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देशभक्ति पर कविताएँ, Desh Bhakti Poems

    देशभक्ति पर कविताएँ, Desh Bhakti Poems

    Poem 1 – Desh Bhakti Kavita – तुम रहते हो जब बॉर्डर पर
    तुम रहते हो जब बॉर्डर पर,

    हम घर में दिवाली मनाते है,

    तुम सहते हो दुश्मन के धमाकों को

    हम बेबजह ही न जाने कितने

    बम पटाखों से प्रदूषण बढ़ाते है।।

    तुम बहादुर जोशीले जिंदादिल

    हम पागल लापरवाह बढ़ाते मुश्किल

    फेंक के कूड़ा इधर उधर

    भारत को अस्वच्छ बनाते है।।

    तुम रहते हो जब बॉर्डर पर,

    हम घर में होली मनाते है

    तुम भीग जाते हो रक्त से खाकर गोली

    हम डालकर रंग बेबजह ही

    हज़ारों गैलन पानी फैलाते है।

    तुम लड़ते हो देश को एक समझकर

    हम छोटी छोटी बातों पर ही

    साम्प्रदायिक दंगे कर जाते है।।

    तुम कितने बफादार तुम कितने समझदार

    एक हम है जो राष्ट्र प्रेम का

    असली मतलब समझ नही पाते है।

    तुम रहते हो जब बॉर्डर पर

    तब हम सुकून से जी पाते है।।

    Poem 2 – Desh Bhakti Poems – राष्ट्र भक्ती

    हिमालय की चोटी पर जाकर

    सारी दुनिया से ये कहना है

    राष्ट्र भक्ती ही हमारा पहला गहना है।

    इसकी मिट्टी पर जन्मे

    इसकी मिट्टी पर ही

    जीवित रहकर मरना है।

    भारत की तरफ

    जो नज़र उठाई किसी ने

    तो जीतने तक उससे लड़ना है।

    हिमालय की चोटी पर जाकर

    सारी दुनिया से ये कहना है

    राष्ट्र भक्ती ही हमारा पहला गहना है।।

    यहाँ है गंगा की पवित्रता

    सावन के सोमवारों में

    यह भगवान शिव का होगा

    अपने भक्तों से मित्रता

    रमजान के महीने में भी यहाँ

    रोजा लाखों लोग रोज रखते है

    तभी तो भारत राष्ट्र को समूचे विश्व का

    एकलौता संस्कृतियों का संगम कहते है

    कन्याकुमारी की लहरों से लेकर

    हिमालय की ऊंचाई तक

    सबका एक ही कहना है

    राष्ट्र भक्ती ही हमारा पहला गहना है।

    हिमालय की चोटी पर जाकर

    सारी दुनिया से ये कहना है

    राष्ट्र भक्ती ही हमारा पहला गहना है।।

     

    कविता 3 – देशभक्ति पर कविताएँ-

    जिस देश में गंगा बहती है

    होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है

    हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

    जिस देश में गंगा बहती है

    मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है

    ज़्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुज़ारा होता है

    बच्चों के लिये जो धरती माँ, सदियों से सभी कुछ सहती है

    हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

    जिस देश में गंगा बहती है

    कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं, इन्सान को कम पहचानते हैं

    ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं

    मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज़ यही जो रहती है

    हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

    जिस देश में गंगा बहती है

    जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने

    मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने

    अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है

    हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं

    जिस देश में गंगा बहती है..

     

    कविता 4 – हिंदी देशभक्ति कविता

    कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,

    आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे

    हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से

    तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे

    बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,

    चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे

    परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,

    है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे

    उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे

    तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे

    सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका

    चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे

    दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं

    ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे

    मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम

    आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे

     

    कविता 5 – बच्चों के लिए देश भक्ति कविता –
    हम होंगे कामयाब

    होंगे कामयाब,

    हम होंगे कामयाब एक दिन

    मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

    हम होंगे कामयाब एक दिन।

    हम चलेंगे साथ-साथ

    डाल हाथों में हाथ

    हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन

    मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

    हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।

    होगी शांति चारों ओर

    होगी शांति चारों ओर, एक दिन

    मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

    होगी शांति चारों ओर एक दिन।

    नहीं डर किसी का आज

    नहीं डर किसी का आज एक दिन

    मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

    नहीं डर किसी का आज एक दिन।

     

    कविता 6 – अरुण यह मधुमय देश- देशभक्ति

    अरुण यह मधुमय देश हमारा।

    जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को

    मिलता एक सहारा।

    सरस तामरस गर्भ विभा पर

    नाच रही तरुशिखा मनोहर।

    हरियाली पर जीवन छिड़कें

    मंगल कुंकुम सारा।।

    लघु सुरधनु से पंख पसारे

    शीतल मलय समीर सहारे।

    उड़ते खग जिस ओर मुँह किए

    समझ नीड़ निज प्यारा।।

    बरसाती आँखों के बादल

    बनते जहाँ भरे करुणा जल।

    लहरें टकरातीं अनंत की

    पाकर जहाँ किनारा।।

    हेम कुंभ ले उषा सवेरे

    भरती ढुलकाती सुख मेरे।

    मदिर ऊँघते रहते जब

    जग कर रजनी भर तारा।।

     

    कविता 7 – हिंदी देशभक्ति कविताएं

    जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा

    वो भारत देश है मेरा

    जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा

    वो भारत देश है मेरा

    ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला

    जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला

    जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा

    वो भारत देश है मेरा

    अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले

    कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले

    जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा

    वो भारत देश है मेरा

    जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले

    जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले

    प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा

    वो भारत देश है मेरा

     

    कविता 8 – हिंदी में देशभक्ति के बारे में कविताएँ

    लाल रक्त से धरा नहाई,

    श्वेत नभ पर लालिमा छायी,

    आजादी के नव उद्घोष पे,

    सबने वीरो की गाथा गायी,

    गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,

    ध्वनि चारो और है छायी,

    भगत , राजगुरु और , सुखदेव की

    कुर्बानी से आंखों भर आई,

    ऐ भारत माता तुझसे अनोखी

    और अद्भुत माँ न हमने पाय ,

    हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,

    एक एक बूँद समायी

    माथे पर है बांधे कफ़न

    और तेरी रक्षा की कसम है खायी,

    सरहद पे खड़े रहकर

    आजादी की रीत निभाई !

     

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