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कोई बार बार अपमान करे तो यह करे, Chanakya Niti for Life in Hindi

    कोई बार बार अपमान करे तो यह करे, Chanakya Niti for Life in Hindi

     

    अगर आपका कोई अपमान करे तो आप क्या करोगे?

    चाणक्य के अनुसार अगर कोई आपका पहली बार यूपीन करे और आप कुछ भी ना कहे या उसको सहन कर ले तो उनकी नजर में आप समझदार इंसान है

    और अगर वही इंसान दोबारा अपमान करे फिर भी आप अपने गुस्से को control कर ले तो आप महान है

    लेकिन अगर कोई आपका बार बार अपमान करे और आप कुछ भी ना करे तो आप चाणक्य की नजर में सबसे बड़े मूर्ख है

    इसको एक example के माध्यम से समझने की कोशिश करते है

    2 दोस्त थे एक का नाम विजय था और दूसरे का नाम अंकित था विजय सीधा बच्चा था और अंकित बदमाश था दोनों दोस्त स्कूल में साथ पढ़ाई करते थे लेकिन अंकित विजय की बार-बार मजाक उड़ाया करता था अंकित हमेशा ऐसा कोई भी मौका नहीं छोड़ता था जिसमें उसकी बेइज्जती ना हो अब ऐसा करते करते उनकी स्कूल लाइफ तो खत्म हो गई लेकिन अंकित का यह स्वभाव उसके साथ ही रहा जैसे उसकी नौकरी लगी तो उसने उसको फेसबुक पर सर्च किया

    अंततः उसको विजय का नंबर मिल गया और उसको मैसेज किया हेलो लूजर आजकल तुम कहां हो मेरे हिसाब से तुम कोई चाय की दुकान चला रहे होंगे बहुत ही जल्द मैं तुमसे तुम्हारी चाय की दुकान में मिलूंगा और हम खूब सारी बातें करेंगे यह सुनकर विजय भी थोड़ा सा गुस्से में हुआ

    लेकिन उसने अपनी प्रतिक्रिया को रोक लिया और उसको नजरअंदाज करते हुए उस बात को भूल गया

    शादी होने के बाद थोड़ा अंकित काआत्मविश्वास बढ़ने लगा उसने एक बार फिर से विजय को फोन किया कि आजकल तुम कहां हो या ऐसे ही चाय की दुकान चला करअपनी जिंदगी बिता दोगे विजय ने इस बार भी कोई जवाब नही दिया

    थोड़े दिन बाद विजय को एक बेटी हुई सब कुछ बढ़िया था लेकिन dr ने कहा कि उसके दिल मे एक छेद है इसका इलाज करने के लिए 50 से 60 लाख रुपये की जरूरत है

    विजय की तो ऐसी की तैसी हो गयी क्योंकि ना तो उसके पास कोई लाखो रुपये वाली job थी और ना ही उसके पास इतने रुपये थे जिससे वो इलाज करवा सके

    मतलब कुल मिला कर विजय के बस की बात नही थी उसने dr को मना कर दिया  कि उससे ये सब व्यवस्था नही हो पाएगी

    लेकिन अचानक एक दूसरे dr ने case को गम्भीर मानते हुए ऑपरेशन free me कर दिया

    और अंकित को यह सुनकर बहुत खुशी हुई और इंतजार करने लगा कि कब ऑपरेशन खत्म होगा और कब वह अपनी बच्ची एवम उस डॉक्टर से मिल पाएगा

    Finally इंतजार की घड़ी खत्म हुई और डॉक्टर विजय और उसकी बेटी,अंकित के सामने आ चुके थे

    अंकित की आंखें नम थी और  बेटी को लेने के बाद, उस डॉक्टर के पैरों में गिर गया आप समझ सकते हो कि ऐसा क्यों हुआ

    जिस डॉक्टर ने ऑपरेशन किया था वह डॉक्टर विजय था वहीं  जिसका विजय पूरी जिंदगी मजाक उड़ाया करता था

    अंकित ne पैरों में गिर कर माफी मांगी

    क्योंकि वो शर्मिंदा है अपनी हरकतों की ऊपर,

    कि उसने जिस दोस्त की इतनी मजाक उड़ाई है वो आज

    काबिल है, उसने उस दोस्त की मदद की है जिसने हमेशा उसकी मजाक उड़ाई

    उसने कहा कि Vijay मुझे माफ कर दो,मैं तुम्हारा एहसान नहीं भूल पाऊंगा

    लेकिन दोस्त ऐसा नहीं है यह मेरा फर्ज था और दोस्त होने के नाते मैंने तुम्हारे साथ ऐसा किया

    लेकिन जब अंकित ने पूछा कि जब तुम्हारे साथ इतना बुरा होता है तो तुम क्या करते हो तो विजय ने जवाब दिया कि जब तुम मेरी मजाक उड़ाया करते थे तब मैं हमेशा सकारात्मक नजरिए से अपने गुस्से को सही दिशा दिया करता था और आज तुम्हारे दिलाए गुस्से की वजह से ही मैं इतना बड़ा बन पाया हूं कि मैंने अपने गुस्से को सही दिशा देना सीख लिया है

     

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