और आमलाकी एकादशी कहते हैं। विजया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति जीवन में भयंकर परेशानियों से छुटकारा पाता है। इस व्रत को रखने से शत्रुओं का विनाश होता है। वहीँ आमलकी एकादशी में आंवले का बहुत ही महत्व होता है। इस व्रत को रखने से कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है एवं कार्य में सफलता मिलती है।

    अधिक मास की एकादशी

    3 सालों के बाद अधिक मास लगता है, जिसमें दो एकादशी और बढ़ जाते हैं। अधिक माह में आने वाली एकादशी को पद्मनी और परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पद्मिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को कीर्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, उसकी सभी तरह की मनोकामना पूरी हो जाती है। वहीँ परमा एकादशी रखने से धन वैभव बढ़ता है और पापों का नाश होता है।

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